tag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post806371915764617228..comments2024-02-09T10:28:01.965+05:30Comments on ज़ख्म…जो फूलों ने दिये: मगर आज भी भारत तो मेरे गाँव में ही बसता हैvandana guptahttp://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-10560795524075907702012-06-14T22:05:03.377+05:302012-06-14T22:05:03.377+05:30सर्थक प्रस्तुति।सर्थक प्रस्तुति।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-44728762782821110782012-06-14T18:32:57.594+05:302012-06-14T18:32:57.594+05:30No doubt the beauty and peaceful ambiance of villa...No doubt the beauty and peaceful ambiance of village life is beyond words....ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-10937852260639600732012-06-14T15:18:10.901+05:302012-06-14T15:18:10.901+05:30सोंधापन तो अभी भी बचा हुआ है..सोंधापन तो अभी भी बचा हुआ है..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-51009374886331146522012-06-14T07:13:13.289+05:302012-06-14T07:13:13.289+05:30बहुत सार्थक प्रस्तुति!
ग्राम्य जीवन का सुन्दर चित्...बहुत सार्थक प्रस्तुति!<br />ग्राम्य जीवन का सुन्दर चित्रण किया है आपने!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-70647274106617345252012-06-14T07:12:20.210+05:302012-06-14T07:12:20.210+05:30बहुत सार्थक प्रस्तुति!
ग्राम्य जीवन का सुन्दर चित्...बहुत सार्थक प्रस्तुति!<br />ग्राम्य जीवन का सुन्दर चित्रण किया है आपने!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-22393106106318868842012-06-14T00:34:03.934+05:302012-06-14T00:34:03.934+05:30सटीक बात कहती सुंदर रचनासटीक बात कहती सुंदर रचनासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-19680084794955548872012-06-13T20:48:34.059+05:302012-06-13T20:48:34.059+05:30आज गाँव ही नहीं छोटे कसबे भी ऐसे ही हैं ..खूबसूरत ...आज गाँव ही नहीं छोटे कसबे भी ऐसे ही हैं ..खूबसूरत प्रस्तुतिAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-21825418895388903312012-06-13T20:13:06.545+05:302012-06-13T20:13:06.545+05:30बहुत -बहुत सुन्दर .,,
सार्थक अभिव्यक्ति...
:-)बहुत -बहुत सुन्दर .,, <br />सार्थक अभिव्यक्ति...<br />:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-90802574958158176542012-06-13T19:44:39.243+05:302012-06-13T19:44:39.243+05:30मन को छूती अभिव्यक्ति। धन्यवाद|मन को छूती अभिव्यक्ति। धन्यवाद|संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-52659022393514557032012-06-13T17:14:10.600+05:302012-06-13T17:14:10.600+05:30वर्तमान स्थिति का सही आकलन प्रस्तुत किया है आपने!वर्तमान स्थिति का सही आकलन प्रस्तुत किया है आपने!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-12248820048587391632012-06-13T14:58:37.292+05:302012-06-13T14:58:37.292+05:30हाँ वंदना , भारत आज भी गाँव में बसता है, हमारी संस...हाँ वंदना , भारत आज भी गाँव में बसता है, हमारी संस्कृति का परिपोषण तो वही हो रहा है. वहाँ के भोले भाले लोग आज भी किसी महिला को बहू और बेटी के रूप में देखते हैं. अतिथि को पानी के साथ एक गुड की डाली जरूर देते हैं. रही को जाता देख दो घड़ी सुस्ता लेने का आग्रह कर चारपाई पेड़ के नीचे डाल कर सम्मान करते हैं.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-87843590023236600862012-06-13T14:31:03.786+05:302012-06-13T14:31:03.786+05:30अब गांवों में शहरीकरण की बीमारी फैल गई है। सच में ...अब गांवों में शहरीकरण की बीमारी फैल गई है। सच में वो बात नहीं रही जो हुआ करती थी। आपको एक रचना पढवात हूं<br /><br /><br />गांव गया था गांव से भागा<br /><br />गांव गया था<br />गांव से भागा<br />रामराज का हाल देखकर<br />पंचायत की चाल देखकर<br />आंगन में दीवाल देखकर<br />सिर पर आती डाल देखकर<br />नदी का पानी लाल देखकर<br />और आंख में बाल देखकर<br />गांव गया था<br />गांव से भागा।<br /><br />गांव गया था<br />गांव से भागा<br /> सरकारी स्कीम देखकर<br />बालू में से क्रीम देखकर<br />देह बनाती टीम देखकर<br />हवा में उड़ता भीम देखकर<br />सौ-सौ नीम हकीम देखकर<br />गिरवी राम रहीम देखकर<br />गांव गया था<br />गांव से भागा।<br /><br />गांव गया था<br />गांव से भागा<br />जला हुआ खलिहान देखकर<br />नेता का दालान देखकर<br />मुस्काता शैतान देखकर<br />घिघियाता इंसान देखकर<br />कहीं नहीं ईमान देखकर<br />बोझ हुआ मेहमान देखकर<br />गांव गया था<br />गांव से भागा।<br /><br />गांव गया था<br />गांव से भागा<br />नये धनी का रंग देखकर<br />रंग हुआ बदरंग देखकर<br />बातचीत का ढंग देखकर<br />कुएं-कुएं में भंग देखकर<br />झूठी शान उमंग देखकर<br />पुलिस चोर के संग देखकर<br />गांव गया था<br />गांव से भागा।<br /><br />गांव गया था<br />गांव से भागा।<br />बिना टिकट बारात देखकर<br />टाट देखकर भात देखकर<br />वही ढाक के पात देखकर<br />पोखर में नवजात देखकर<br />पड़ी पेट पर लात देखकर<br />मैं अपनी औकात देखकर<br />गांव गया था<br />गांव से भागा।<br /><br />गांव गया था<br />गांव से भागा<br />नये नये हथियार देखकर<br />लहू-लहू त्यौहार देखकर<br />झूठ की जै-जैकार देखकर<br />सच पर पड ती मार देखकर<br />भगतिन का श्रृंगार देखकर<br />गिरी व्यास की लार देखकर<br />गांव गया था<br />गांव से भागा।<br /><br />गांव गया था<br />गांव से भागा<br />मुठ्ठी में कानून देखकर<br />किचकिच दोनों जून देखकर<br />सिर पर चढ़ा जुनून देखकर<br />गंजे को नाखून देखकर<br />उजबक अफलातून देखकर<br />पंडित का सैलून देखकर<br />गांव गया था<br />गांव से भागा।<br /><br />स्व. कैलाश गौतममहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-69575920929923078962012-06-13T14:25:55.432+05:302012-06-13T14:25:55.432+05:30गाँव की तो बात ही निराली है हाँ भारत तो गाँव में ह...गाँव की तो बात ही निराली है हाँ भारत तो गाँव में ही है शहरों में तो इंडिया हो गया है :-))Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-38848138872971057932012-06-13T14:15:38.868+05:302012-06-13T14:15:38.868+05:30सच्ची बात कहती रचना
सादरसच्ची बात कहती रचना <br /><br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-31165679257559234492012-06-13T12:55:06.737+05:302012-06-13T12:55:06.737+05:30उम्दा खुबसूरत
(अरुन =arunsblog.in)उम्दा खुबसूरत<br />(अरुन =arunsblog.in)अरुन अनन्तhttps://www.blogger.com/profile/02927778303930940566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-77529106248022211052012-06-13T11:40:34.829+05:302012-06-13T11:40:34.829+05:30आपने गाँव का जैसा चित्र खींचा है
शायद अब वो वैसा ...आपने गाँव का जैसा चित्र खींचा है<br />शायद अब वो वैसा नहीं रहा है.<br /><br />आस्था और मूल्यों में बहुत तेजी से <br />बदलाव आ रहा है.काश! यह बदलाव <br />सकारात्मक हो पाए.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-6528873746849723642012-06-13T11:21:30.774+05:302012-06-13T11:21:30.774+05:30सार्थकता लिए सटीक अभिव्यक्ति ... आभार ।सार्थकता लिए सटीक अभिव्यक्ति ... आभार ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com