विरानियाँ हैं घर मेरा
तन्हैयाँ हैं साथी
और गम हैं पड़ोसी
दिल कभी परेशां कैसे हो
जब ऐसा सुखद साथ हो
कोई खुशी दमन को छुए कैसे
जब हर तरफ़ रंजो गम की बरसात हो
मेरे घर में हमेशा दर्द का पहरा रहता है
अश्कों से हमेशा दामन भीगा रहता है
यह तो वो हरियाली है
जो कभी मुरझाती नही
ऐसी ब्हार है जो
आकर कभी जाती नही
वन्दना जी।
जवाब देंहटाएंआपका शब्द संयोजन अच्छा है,
बधाई।