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बुधवार, 17 सितंबर 2008

हमसफ़र साथ होते हुए भी तनहा हूँ मैं
ज़िन्दगी इससे बड़ी और क्या सज़ा देगी हमें

5 टिप्‍पणियां:

  1. साथ मिल जाये,
    दिल भी मिल जाये,
    ऐसे कम खुश-नसीब होते हैं।
    चाहे इसको सजा,
    कहो या मजा,
    रिश्ते बिल्कुल अजीब होते हैं।

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  2. साथ मिल जाये,
    दिल भी मिल जाये,
    ऐसे कम खुश-नसीब होते हैं।
    चाहे इसको सजा,
    कहो या मजा,
    रिश्ते बिल्कुल अजीब होते हैं।

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  3. जिंदगी साथ होते हुए भी तन्हा
    ...आखिर क्यों?
    शेर अर्ज किया है-
    किस दौर में जिंदगी बशर की है
    कि वो इस तरह बीमार की रात हो गई.

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