पेज

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लॉग से कोई भी पोस्ट कहीं न लगाई जाये और न ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

सोमवार, 13 दिसंबर 2010

क्या यही मोहब्बत होती है ?

वो आते हैं 
कुछ देर 
बतियाते हैं
अपनी सुनाते हैं
और चले जाते हैं


क्या यही मोहब्बत होती है ?


अपनी बेचैनियाँ 
बयां कर जाते हैं 
दर्द की सारी तहरीर
सुना जाते हैं 
मगर
हाल-ए-दिल ना 
जान पाते हैं 


क्या यही मोहब्बत होती है ?


सिर्फ कुछ पलों 
का तसव्वुर
वो भी ख्वाब सा
बिखर जाता है
जब जाते- जाते
एक नया ज़ख्म
दे जाते हैं


क्या यही मोहब्बत होती है ?

46 टिप्‍पणियां:

Sunil Kumar ने कहा…

वंदना जी प्रेम का एक रूप यह भी है आपने तो मुहब्बत को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया हाँ जख्म देने की बात से इत्तफाक नहीं रखता हूँ , अच्छा लगा , बधाई

ZEAL ने कहा…

हाँ शायद यही मोहब्बत होती है।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

yah wah muhabbat nahi
pyaar shabdon se pare ek ehsaas hai
jahan waqt dikhta hi nahin

किलर झपाटा ने कहा…

अब वंदना जी,
लोग तो आजकल इसी को मोहब्बत डिफ़ाइन और डिज़ाइन करने में लगे हुए हैं, क्या करें ?

Kunwar Kusumesh ने कहा…

क्या यही मोहब्बत होती है ?
जी नहीं,ये मुहब्बत नहीं.
जो सिर्फ अपनी कहता है , महबूब कि सुनता ही नहीं वो आशिक नहीं हो सकता.
किसी ने कहा तो है कि:-
मुहब्बत दिल के बस इतने से अफ़साने को कहते हैं,
किसी की इक अदा पर दिल के आ जाने को कहते हैं.
ये बाते ख़ुद समझने की हैं , समझाई नहीं जातीं.
बड़े भोले हैं वो जो ये भी समझाने को कहते हैं

मनोज कुमार ने कहा…

हम्म! हां, जी, यही है! आपकी कविता पढकर गाए जा रहा हूं, वो पास रहें या दूर रहें नज़रों में समाए रहते हैं ..

Arvind Jangid ने कहा…

सुन्दर रचना, साधुवाद स्वीकारें.

Shekhar Suman ने कहा…

शायद यही मोहब्बत होती है....लेकिन जितनी देर रहती है बहुत खुशियाँ बाँट जाती है....

कुमार पलाश ने कहा…

प्यार के सभी पहलुओं को छू कर भी आप वही सवाल कर रही हैं... हाँ यही मोहब्बत है..

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι ने कहा…

एक नया ज़ख़्म दे जाते हैं , सुन्दर अभिव्यक्ति।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मोहब्बत के तीन स्वरूप।

बेनामी ने कहा…

awwwwwwwwww...kya hua vandana ji, gussa gussa si nazm hai ye to ;)
i understand, aisi hi baatein mere mann mein bhi uthti hain bohot....behrhaal, bohot khoobsurat nazm

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

सिर्फ अपनी कहते जाना और दूसरे की भावनाओं को महसूस न करना;ये मोहब्बत नहीं हो सकती.

सादर

amar jeet ने कहा…

क्या यही प्यार है
हां यही प्यार है !
मेरे ब्लॉग में SMS की दुनिया ........

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अपनी बेचैनियाँ
बयां कर जाते हैं
दर्द की सारी तहरीर
सुना जाते हैं
मगर
हाल-ए-दिल ना
जान पाते हैं

मुहब्बत करने वालों पर प्रश्न खड़ा करती हुई ...अच्छी रचना ...

राजेश उत्‍साही ने कहा…

जी हां बिलकुल सही समझा आपने यही मोहब्‍बत है। दिल की बातें कोई अपने दिलदार के सामने ही कह सकता है और ऐसे दिलदार के सामने जो बस सुनता रहे।
*
कविता भी प्रभावित करती है।

monali ने कहा…

Haan ye muhabbat to h magar ek tarfa.. tabhi to har baar ek naya zakhm dene wale ko ek aur mauka dene ki zidd ye mann kar baithta h.. sundar rachna :)

rafat ने कहा…

bahut khoob mohabbat se nye zakhm tak

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये इकतरफ़ा मुहब्बत होती है ... पर चाहे इकतरफ़ा ... मुहब्बत तो होती है ... बहुत अच्छी रचना है ...

बेनामी ने कहा…

साफ़ कहूँ तो नहीं......ये मोहब्बत नहीं होती है |

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

bilkul nahi ji!
yah koi baat hui..apni kah di..samnewale se kuchh nahi poonchha ki wah kis halat me hai..

magar kabhi-kabhi kahin-kahin aisa
bhi hota hai..
dil se likha hai..

सदा ने कहा…

सवालों के बीच खड़ी यह मुहब्‍बत ....ऐसी होती तो नहीं पर अक्‍सर हो जाती है ...।

मेरे भाव ने कहा…

प्रेम को अभिव्यक्त करती कविता अच्छी है...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 14 -12 -2010
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..


http://charchamanch.uchcharan.com/

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाह जी बहुत सुंदर सवाल किया आप के इस कविता मे, जिस मे दुसरे की खुशी पहले रखी जाये, शायद उसे ही मोहब्बत कहते हे. धन्यवाद

Satish Saxena ने कहा…

यह रचना अपना प्रभाव छोड़ गयी....आभार

Satish Saxena ने कहा…


आपना दर्द हल्का करने आये थे ...कर लिया ! आभार
आपका दर्द किसी और दिन सुनते हैं ...
मुहब्बत यह नहीं है तो और क्या है ??
इतनी देर तो रहे आपके पास ...
उसके बाद
और भी दर्द जमाने में हैं मुहब्बत के सिवा ....

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत अच्छी रचना |बधाई
आशा

Sushil Bakliwal ने कहा…

शायद... नारी के कोमल मन की सामान्य शिकायत.

Govind Salota ने कहा…

vandna ji shayad yahi mohhabbat hai..
aur aapki ye poem padhkar to aapke blog se hamein bhi mohabbat ho gayi hai.
bahut achccha likha hai

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

वाह, एक नारी हृदय द्वारा महसूस किए जा सकने वाले बहुत ही मार्मिक मनोभावों को व्यक्त करती विलक्षण कविता| बधाई वंदना जी|

Kailash Sharma ने कहा…

अपनी बेचैनियाँ
बयां कर जाते हैं
दर्द की सारी तहरीर
सुना जाते हैं
मगर
हाल-ए-दिल ना
जान पाते हैं ....

शायद यह आजकल की मोहब्बत हो..प्रेम में तो एक दूसरे के दर्द का अहसास बिना शब्दों में बयां किये हो जाता है...बहुत भावपूर्ण मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..आभार

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

दर्द सुनाएं तो सुनाएं किसको
मिले अपने जो क्यों छुपाए उसको
दवा और दुवा की चाहत मुझको
आप ना दो तो बताएं किसको

बस एक बार दिल खिल जाए
प्यार की बस्तियॉ लुटाएं उसको
आपाधापी भरे जीवन के हैं जख्म
गलत समझकर ना सताओ उसको.

Amit K Sagar ने कहा…

मुहब्बत के रूप अनेक. अच्छी रचना.
--
पंख, आबिदा और खुदा के लिए

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

हॉं, शायद यही मोहब्‍बत है।

---------
दिल्‍ली के दिलवाले ब्‍लॉगर।

kavita verma ने कहा…

muhabbat apane anokhe andaz me samne aati hai...par kabhi kabhi ye andaj bahut dardnak ho jata hai....kash vo samajh jaye kya ye mohabbat hai...badiya rachna ....

kavita verma ने कहा…

muhabbat apane anokhe andaz me samne aati hai...par kabhi kabhi ye andaj bahut dardnak ho jata hai....kash vo samajh jaye kya ye mohabbat hai...badiya rachna ....

kavita verma ने कहा…

muhabbat apane anokhe andaz me samne aati hai...par kabhi kabhi ye andaj bahut dardnak ho jata hai....kash vo samajh jaye kya ye mohabbat hai...badiya rachna ....

kavita verma ने कहा…

muhabbat apane anokhe andaz me samne aati hai...par kabhi kabhi ye andaj bahut dardnak ho jata hai....kash vo samajh jaye kya ye mohabbat hai...badiya rachna ....

kavita verma ने कहा…

muhabbat apane anokhe andaz me samne aati hai...par kabhi kabhi ye andaj bahut dardnak ho jata hai....kash vo samajh jaye kya ye mohabbat hai...badiya rachna ....

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

अपनी बेचौनियाँ
बयां कर जाते हैं
दर्द की सारी तहरीर
सुना जाते हैं
मगर
हाल-ए-दिल ना
जान पाते हैं
क्या यही मोहब्बत होती है ?

मोहब्बत के एक विशेष रूप को आपने खूबसूरती से कविता में पिरोया है।...अच्छी कविता।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बहुत सुन्दर ! आपकी कविता पढ़ वो गाना याद आ गया.. क्या यही प्यार है !

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

bahut sunder rachna... par yeh mohobbat nahi, khudgarzi kehlaati hai... par aksar mohobbat ki chaadar ode ghumaa karti hai...

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

गहरे जज्बात के साथ सुंदर कविता. सोंचनें को मजबूर करती हुई.... ....अच्छी प्रस्तुति

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) ने कहा…

मोहब्बत क्या होवे है? ये तो कोई न बता सके. बस होती है.

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

प्रेम को परिभाषित करती कविता में सवाल के उत्तर भी साथ दिए हैं आपने.. खुद को पा रहा हूँ मैं..