आज तो
चाँदनी भी
जल रही है
चाँद के
आगोश को
तड़प रही है
मोहब्बत के
दंश झेल रही है
फिर भी
उफ़ ना कर रही है
हर कश पर
ख़त्म होती
धुंआ बन
उडती ज़िन्दगी
गली के
एक छोर पर
खडी
खामोश ज़िन्दगी
फिर भी
दूसरे छोर तक
ना पहुँच
पाती ज़िन्दगी
ख्वाब सा
आया और
चला गया
ना जाने
कितने
मोहब्बत के
ज़ख्म दे गया
तेरा आना
और चला जाना
जैसे ज़िन्दगी
मौत से लड़
रही हो
और फिर
मौत जीत
गयी हो
देखा
मिलन हुआ ना
मैंने कहा था
हम मिलेंगे
एक दिन
और आज
वो दिन था
जब तुम और मैं
रु-ब-रु हुए
तुम मेरे
साथ थे
हाथों में
हाथ थे
देखा
मिलन ऐसे
भी होता है
ख्वाब में
प्यार को ताकत बना
कमजोरी नहीं
प्यार को खुदा बना
मजबूरी नहीं
अस्पष्ट तस्वीरें
गडमड होते शब्द
बिखरते ख्वाब
अव्यवस्थित जीवन
इंसानी वजूद का
मानचित्र
पेज
▼
शुक्रवार, 26 मार्च 2010
मंगलवार, 23 मार्च 2010
मैं हिन्दुस्तानी हूँ
मै हिन्दुस्तानी हूँ
मजहब की दीवार
कभी गिरा नहीं पाया
किसी गिरते को
कभी उठा नहीं पाया
नफरतों के बीज
पीढ़ियों में डालकर
इंसानियत का दावा
करने वाला
मैं हिन्दुस्तानी हूँ
भाषा को अपना
मजहब बनाया
देश को फिर भाषा की
सूली पर टँगाया
अपने स्वार्थ की खातिर
भाषा का राग गाया
कुर्सी की भेंट मैंने
लोगों का जीवन चढ़ाया
क्षेत्रवाद की फसल उगाकर
इंसानियत का दावा
करने वाला
मैं हिन्दुस्तानी हूँ
जातिवाद की भेंट चढ़ाया
लहू को लहू से लडवाया
गाजर -मूली सा कटवाया
फिर भी कभी सुकून ना पाया
नफरत की आग सुलगाकर
अमन का दावा करने वाला
मैं हिन्दुस्तानी हूँ
शहीदों के बलिदान को
हमने भुलाया
कुछ ऐसे फ़र्ज़ अपना
हमने निभाया
फ़र्ज़ का, बलिदान का,
देशभक्ति का पाठ
सिर्फ दूसरों को समझाया
आतंक को पनाह देने वाला
शहीदों के बलिदान को
अँगूठा दिखाने वाला
मैं हिन्दुस्तानी हूँ
हाँ, मैं सच्चा हिन्दुस्तानी हूँ
मजहब की दीवार
कभी गिरा नहीं पाया
किसी गिरते को
कभी उठा नहीं पाया
नफरतों के बीज
पीढ़ियों में डालकर
इंसानियत का दावा
करने वाला
मैं हिन्दुस्तानी हूँ
भाषा को अपना
मजहब बनाया
देश को फिर भाषा की
सूली पर टँगाया
अपने स्वार्थ की खातिर
भाषा का राग गाया
कुर्सी की भेंट मैंने
लोगों का जीवन चढ़ाया
क्षेत्रवाद की फसल उगाकर
इंसानियत का दावा
करने वाला
मैं हिन्दुस्तानी हूँ
जातिवाद की भेंट चढ़ाया
लहू को लहू से लडवाया
गाजर -मूली सा कटवाया
फिर भी कभी सुकून ना पाया
नफरत की आग सुलगाकर
अमन का दावा करने वाला
मैं हिन्दुस्तानी हूँ
शहीदों के बलिदान को
हमने भुलाया
कुछ ऐसे फ़र्ज़ अपना
हमने निभाया
फ़र्ज़ का, बलिदान का,
देशभक्ति का पाठ
सिर्फ दूसरों को समझाया
आतंक को पनाह देने वाला
शहीदों के बलिदान को
अँगूठा दिखाने वाला
मैं हिन्दुस्तानी हूँ
हाँ, मैं सच्चा हिन्दुस्तानी हूँ
शुक्रवार, 19 मार्च 2010
ॐ जय ब्लोग्वानी
ॐ जय ब्लोग्वानी
प्रभु जय ब्लोग्वानी
जो कोई तुमको ध्याता
हॉट में स्थान पाता
ॐ जय ब्लोग्वानी .........
घर , परिवार , नौकरी
सब दॉव पर लगा देता
खाना, पीना ,सोना
ब्लॉगर सब भूल जाता
उलटी सीढ़ी टिप्पणियाँ करके
बस टी आर पी में सबसे
ऊपर आना चाहता
ॐ जय ब्लोग्वानी ..........
ब्लॉगिंग के सारे गुण अपनाता
किसी को रिश्तेदार बनाता
किसी से दुश्मनी मोल लेता
उलटे सीधे करम ये करता
विवादास्पद लेख लिखकर
पोस्ट को ऊपर रखना चाहता
ब्लोग्वानी प्रभु के चरण कमलों
में स्थान पाने को
अकृत्य कृत्य भी कर जाता
ॐ जय ब्लोग्वानी ..................
टिप्पणियों के अभाव में तो
अच्छी पोस्टों का
दीवाला ही निकल जाता
बेकार पोस्टों का ही
यहाँ तो दबदबा बन जाता
हॉट के चक्रव्यूह में फंसकर
नॉट में अटक जाता
बेचारा ब्लॉगर हॉट में
स्थान पाने को तरस जाता
जुगाडू ब्लॉगर ही यहाँ
हॉट में कई कई दिन
स्थान पाता
ॐ जय ब्लोग्वानी ..........
ब्लोग्वानी प्रभु चमत्कार कर दो
दीन दुखी ब्लोगरों की
झोली भी भर दो
हॉट के दर्शन करा दो
मनोकामना पूर्ण कर दो
जो कोई तुमको ध्याता
मन वांछित फल पाता
ॐ जय ब्लोग्वानी ...............
इक तेरे बिना इनका कोऊ नाहीं.................
दोस्तों,
ये सिर्फ एक स्वस्थ हास्य है .......काफी दिनों से काफी लोगों को इसी वजह से रोते बिलखते देख रही थी तो सोचा उन सबकी तरफ से थोड़ी सी प्रार्थना ब्लोग्वानी से कर दी जाए.
प्रभु जय ब्लोग्वानी
जो कोई तुमको ध्याता
हॉट में स्थान पाता
ॐ जय ब्लोग्वानी .........
घर , परिवार , नौकरी
सब दॉव पर लगा देता
खाना, पीना ,सोना
ब्लॉगर सब भूल जाता
उलटी सीढ़ी टिप्पणियाँ करके
बस टी आर पी में सबसे
ऊपर आना चाहता
ॐ जय ब्लोग्वानी ..........
ब्लॉगिंग के सारे गुण अपनाता
किसी को रिश्तेदार बनाता
किसी से दुश्मनी मोल लेता
उलटे सीधे करम ये करता
विवादास्पद लेख लिखकर
पोस्ट को ऊपर रखना चाहता
ब्लोग्वानी प्रभु के चरण कमलों
में स्थान पाने को
अकृत्य कृत्य भी कर जाता
ॐ जय ब्लोग्वानी ..................
टिप्पणियों के अभाव में तो
अच्छी पोस्टों का
दीवाला ही निकल जाता
बेकार पोस्टों का ही
यहाँ तो दबदबा बन जाता
हॉट के चक्रव्यूह में फंसकर
नॉट में अटक जाता
बेचारा ब्लॉगर हॉट में
स्थान पाने को तरस जाता
जुगाडू ब्लॉगर ही यहाँ
हॉट में कई कई दिन
स्थान पाता
ॐ जय ब्लोग्वानी ..........
ब्लोग्वानी प्रभु चमत्कार कर दो
दीन दुखी ब्लोगरों की
झोली भी भर दो
हॉट के दर्शन करा दो
मनोकामना पूर्ण कर दो
जो कोई तुमको ध्याता
मन वांछित फल पाता
ॐ जय ब्लोग्वानी ...............
इक तेरे बिना इनका कोऊ नाहीं.................
दोस्तों,
ये सिर्फ एक स्वस्थ हास्य है .......काफी दिनों से काफी लोगों को इसी वजह से रोते बिलखते देख रही थी तो सोचा उन सबकी तरफ से थोड़ी सी प्रार्थना ब्लोग्वानी से कर दी जाए.
रविवार, 14 मार्च 2010
कोई तो जगे
अँधा हूँ मगर
आँख वालों को
आईना बेचता हूँ
शायद अपना अक्स
नज़र आ जाये
किसी को
गूंगा हूँ मगर
जुबान वालों को
शब्द बेचता हूँ
शायद कोई जुबाँ
के ताले खोले
कोई तो सत्य
की चादर ओढ़े
बहरा हूँ मगर
कान वालों को
गीत सुनाता हूँ
शायद सुनकर
किसी का तो
खुदा जगे
कोई तो वक़्त की
आवाज़ सुने
आँख वालों को
आईना बेचता हूँ
शायद अपना अक्स
नज़र आ जाये
किसी को
गूंगा हूँ मगर
जुबान वालों को
शब्द बेचता हूँ
शायद कोई जुबाँ
के ताले खोले
कोई तो सत्य
की चादर ओढ़े
बहरा हूँ मगर
कान वालों को
गीत सुनाता हूँ
शायद सुनकर
किसी का तो
खुदा जगे
कोई तो वक़्त की
आवाज़ सुने
मंगलवार, 9 मार्च 2010
कचोट
बरसों साथ रहकर भी
तेरा मेरा अनजाना रिश्ता
देह की दहलीज पर ही
क्यूँ सिमट गया
मन के आँगन तक की राह
कोई मुश्किल तो ना थी
मौन का शून्य ही
अस्तित्व को बाँटता रहा
प्रगाढ़ स्नेह के बंधन को
कम आँकता रहा
अर्धांगिनी शब्द को
खूँटी पर टाँकता रहा
अर्ध अंग के महत्त्व
को नकारता रहा
शब्द को सिर्फ
शब्द ही रहने दिया
कभी शब्द को
अंतस में ना
उतार पाया
शायद इसीलिए
साथ रहकर भी
अनजान रहे
मन के बंधन
में ना बँधे
देह के रिश्ते
देह पर ही
बिखर गए
तेरा मेरा अनजाना रिश्ता
देह की दहलीज पर ही
क्यूँ सिमट गया
मन के आँगन तक की राह
कोई मुश्किल तो ना थी
मौन का शून्य ही
अस्तित्व को बाँटता रहा
प्रगाढ़ स्नेह के बंधन को
कम आँकता रहा
अर्धांगिनी शब्द को
खूँटी पर टाँकता रहा
अर्ध अंग के महत्त्व
को नकारता रहा
शब्द को सिर्फ
शब्द ही रहने दिया
कभी शब्द को
अंतस में ना
उतार पाया
शायद इसीलिए
साथ रहकर भी
अनजान रहे
मन के बंधन
में ना बँधे
देह के रिश्ते
देह पर ही
बिखर गए
शनिवार, 6 मार्च 2010
नारी को नारी रहने दो
वो तो सीता ही थी
वो तो लक्ष्मी ही थी
त्याग , तपस्या
प्रेम समर्पण की
बेड़ियों में जकड़ी ही थी
अपने अरमानो की राख
ओढ़ पड़ी ही थी
फिर क्यूँ तुमने मजबूर किया
सीता से मेडोना बनने को
क्यूँ तुमको बाहर ही
उर्वशी रम्भा दिखाई देती थीं
जब तुमने मजबूर किया
उसने आगे कदम बढाया था
तुम्हारे दिखाए रास्ते
को ही अपनाया था
फिर क्यूँ आज हर गली
हर चौराहे, हर मोड़ पर
बातों के दंश लगाते हो
अपने झूठे दंभ की खातिर
क्यूँ नारी को प्रताड़ित करते हो
रूप सौंदर्य के पिपासुक तुम
क्यूँ मानसिक बलात्कार करते हो
सिर्फ अपना वर्चस्व कायम रहे
इसलिए मानसिक प्रताड़ना देते हो
सिर्फ एक दिन नारी का
सम्मान सह नहीं पाते हो
फिर कैसे तुम नारी को दुर्गा कहते हो
नारी पूजा का राग अलापते हो
खुद ही नारी को शोषित करते हो
दोहरे मानदंडों में जीने वाले
पुरुष तुम
क्यूँ अपनी हार से डरते हो
अपने अहम् की खातिर तुम
नारी की अवहेलना करते हो
तेरी जननी है वो
कैसे खुद से तुलना करते हो
वो तो आज भी सावित्री ही है
क्यूँ अपना नज़रिया नही बदलते हो
नारी की आवृत्ति को
नारित्त्व में ही रहने दो
अपने पुरुषत्व की छाँव
में ना जकड़ने दो
उसे जीने दो और आगे बढ़ने दो
बस नारी को नारी रहने दो
वो तो लक्ष्मी ही थी
त्याग , तपस्या
प्रेम समर्पण की
बेड़ियों में जकड़ी ही थी
अपने अरमानो की राख
ओढ़ पड़ी ही थी
फिर क्यूँ तुमने मजबूर किया
सीता से मेडोना बनने को
क्यूँ तुमको बाहर ही
उर्वशी रम्भा दिखाई देती थीं
जब तुमने मजबूर किया
उसने आगे कदम बढाया था
तुम्हारे दिखाए रास्ते
को ही अपनाया था
फिर क्यूँ आज हर गली
हर चौराहे, हर मोड़ पर
बातों के दंश लगाते हो
अपने झूठे दंभ की खातिर
क्यूँ नारी को प्रताड़ित करते हो
रूप सौंदर्य के पिपासुक तुम
क्यूँ मानसिक बलात्कार करते हो
सिर्फ अपना वर्चस्व कायम रहे
इसलिए मानसिक प्रताड़ना देते हो
सिर्फ एक दिन नारी का
सम्मान सह नहीं पाते हो
फिर कैसे तुम नारी को दुर्गा कहते हो
नारी पूजा का राग अलापते हो
खुद ही नारी को शोषित करते हो
दोहरे मानदंडों में जीने वाले
पुरुष तुम
क्यूँ अपनी हार से डरते हो
अपने अहम् की खातिर तुम
नारी की अवहेलना करते हो
तेरी जननी है वो
कैसे खुद से तुलना करते हो
वो तो आज भी सावित्री ही है
क्यूँ अपना नज़रिया नही बदलते हो
नारी की आवृत्ति को
नारित्त्व में ही रहने दो
अपने पुरुषत्व की छाँव
में ना जकड़ने दो
उसे जीने दो और आगे बढ़ने दो
बस नारी को नारी रहने दो
मंगलवार, 2 मार्च 2010
मुर्गा कटता रहता है
चल पागल
मोहब्बत करनी
भी नहीं आती
झूठे वादे करके
कोई वादा पूरा
न करना
जन्मों के इंतज़ार
की बातें करके
इस जन्म में भी
इंतज़ार न करना
मुरझाये गुल को भी
गुलाब बता देना
खाली पास- बुक को
अम्बानी की बता देना
उधार की गाड़ी को
अपना बना लेना
ये है आज का चलन
और तू है पागल
मोहब्बत के नाम पर
कुर्बान हुआ जाता है
जान हलाल किये जाता है
आँसू बहाए जाता है
वफ़ाओं की दुहाई
दिए जाता है
यहाँ किसी को
दर्द नही होता
यहाँ कोई
किसी के लिए
नहीं मरता है
आज तू , कल
कोई और सही
बस इसी तर्ज़ पर
मुर्गा कटता रहता है
मोहब्बत करनी
भी नहीं आती
झूठे वादे करके
कोई वादा पूरा
न करना
जन्मों के इंतज़ार
की बातें करके
इस जन्म में भी
इंतज़ार न करना
मुरझाये गुल को भी
गुलाब बता देना
खाली पास- बुक को
अम्बानी की बता देना
उधार की गाड़ी को
अपना बना लेना
ये है आज का चलन
और तू है पागल
मोहब्बत के नाम पर
कुर्बान हुआ जाता है
जान हलाल किये जाता है
आँसू बहाए जाता है
वफ़ाओं की दुहाई
दिए जाता है
यहाँ किसी को
दर्द नही होता
यहाँ कोई
किसी के लिए
नहीं मरता है
आज तू , कल
कोई और सही
बस इसी तर्ज़ पर
मुर्गा कटता रहता है