पेज

बुधवार, 15 दिसंबर 2010

मुमकिन है तुम आ जाओ

जब चाँद से आग बरसती हो
 और रूह मेरी तडपती हो
मुमकिन है तुम आ जाओ

जब आस का दिया बुझता हो
और सांस मेरी अटकती हो
मुमकिन  है तुम आ जाओ

जब सफ़र का अंतिम पड़ाव हो
और आँखों मेरी पथरायी हों
मुमकिन है तुम आ जाओ 


अच्छा चलते हैं अब
सुबह हुयी तो
फिर मिलेंगे

36 टिप्‍पणियां:

  1. वक्रोक्त में लिखी गई रचना का सौन्दर्य देखते ही बनता है!

    जवाब देंहटाएं
  2. इस रचना की संवेदना और शिल्पगत सौंदर्य मन को भाव विह्वल कर गए हैं। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    आज की कविता का अभिव्‍यंजना कौशल

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर और नाज़ुक अभिव्यक्ति। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार .............
    जी हाँ,मुमकिन हैं.......................

    जवाब देंहटाएं
  5. वंदना जी,

    क्या बात है .....चाँद से आग बरसा दी.....आखिरी लाइन बिलकुल भी अच्छी नहीं लगीं.....एकदम अलग सी हो गयीं|

    जवाब देंहटाएं
  6. ओह ऐसी विरह कि ...चाँद भी आग बरसाने लगा ...चाँदनी जलाने लगी ....

    जल्दी सुबह हो जो मिलने की आस बंधे ...और सूरज शीतल लगे

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर रचना.. काफी दिनों बाद कुछ पोस्ट किया आपने..

    रजनी चालीसा का जप करने ज़रूर पधारें ब्लॉग पर :)

    आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. आशा पर आसमान टिका है और कितनी जिन्दगी इसी आशा के सहारे चल रही हैं. उसको बहुत सुंदर शब्दों में आपने व्यक्त किया है.

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहद संवेदनशील रचना। आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. विरह व्यथा को कितने सुंदर शब्दों में ढाला है आपने!....मिलन की आस कितनी बलवती है!....

    जवाब देंहटाएं
  11. उम्मीद के सहारे जीने का मज़ा ही कुछ और है

    जवाब देंहटाएं
  12. एक अच्‍छी भली कविता ने अंत में दम तोड़ दिया।

    जवाब देंहटाएं
  13. mumkin hai tum aa jao......

    bada khoob andaaz hai....khoobsurat nazm :)

    जवाब देंहटाएं
  14. वंदना जी इसे संयोग ही कहेगें की आपकी "मुमकिन है तुम आ जाओ" मुझे अपनी " अब तो प्रियतम आ जाओ " के काफी करीब लगी जहाँ आपने कहा सुबह हुई तो फिर मिलेगे..
    और हमने कहा
    सूरज भी आने को है
    अब तो प्रियतम आ जाओ ......

    बहुत अच्छी रचना
    आपसे भी एक जुडाव सा महसूस होने लगा है

    जवाब देंहटाएं
  15. जब चांद से आग बरसती हो
    और रूह मेरी तड़पती हो
    मुमकिन है तुम आ जाओ।

    मन के कोमल भावों को अभिव्यक्त करती अति सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  16. vandna ji bahut pyari kavita hai... isi liye isey mai dubara charchamanch me rakh rahi hoon.. aapkaa abhaar..

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत ही खुब लिखा है आपने......आभार....मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित नई रचना है "प्रभु तुमको तो आकर" साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  18. क्या प्रवाह है इस कविता में.. लहरों की तरह बलखाती कविता.. भावों का रेला है... सुन्दर कविता

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया