tag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post7500847881870881069..comments2024-02-09T10:28:01.965+05:30Comments on ज़ख्म…जो फूलों ने दिये: तू मानव तो बनना सीख लेvandana guptahttp://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-68368785131013594842009-08-06T15:16:08.237+05:302009-08-06T15:16:08.237+05:30वन्दना जी,
आज आपकी अभी अभी दो रचनाये, "तू म...वन्दना जी, <br /><br />आज आपकी अभी अभी दो रचनाये, "तू मानव तो बनना सीख ले" और "पैसा ये सिर्फ पैसा है" पढी, बहुत अच्छी एवम सामयिक कविता थी.<br /><br />वाकई आदमी राम नही होता परन्तु स्त्री से सीता की उमीद जरूर करता है, समस्त मर्यादये स्त्रियो के लिये तो रखता है परन्तु स्वयम मर्यादाओ से स्वयम को ऊपर समझता है. ये बडी हैरानी की बात है. पर समय बदल रहा है, आदमी को इन्सान बनना होगा नही तो उसकी बनाई हदे उसे ही एक दिन समाप्त कर देन्गी. <br /><br />बहुत सुन्दर बधाईराकेश कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08397280715413909061noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-85792236859647550392009-05-05T11:08:00.000+05:302009-05-05T11:08:00.000+05:30राम भी बनने से पहले
तू मानव बनना सीख ले
बहुत बढ़ि...राम भी बनने से पहले <br />तू मानव बनना सीख ले<br />बहुत बढ़िया बात कही है आपने...वाह...पूरी रचना शानदार है...बधाई...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-23113539439828924852009-05-03T08:42:00.000+05:302009-05-03T08:42:00.000+05:30कविता में व्यक्त भावः सुन्दर है ,हालाँकि मानवीय मू...कविता में व्यक्त भावः सुन्दर है ,हालाँकि मानवीय मूल्यों की बात<br />कहने के लिए राम कितने उपयुक्त प्रतिमान हैं ...? ये सोचने वाली<br />बात है , राम अगर ईश्वर ही हैं तब तो ठीक है ...वो कुछ भी कर <br />सकते हैं ... लेकिन मानवीय पहलू उनका भी निर्विवाद/आदर्श नहीं है.....Deepak Tiruwahttps://www.blogger.com/profile/13682168547060101938noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-88112106439579363622009-05-02T18:43:00.000+05:302009-05-02T18:43:00.000+05:30पहली लाईन पढते ही आनंद आ गया था और यह अंदाजा भी हो...पहली लाईन पढते ही आनंद आ गया था और यह अंदाजा भी हो गया था कि रचना वाकई सुन्दर और बेहतरीन लिखी गई होगी। और हुआ भी वही। सच वंदना जी कमाल का लिखा है। अद्भुत।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-82287800812130879302009-05-02T15:42:00.000+05:302009-05-02T15:42:00.000+05:30सुन्दर भाव एवं प्रस्तुति।
शक्ल हो बस आदमी का क्या...सुन्दर भाव एवं प्रस्तुति।<br /><br />शक्ल हो बस आदमी का क्या यही पहचान है।<br />ढ़ूँढ़ता हूँ दर - ब - दर मिलता नहीं इन्सान है।।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-29015398737098871462009-05-02T14:32:00.000+05:302009-05-02T14:32:00.000+05:30ek sachchi baat kahi aapne ...chaahe kadvi bhale h...ek sachchi baat kahi aapne ...chaahe kadvi bhale hi lage...shukriyaअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-89072970670259032842009-05-02T13:55:00.000+05:302009-05-02T13:55:00.000+05:30बहुत ही प्रेरणा देने वाली कविता है ये..!आज यदि सभी...बहुत ही प्रेरणा देने वाली कविता है ये..!आज यदि सभी मानव बनना भी सीख ले तो शायद राम बन्ने की जरूरत ही न पड़े...!अछि रचना के लिए धन्यवाद..RAJNISH PARIHARhttps://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-38969396550340763312009-05-02T13:30:00.000+05:302009-05-02T13:30:00.000+05:30पहले तू मानव तो बनना सीख ले
तू मानव बनना सीख ले .....पहले तू मानव तो बनना सीख ले<br />तू मानव बनना सीख ले ................<br />vandanajii gupta,<br />very Nice poem...............................................<br />thaking u...<br />MUMBAI TIGER<br />HEY PRABHU YEH TERAPANTHMUMBAI TIGER मुम्बई टाईगरhttps://www.blogger.com/profile/12686479234497210080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2962073777377545256.post-41823337345220942302009-05-02T13:00:00.000+05:302009-05-02T13:00:00.000+05:30मानव-मानव बन,
रावण बन करके पछतायेगा।
जल जायेगी लं...मानव-मानव बन, <br />रावण बन करके पछतायेगा।<br />जल जायेगी लंका सारी, <br />मिट्टी में मिल जायेगा।<br /><br />सीता की है यही वन्दना, <br />कान खोल कर सुन लेना।<br />थोड़े से शब्दों को ही, <br />अपनी बुद्धि में गुण लेना।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com