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सोमवार, 26 मई 2008

अभिव्यक्ति

aasan नही होता ख़ुद को abhivyakt करना
न जाने kitni बार ख़ुद से ही लड़ना पड़ता है
न जाने kitni बार gir gir कर संभलना पड़ता है
हर मोड़ पर एक नया फ़साना होता है
जहाँ हर कोई बेगाना होता है
क्या ऐसे में कभी ख़ुद को abhivyakt कर सकते हैं
जब ऐसी राहें हो जहाँ चलना mushkil हो

हर बार अनजानी disha हो ,अनजानी manzil
मुझे पता भी न चले कहाँ जा रही हूँ मैं
तब ख़ुद को कैसे पाऊँगी और abhivyakt कर पाऊँगी

2 टिप्‍पणियां:

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया