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बुधवार, 5 अगस्त 2009

अजीब नाता

देखा कैसा अजीब सा नाता है
दूर होकर भी पास होते हैं
एक दूसरे को न देखकर भी देखते हैं
बिना बात किए भी बतियाते हैं
कसक सी दिल में लिए
होठों को सिए रखते हैं
मुलाक़ात की चाह में
रोज दीदार को आते हैं
पर तेरे दर-ओ-दीवार
रोज ही बंद नज़र आते हैं
चाह उतनी ही उत्कट उधर भी है
ये मालूम है मगर
तेरे अहम् के नश्तर ही
तुझे भी रुलाते हैं
ये घुटती हुई खामोशी
इसकी सर्द आवाज़
दिल के तारों पर
दर्द बन ढल जाती है
बिना आवाज़ दिए भी
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
देखा कैसा अजीब सा नाता है

18 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

कुछ और शव्‍द छटपटा रहे हैं, बाहर निकलने के लिये. कविता का अंत लाजवाब है. आभार.

संजीव तिवारी
www.aarambha.blogspot.com

ओम आर्य ने कहा…

bahut hi khubsoorat hai hale dil ......ki wayaan .........pyar shayad aisa hi hota hai .....sundar sa nazam

समय चक्र ने कहा…

वंदना जी
बहुत सुन्दर रचना . रक्षाबंधन पर की हार्दिक शुभकामना

Sanjay Grover ने कहा…

तेरे अहम् के नश्तर ही
तुझे भी रुलाते हैं

achchha hai.

M VERMA ने कहा…

बिना आवाज़ दिए भी
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
देखा कैसा अजीब सा नाता है
=====
जी हाँ! कुछ रिश्ते ऐसे ही होते है जिसमे कुछ कहने-सुनने, दिल की गुनगुनाहट दिल से ही सुनी जा सकती है.
बहुत खूब लिखा है आपने. एक पोयम मे मैने भी कुछ लिखा है देखे :
I can hear the sounds
With your singing dart.
Silence is the best speaker
Hear the sound by heart.
बेहतरीन रचना के लिये बधाई

राकेश कुमार ने कहा…

वन्दना जी ,

अभी अभी आपकी कविता अजीब नाता पढा, सचमुच मन मुग्ध हो गया,

सुन्दर पन्क्ति

देखा कैसा अजीब सा नाता है
दूर होकर भी पास होते हैं
एक दूसरे को न देखकर भी देखते हैं
बिना बात किए भी बतियाते हैं
कसक सी दिल में लिए
होठों को सिए रखते हैं

बहुत सुन्दर पन्क्ति मे व्यक्त भावनाये -

ये घुटती हुई खामोशी
इसकी सर्द आवाज़
दिल के तारों पर
दर्द बन ढल जाती है
बिना आवाज़ दिए भी
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
देखा कैसा अजीब सा नाता है.

पूर्व की तरह बहुत खूबसूरत कविता और सुन्दर पन्क्तिया

सादर
राकेश

Prem Farukhabadi ने कहा…

बिना आवाज़ दिए भी
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं

bahut sundar likha hai.badhai!

vijay kumar sappatti ने कहा…

वंदना,

कुछ रिश्ते बस ऐसे ही होते है ..और सिर्फ मौन ही एक संवाद बन जाता है ...
बहुत प्यारी रचना...मन को छूते हुए....

regards

विजय

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

wah wah vandana ji...
bahut acha likha hai aapne...
very nice of your compositions...
great work...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
देखा कैसा अजीब सा नाता है

आज तो बड़ा करारा लिख मारा है। ऐसा लगता है कि रक्षा-बन्धन पर ......।
रिश्ते-नातों की मनोव्यथा को बड़ी चतुराई ते ब्लॉग पर बिखेरा है।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut hi achhi rachna

Unknown ने कहा…

bahut umdaa
bahut achhi kavita

ये घुटती हुई खामोशी
इसकी सर्द आवाज़
दिल के तारों पर
दर्द बन ढल जाती है
बिना आवाज़ दिए भी
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
_________hay hay ....
jaise kaleje se likhi ho kavita
waah
waah
badhaai aur haardik abhinandan !

Chandan Kumar Jha ने कहा…

बहुत ही उम्दा रचना. यूँ हीं लिखते रहे. आभार.


गुलमोहर का फूल

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह वन्दना जी बहुत सुन्दर रचना है ये दिल के नाते ऐसे ही होते हैम बहुत भावमय रचना है बधाई राखी की शुभकामनायेण्

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह वन्दना जी बहुत सुन्दर रचना है ये दिल के नाते ऐसे ही होते हैम बहुत भावमय रचना है बधाई राखी की शुभकामनायेण्

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

संबंध तकनीकी हो कर रह गए हैं, इन में कुछ भावना भर दें।

रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!

Science Bloggers Association ने कहा…

Wakai ajeeb hai ye naata.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

vijay kumar sappatti ने कहा…

vandana , main kuch na kahunga ...

bus ek maun chaaya hua hai ise padhkar .....

ye nazm mujhe tumhari ab tak ki sabse acchi nazmo me se ek lagi .... bina aawaz diye bhi .dono ke dil gungunaate hai ... thi is the best line from your pen so far........

namaskar

vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/