बुधवार, 1 दिसंबर 2010
सिर्फ़ एक बार खुद से रोमांस करने की कोशिश करना……………………250वीं पोस्ट
जब दुनिया की हर शय सिमटने लगे
जब अपने ही तुझको झिड़कने लगें
तेरा मयखाना खाली होने लगे
हर रंग बदरंग होने लगे
तू खुद से बेपरवाह होने लगे
राहें सभी बंद होने लगें
जब ज़िन्दगी भी दोज़ख लगने लगे
कायनात का आखिरी चिराग भी बुझने लगे
तेरा नसीबा भी तुझपे हंसने लगे
जब उम्मीदों के चराग बुझने लगें
तकदीर की स्याह रात वक्त से लम्बी होने लगे
अपने साये से भी डर लगने लगे
ज़िन्दगी से मौत सस्ती लगने लगे
उस वक्त तुम इतना करना
इक पल रुकना
खुद को देखना
मन के आईने में
आत्मावलोकन करना
और सब कुछ भुलाकर
सिर्फ एक बार
खुद से रोमांस करने
की कोशिश करना
देखना ज़िन्दगी तेरी
सँवर जाएगी
दुनिया ही तेरी बदल जाएगी
जो बेगाने नज़र आते थे
अपनों से बढ़कर नज़र आयेंगे
तेरे दिल की बगिया के
सुमन सारे खिल जायेंगे
जीने के सभी रंग
तुझको मिल जायेंगे
बस तू एक बार खुद से
रोमांस करने की कोशिश तो करना ......................
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39 टिप्पणियां:
वंदना जी,
नमस्ते!
बहुत खूब. वैसे इस लेवल की बातें मुझ फूहड़ को करनी नहीं चाहिए, पर कहना चाहता हूँ यही मेरा भी जीवन दर्शन है!
२५० वीं पोस्ट पर बधाई आपको!
आशीष.
---
नौकरी इज़ नौकरी!
मन के आईने से हमने तो रोमांस कर लिया
जो समझ में आया वही पोस्ट में लिख दिया
बेबस बेकसूर ब्लूलाइन बसें
आदरणीय वन्दना जी
नमस्कार !
बस तू एक बार खुद से
रोमांस करने की कोशिश तो करना ..
...................बहुत खूब लिखा है
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ, क्षमा चाहूँगा,
२५० वी पोस्ट के लिए बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत ...........बधाई
एक अंगरेजी की कहावत भी है रिस्पेक्ट योरसेल्फ एंड यूं विल बी रिस्पेक्टेड
वंदना जी २५० वे पोस्ट के लिए बहुत बहुत शुभकामना और बधाई.. आपके लेखन की यह यात्रा अनवरत जारी रहे... यह कामना है.... आशावादी विचारों से भरी यह प्रेम कविता प्रेरित कर रही है...
bohot sahi kaha aapne vandana ji....bohot acchi rachna
बधाई बधाई बधाई। खुद से रोमांस करने के लिए किसी और से रोमांस करना पड़ता है,तभी अपना मतलब समझ में आता है। शुभकामनाएं।
जब कोई तुम्हारा हृदय तोड़ दे कि तर्ज पर बनी कविता लाजवाब है। बहुत ही श्रेष्ठ है, आनन्द आ गया। शुभकामनाएं।
koshish ?
wahi karti hun vandana ji ...
100 pratishat sahi kaha hai
sateek... har din ki jaddo_jahed ka elaaj hai aapki yeh panktiyan...
Bohot Bohot Khub.
क्या बात है वंदना जी! लाजवाब लिखा है.
२५० वीं पोस्ट पर ढेर सारी बधाई के साथ आप के सतत लेखन की कामना करता हूँ.
सादर
हर पंक्ति लाजवाब .........इससे बढ़कर कुछ शब्द नहीं हैं आपकी प्रस्तुति के लिए ।
जीवंतता बनाये रखने कि अच्छी सलाह .. :) अच्छे भावों से सजी खूबसूरत रचना
वंदना जी आपकी लेखन शक्ति और ऊर्जा को नमन...ऐसी ही लिखती रहें...बहुत शशक्त रचना दी है इस बार आपने...मेरी बधाई स्वीकारें.
नीरज
वाह क्या बात कही है .. खुद से रोमांस करना ....
एक ग़ज़ल के बोल याद आ गए ...
भीड़ में ज्यादा रहोगे खुद ही गम हो जाओगे .....
पम्च्वीं गोल्डन जुबली मुबारक हो
"man ke hare har hai
man ke jeete jeet"
kisi bhi paristtiti me jeeva jaari rakhne ka jajba saheje apki rachna aashavadi prvitti ka parichay deti hai...
वन्दना जी,
सबसे पहले २५० पोस्ट पर बधाई आपको .....पोस्ट बढ़िया लगी...
पर शुरू में तो आपने सब ख़त्म कर दिया ....अब क्या बिलकुल ही मरने के करीब पहुँच कर रोमांस शुरू करेंगे क्या?
नहीं जब तुम होश में आ जाओ......जब नींद से जग जाओ....तभी बाहर की बजे भीतर की तरफ की मुड जाओ..... क्यूँ सही कहा न मैंने?
बहुत बधाई हो, स्वयं से रोमांस करने का प्रयास करते हैं।
khud se hi romaans karne ki peshkash....
kya baat hai ji...
250 vi pot par badhai swikaar kare...
kunwar ji,
वंदना जी,
250 वीं पोस्ट के लिए बधाई।
दार्शनिक अंदाज वाली यह कविता अच्छी लगी।
खुद को प्यार करना , खुद पर विश्वास करना सीख लिया तो फिर क्या फिक्र ...
कविता ने अच्छा सन्देश किया ...
250 vi पोस्ट की बधाई !
बहुत खूब लिखा है २५० वीं पोस्ट की बधाई.
२५० वीं पोस्ट पर ढेर सारी बधाई
बस ५००वी पोस्ट की बधाई भी जल्दी ही दूँ..यही कामना है
सबसे पहले तो 250वीं पोस्ट की बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें!
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सिर्फ एक बार
खुद से रोमांस करने
की कोशिश करना
देखना ज़िन्दगी तेरी
सँवर जाएगी ...
--
बहुत सुन्दर रचना!
आपने रोंमांस की ताकत पर तो पूरी रचना ही रच दी!
बढ़िया रहा ये रोमांश-पुराण!
लीजीए जी ,पहले तो आप बधाई लीजीए ..डबल के ऊपर एक और हाफ़ सेंचुरी मारने के लिए ।
अब उसके बाद ...आपके कहे अनुसार रोमांस शुरू कर दिया है खुद से ही ..बस वेलेंटाईन डे पर खुद को प्रपोज़ कर देंगे ..बकिया देखा जाएगा
.
एक ऐसी अवस्था जब निराशा घेर लेती है तो उस समय के लिए जो उपाय बताया वो बहद सटीक है। इस सार्थक रचना के लिए आपको बधाई।
.
बधाई!!!
यूँ ही निरंतर सफर चलता रहे!!!
सुन्दर रचना !!!
250वीं पोस्ट की बधाई... आपने बहुत अच्छा लिखा है...
अब ...??
सुंदर भावाभिव्यक्ति। आभार।
ओह!
२५०वीं पोस्ट की बधाई।
.
.
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वंदना जी,
२५० वीं पोस्ट की बधाई...
खुद से रोमांस... हुम्म... :(
किया कैसे जाता है... यह भी बताइयेगा कभी।
...
जी..बहुत सही सन्देश .......
जब तक खुद हम अपना आदर नही करते ..दुसरे कभी नहीं करेगे ...
जो खुद से प्यार नहीं करता किसी और से कैसे कर सकता है .?
एक पल रुकना .............
बहुत सुन्दर ...
वंदना जी, आपका ब्लॉग देखा..बहुत सुन्दर है..और ये हिम्मत देनी वाली रचना...क्या बात!! बहुत अच्छा लिखती हैं.
बस एक पल ही तो नही रुकता इन्सान। जीवन की भागम भाग मे खुद से रोमांस करना ही भूल गया है। बहुत सकारात्मक सोच। बधाई वन्दना।
कविता का thought बहुत अच्छा है , कविता का flow भी बहुत अच्छा है .. हर इंसान को soul search करते रहना चाहिए ..
इस कविता के लिये और २५० वि पोस्ट के लिये दिल से बधाई ..और ढेर सारी मिठाई ...
vijay
bahut sundar sarkar
सही कहा आपने
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