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बुधवार, 8 अप्रैल 2009

कैसे ?

कैसे आऊं
ख्यालों में तुम्हारे
ज़माना देख न ले
कैसे रहूँ
दिल में तुम्हारे
दिल सबसे कह न दे
कैसे जियूं
संग तुम्हारे
ज़िन्दगी धोखा न दे दे
कैसे चलूँ
साथ तुम्हारे
राहें बदल न जायें
कैसे कहूँ
दिल की बातें
जहान सुन न ले

7 टिप्‍पणियां:

  1. सच्चा प्यार जिन्दगी में सरनामी लाता है।

    झूठा प्यार जिन्दगी में, बदनामी लाता है।।


    प्यार अगर है प्यार वह दिल में ही रहता है।

    विरह-व्यथा की बातें अपनों से ही कहता है।।

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  2. इस रचना को पढकर अपनी तुकबंदी की चंद लाईने याद आ गई। ....... वैसे सुन्दर भाव लिखे है। दुनियादारी हर काम के बीच में क्यों आ जाती है? कभी इस पर भी लिखना।

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  3. वाह जी बहुत ही बेहतरीन रचना के लिए ढेरों बधाईयां

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया