पेज

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

हर इंसान में है साहित्यकार छुपा

ये आसमान में उड़ने वाले
उन्मुक्त पंछी हैं
मत रोको इनकी उडान को
मत बांधो इनके पंखों को
बढ़ने दो इनकी परवाज़ को
फिर देखो इनकी उड़ान को
क्यूँ बांधते हो इन्हें
साहित्य के दायरों में
साहित्य तो ख़ुद बन जाएगा
एक बार उडान तो भरने दो
मत ललकारो प्रतिभावानों को
प्रतिभा स्वयं छलकती है
किसी भी साहित्य के दायरे में
प्रतिभा भला कब बंधती है
साहित्य भी कब बंधा है किसी दायरे में
हर इंसान में है साहित्य छुपा
जिसने भी रचना को रचा
वो ही है साहित्यकार बना
साहित्य ने कब बांधा किसी को
वो तो स्वयं शब्दों में बंधता है
शब्दों के गठजोड़ से ही तो
साहित्यकार जनमता है
हर लिखने वाला इंसान भी
बाँध रहा संसार को
वो भी तो साहित्यकार है
एक घर है परिवार है
इसलिए
मत रोको इनकी उडान को

11 टिप्‍पणियां:

  1. जिसने रचनाकारी की वो ही है जगत-नियन्ता।
    साहित्यकार ही कहलाता है शब्दो का अभियन्ता।।

    पर रचना ने कब यह माना वो तो अड़ी हुई है।
    इसीलिए साहित्यकार के मन में पड़ी हुई है।।

    जवाब देंहटाएं
  2. साहित्यिक स्वातंत्र्य की लिखी आपने बात।
    रचना बेहतर बन पड़ी छुपा हुआ जज्बात।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  3. वंदना जी
    साहित्य को उद्देश्य बना कर लिखी रचना ने निश्चित तौर पर साहित्य को नया आयाम दिया है.
    बात सही है की आप अभिव्यक्त तो कीजिये आप में साहित्य तो छिउपा हुआ है उसे बस बाहर लेन की आवश्यकता है.
    सुन्दर रचना
    - विजय

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर ढ़ग से कही गई एक सच्ची बात।

    जवाब देंहटाएं
  5. वंदना जी
    मेरी अपनी राय में अगर किसी चीज़ पर अंकुश न लगाया जाय तो क्या होगा,जैसे क्यारियों की उडान को,लड़कियों की उडान को, लड़कों की उडान, महिलाओं की उड़ान को,पुरुषों की उड़ान को, या फिर साहित्य क्षेत्र में, जीवन की हर चीज उचित रूप में अच्छी लगती है.सजी संवरी चीजे ही अच्छी लगती हैं वंदना जी मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लें . इसका मतलब ये कतई नहीं है कि मैं आपकी रचनाये पसंद नहीं करता हूँ मेरी शुभ कामनाये आपके साथ हैं.

    जवाब देंहटाएं
  6. mujhe to apki baat sau fi sadi satya lagi,
    jab main sahityakaar banne ki soch sakta hoon...
    :)

    on a serious note , good poem:
    "sahitya ne kab baandha hai kisi ko?"

    जवाब देंहटाएं
  7. जिसने भी रचना को रचा
    वो ही है साहित्यकार बना

    वाह, बहुत गहरी बात लिख दी.

    बधाई हो,

    आभार हर साहित्यकार को संबल प्रदान करने का.

    चन्द्र मोहन गुप्त

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया