tag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post2938770909045906066..comments2024-02-09T10:28:01.965+05:30Comments on ज़ख्म…जो फूलों ने दिये: आखिर मैं चाहती क्या हूँvandana guptahttp://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-31982948558572823472013-03-20T15:19:22.401+05:302013-03-20T15:19:22.401+05:30चाहतों के पूर्ण विराम को संतुस्ती कहते है . और स...चाहतों के पूर्ण विराम को संतुस्ती कहते है . और संतुस्ट होना मौत की और कदम नहीं ..और उस मौत का जिसका कोई पता नहीं.धनात्मक उर्जा सारी समस्याओं का समाधान है. हालाँकि कठिन है Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-64283010498772884322013-03-19T16:00:22.633+05:302013-03-19T16:00:22.633+05:30वाह ... बेहतरीन वाह ... बेहतरीन सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-58427724055113799412013-03-19T10:38:32.430+05:302013-03-19T10:38:32.430+05:30बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.शुभकामनायें.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.शुभकामनायें.<br />Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-53562854075590112852013-03-19T09:49:34.615+05:302013-03-19T09:49:34.615+05:30वंदना जी क्या खूब लिखती हैं आप! बेहद खूबसूरत !वंदना जी क्या खूब लिखती हैं आप! बेहद खूबसूरत !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-14152132845715957452013-03-19T08:27:38.596+05:302013-03-19T08:27:38.596+05:30हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी,कि हर ख्वाहिश पे दम निकले.......हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी,कि हर ख्वाहिश पे दम निकले....<br /><br />सस्नेह<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-82853173718449356892013-03-18T21:02:32.407+05:302013-03-18T21:02:32.407+05:30ऊहापोह भरा बहुत, मन का अन्तर्द्वन्द|
तपता सूर्य है...ऊहापोह भरा बहुत, मन का अन्तर्द्वन्द|<br />तपता सूर्य है कभी, कभी है शीतल चन्द ||देवदत्त प्रसूनhttps://www.blogger.com/profile/06275143755319297820noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-8945148530958457952013-03-18T20:58:33.028+05:302013-03-18T20:58:33.028+05:30ऊहापोह भरा बहुत, मन का अन्तर्द्वन्द |
तपता सूर्य ह...ऊहापोह भरा बहुत, मन का अन्तर्द्वन्द |<br />तपता सूर्य है कभी, कभी है शीतल चन्द ||<br />देवदत्त प्रसूनhttps://www.blogger.com/profile/06275143755319297820noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-63119339260302120052013-03-18T15:05:57.617+05:302013-03-18T15:05:57.617+05:30ख्वाहिशों का अंत मौत है..;बिल्कुल सहीख्वाहिशों का अंत मौत है..;बिल्कुल सहीरश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-52907778582450538662013-03-18T15:02:02.082+05:302013-03-18T15:02:02.082+05:30वन्दना जी, जब चाहतें समाप्त हो गयी हों तब शांत होक...वन्दना जी, जब चाहतें समाप्त हो गयी हों तब शांत होकर भीतर देखना होगा..कोई न कोई चाहत छुपी होगी कहीं न कहीं...अगर सचमुच न मिली तब तो जीवन एक उत्सव ही बन जायेगा..जीवन्मुक्ति उसी को तो कहते हैं..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-87297042553687872472013-03-18T12:47:06.911+05:302013-03-18T12:47:06.911+05:30बिल्कुल सही कहा आपने कि अब चाहतों की कोई फेहरिस्त ...बिल्कुल सही कहा आपने कि अब चाहतों की कोई फेहरिस्त बनाना वाकई आसान नहीं है। आसान या यूं कहें कि समझ में ही नहीं आता कि क्या चाहत है।<br /><br />बढिया विषय, शानदार अभिव्यक्ति<br />बहुत सुंदरमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.com