tag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post7878072360593735865..comments2024-02-09T10:28:01.965+05:30Comments on ज़ख्म…जो फूलों ने दिये: जीने का ढंगvandana guptahttp://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-28087367635352822602009-04-02T18:45:00.000+05:302009-04-02T18:45:00.000+05:30आशा और निराशा के क्षण, पग-पग पर मिलते है।काँटों की...आशा और निराशा के क्षण, पग-पग पर मिलते है।<BR/>काँटों की पहरेदारी में ही, गुलाब खिलते हैं।।<BR/>पतझड़ और बसन्त कभी हरियाली आती है।<BR/>सर्दी-गर्मी सहने का, सन्देश सिखाती है।<BR/>यश और अपयश साथ-साथ दायें-बायें चलते हैं।<BR/>काँटों की पहरेदारी में ही, गुलाब खिलते हैं।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com