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रविवार, 8 फ़रवरी 2009

मोहब्बत ऐसे भी होती है शायद

न तुमने मुझे देखा
न कभी हम मिले
फिर भी न जाने कैसे
दिल मिल गए
सिर्फ़ जज़्बात हमने
गढे थे पन्नो पर
और वो ही हमारी
दिल की आवाज़ बन गए
बिना देखे भी
बिना इज़हार किए भी
शायद प्यार होता है
प्यार का शायद
ये भी इक मुकाम होता है
मोहब्बत ऐसे भी की जाती है
या शायद ये ही
मोहब्बत होती है
कभी मीरा सी
कभी राधा सी
मोहब्बत हर
तरह से होती है

9 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तम रचना ....मन को भावों को उकेर दिया ...

    अनिल कान्त
    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  2. कभी मीरा सी
    कभी राधा सी
    मोहब्बत हर
    तरह से होती है
    sahi kaha hai aapne. mohabbat hini hoti hai to bus ho jati hai.

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  3. सच में, मोहब्बत हर तरह से होती है।
    बहुत ख़ूब

    जवाब देंहटाएं
  4. vandana ji

    is sundar rachana ke liye badhai sweekar karen..

    कभी मीरा सी
    कभी राधा सी
    मोहब्बत हर
    तरह से होती है

    bahut bhaavpoorn abhivyakti..

    badhai

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूबसूरत रचना...मोहब्बत हर तरह से होती है...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  6. सच कुछ मोहब्बत ऐसी भी होती है। सुदंर भाव।
    कभी मीरा सी
    कभी राधा सी
    मोहब्बत हर
    तरह से होती है।

    बहुत ही उम्दा।

    जवाब देंहटाएं

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