आज के अख़बार हिंदुस्तान में मैंने एक ख़बर पढ़ी की राहुल गाँधी एक दलित सुनीता के घर गए उसके बच्चों के पास पहनने को कपड़े भी नही थे और पिता कपड़े इसलिए पह्न्ताथा ताकि बच्चे भूख से न मरें और वो कुछ काम कर ला सके .........मगर मैं कहती हूँ कि वो बच्चे यदि भूख से न भी मरे तो सर्दी से मर जायेंगे ,मुसीबत तो तब भी कम नही हुयी उनके सिर से.............मेरा दिल सुबह से उसी बारे में सोचे जा रहा है ...................क्या हम उनके लिए कुछ नही कर सकते .............आज हमारा देश nuclear पॉवर बन गया है मगर हमारी जनता आज भी वहीँ उसी नरक में जी रही है ...................क्या राहुल गाँधी ने इस मुद्दे को उठाया....................क्या उनके लिए कुछ किया...........हो सकता है किया हो मगर और भी न जाने कितनी सुनितायें और उनके बच्चे इससे भी बुरी हालत में जी रहे हैं.....................उनके लिए उन्होंने क्या सोचा...............................हो सकता है कुछ सोचा हो और करना चाहते हों मगर क्या जो वो करना चाहते हैं वो उन तक पहुँच पायेगा .............इसका कोई इंतजाम किया उन्होंने.......................मेरी एक राय है ................क्यूँ नही राहुल देश की हर माता बहन से एक अपील करते कि उन गरीबों के लिए कुच्छ सोचें ......................वैसी ही अपील जैसी अभी देल्ही विधानसभा चुनावों में हुयी थी की वोट देना जरूरी है वरना पप्पू कहलाओगे ....................टीवी के मध्यम से बिल्कुल उसी प्रकार जैसे वोटिंग के लिए की उनके लिए भी करें ............क्या गरीबी की रेखा से ऊपर रहने वाले लोगों में इतनी भी दया या vivek नही होगा की वो इस अपील को समझ पाएं ...................उदाहरण के लिए ..........अगर आज इतनी बड़ी आबादी में से कम से कम २०-२५ करोड़ लोग तो ऐसे होंगे ही जो इस पर ध्यान दें .............अगर उनसे कहा जाए हर घर एक कपड़ा अपने घर से उनके लिए दो जिन्हें इतना भी नसीब नही की वो तन ढँक सकें तो क्या कोई इस पर ध्यान नही देगा.......................हर इन्सान उनके लिए कुछ न कुछ करना चाहेगा और इससे करीबन इतने ही दलितों को एक छोटी सी सहायता से तन ढंकने को कपड़ा नसीब हो जाएगा..............हर गृहिणी उनके लिए कुछ न कुछ देना चाहेगी क्यूंकि हम अपने न जाने कितने ही कपड़े मन से उतर जाते हैं तो छोड़ देते हैं तो क्या एक पहल उनके लिए नही कर पाएंगे ..................राहुल आज के युवा हैं उनसे ये उम्मीद है की वो इस दर्द को समझते हैं और इस सब के लिए कुछ ऐसा करेंगे जिससे वो सब उन्ही को मिले जिनके लिए किया गया है न की आज के भ्रष्ट नेता या अफसर उसे हड़प लें .............एक अपील ऐसी एक बार अगर वो कर दें तो सारी जनता उनका साथ देने को तैयार हो जाए ..........बस एक कोशिश , एक पहल की जरूरत है...................तभी देश की असली तरक्की है ।
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kyon appeal kaa intezaar?
जवाब देंहटाएंaapkee baat to apne aap mein sahee hai.
zaroorat hai soch badalne kee aur jan jagriti karne kee.
aur aapne achhee koshish kee hai.
sahi baat hai bilkul...is soch ko aur logo ko apnaana hoga
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