मोहब्बत की बरसी नहीं होती
क्योंकि
मोहब्बत कभी मरती जो नहीं
सुना है ऐसा
क्या सच में ?
मिलोगे तुम मुझे भी
कभी ,कहीं ,किसी जहान में
कर सकोगे ऐसी मोहब्बत
मेरे नाम से शुरू हो
मेरे नाम पर ख़त्म हो
हर लफ्ज़ में बस मेरा ही नाम हो
तुम्हारी हर सांस पर
धडकता सिर्फ मेरा नाम हो
जिस्म में मोहब्बत लहू बनकर बहती हो
जहाँ से भी काटो ...........
लहू के कतरे की जगह
सिर्फ मोहब्बत ही बहती हो
कर सकोगे ऐसी मोहब्बत .........मेरे जाने के बाद भी मुझसे
मिल सकोगे कभी
जीवन की सांझ में
किसी मंदिर की सीढी पर
मोहब्बत की आराधना करते
एक दिया मोहब्बत के नाम का जलाते
उसमे अपने प्रेम का घृत डालते हुए
एक बाती यादों की जलाते हुए
मिलोगे क्या ..........किसी आखिरी मोड़ पर
आखिरी सांस पर
आखिरी धड़कन पर
आखिरी नज़र पर ...........रुके हुए
मेरी मोहब्बत की दास्ताँ पढ़ते
जाते हुए मुसाफिर को विदाई गीत सुनाते
रब का नाम नहीं यारा
मोहब्बत करने वालों का रब मोहब्बत ही होती है.........जानते हो ना
बस आखिरी विदा में
मोहब्बत का कलमा पढ़ देना ............
और रुखसती का रिवाज़ निभा देना
देखो दूसरा जन्म मैं नहीं जानती
आखिरी तमन्नाएं कहीं आखिरी ना रह जाएँ
और रूह कपडा बदल जाये
वो वक्त आने से पहले
ओ अनदेखे मोहब्बत के परिंदे .........क्या मिलोगे कभी तुम मुझे भी
मेरी आखिरी हसरत को परवाज़ देते
मेरी प्यासी रूह पर दो बूँद उंडेलते ..........अपनी मोहब्बत के अमृत की
यूँ ही नहीं मोहब्बत की कब्रें बना करती हैं
यूँ ही नहीं फ़रिश्ते वहाँ सजदे किया करते हैं
यूँ ही नहीं आसमाँ उस दर पर झुका करते हैं
मोहब्बत का खुदा बनने से पहले मोहब्बत के इम्तिहान हुआ करते हैं ...........जानते हो ना !!!!!!
23 टिप्पणियां:
बहुत बढिया! मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।
मोहब्बत ही मोहब्बत......से सरोबार है इस बार की लेखनी
कही दर्द ...कहीं आँसू ...तो कहीं प्यार ही प्यार
यह ख्याल कभी पीछा नहीं छोड़ता .... ऐ मुहब्बत , तुम्हारा इंतज़ार है
सशक्त लेखन |
बधाई |
पिछली पोस्ट पर अपनी लिखी हुई टिपण्णी पोस्ट न कर सका |
अफ़सोस है |
बाद में dcgpthravikar.blogspot.com
par पोस्ट की है |
वाह ...बहुत खूब ।
मोहब्बत वर्ष नहीं, जीवन परिभाषित करती है।
मोहब्बत न इम्तहान लेती है न इम्तहान में प्रस्तुत हो सकती है, क्योकि मोहब्बत सिर्फ और सिर्फ मोहब्बत होती है
बहुत ही सुन्दर....
kya baat hai , kya kavita likhi hai mophabbat ke naam par .wah
Vandana Gupta
वंदना ; ये तुम्हारे लिये :
http://apnokasath.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html?spref=fb
http://apnokasath.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html?spref=fb
http://indianwomanhasarrived.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html
हम सभी मित्र आपके साथ है . आप तो बस लिखते रहिये . जीवन चलते ही रहता है , इसकी गतिशीलता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है . कुछ लोग अगर आपके खिलाफ है तो बहुत से ज्यादा लोग आपके साथ भी है . और यही सबसे बड़ी बात है . लोग आपकी पोस्ट में मौजूद समस्या को छोड़कर उसकी भाषा और प्रस्तुति के पीछे पढ़ गए है . और सबसे बड़ी मूल समस्या इस देश की यही है . हम सभी मित्र आपके साथ है !!
जिस्म में मोहब्बत लहू बन कर बहती हो...
जहाँ से भी काटो...
लहू के कतरे की जगह
सिर्फ मोहब्बत ही बहती हो...
उफ़...कितनी संवेदनाएं हैं आपकी इस रचना में...कमाल किया है...बधाई
नीरज
waah very nice.
बहुत सुन्दर ..वन्दनाजी
"मोहब्बत करने वालों का रब मोहब्बत" वाह..बेहद सुंदर रचना वंदना जी.
रूह में बसी मुहब्बत ... बहुत प्रवाह मयी रचना ...
मोहब्बत है तो इम्तिहान कैसा
बहुत सुन्दर
कमाल का मोहब्बती जज्बा है आपका.
मोहब्बत का इम्तहान...बाप रे बाप.
परीक्षक को रिश्वत देकर ही पास हो जाते हैं आजकल.
मुहब्बत दिल से होती है उसके लिए किसी प्रमाण की जरूरत नहीं दिल से महसूस करना जरूरी होता है ... बहुत खूब ...
mohabbat may kar diay aaj to aapne...muhabbat kee barshi nahi hoti kyonki muhabbat kabhi marti nahi hai...msn ko choo gaye ye baat...jitni tarif kee jaaye kam hai..sasar badhayee aaur amantran ke sath
muhabbat ki khubsurat ahsason se saji rachna ke liye badhai
bahut sundar...sarthak srijan..bahut bahut badhai..
वाह....बहुत खूबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।
सुन्दर अभिव्यक्ति.....बधाई.....
एक टिप्पणी भेजें