पेज

रविवार, 19 जुलाई 2009

बिना कारण ही

बिना कारण भी
दिल उदास होता है
बिना कारण भी
कोई आस - पास होता है
कभी ख्यालों में
दस्तक देता है
कभी ख्वाबों में
दिखाई देता है
बिना कारण भी
नज़रों को धोखा होता है
पलकों की चिलमन में
बिना कारण भी
कोई क़ैद रहता है
पलकों के गिरने उठने की गति
सांसों की डोर ठहरा जाती है
बिना कारण ही
कई बार ऐसा भी होता है
साँसे थम सी जाती हैं
नब्ज़ भी रुकने लगती है
मगर बिना कारण
तब भी दिल धड़कता रहता है
किसी की आहट पर
बिना कारण ही
भटकता रहता है
कभी जज़्बात लरजने लगते हैं
कभी अरमान बहकने लगते हैं
बिना कारण ही
कभी जीवन महकने लगता है
कई बार ऐसा भी होता है
बिना कारण ही
कई बार ऐसा भी होता है

28 टिप्‍पणियां:

  1. बिन कारण कुछ भी नहीं तर्कशास्त्र की बात।
    होता तभी उदास दिल जब दिल को आघात।।

    वान्दना जी अच्छा लिखा है आपने। apke comments hamare prerna stort hain इसमें stort को srot कर लीजिए।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  2. वन्दना जी

    आपकी यह रचना बहुत खूबसूरत बन पडी है. सही कहा है हमारे जीवन मे बहुत कुछ अकारण होता है. पर यह अकारण घटित भी कारण बन जाता है
    .

    बहुत खूब कहा है. यह तारीफ बिना कारण नही है.

    जवाब देंहटाएं
  3. वंदना जी बहुत खूब लिखा है आपने...बहुत अच्छी रचना...हर बात का कोई कारण ही हो ये जरूरी तो नहीं... ये बात बहुत अच्छे से कही है आपने...वाह...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  4. जब कोई आस-पास होता है,
    मन सुमन को ये आभास होता है।
    कभी जीवन महकने लगता है
    कई बार ऐसा भी होता है
    बिना कारण ही
    कई बार ऐसा भी होता है,

    बहुत बढ़िया भाव,
    लाजवाब प्रस्तुति।
    बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बहुत बहुत ही संदर कविता है आपकी..
    एक ऐसी स्तिथि को उकेरती है आपकी कविता जिसे शायद लाखों ने जिया हो...
    खूबसूरत अल्फाज़ और जागृत ज़ज्बात,
    बहुत खूब....
    लिखते रहिये

    जवाब देंहटाएं
  6. वन्दना जी जब ये सब बिना कारण होता है तब समझो कोई बहुत बडा कारण है जो समझ कर भी आदमी समझना नहीं चाहता बहुत सुन्दर कविता है आभार्

    जवाब देंहटाएं
  7. वंदना जी खूब लिखा है आपने...बहुत अच्छी रचना...लिखते रहिये.

    जवाब देंहटाएं
  8. kya baat hai,sahi ye ehsaas binkaaran hi kabhi ho jaate hai bahut sunder

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छा लिखा है आपने । आपके विचार यथार्थ के निकट हैं। शब्दों का सहज प्रयोग भाषा को आकर्षक और विचारों को प्रभावशाली बनाता है।
    मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-शिवभक्ति और आस्था का प्रवाह है कांवड़ यात्रा-समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-

    http://ashokvichar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  10. बिना कारण भी
    दिल उदास होता है
    बिना कारण भी
    कोई आस - पास होता है
    कभी ख्यालों में
    दस्तक देता है
    कभी ख्वाबों में
    दिखाई देता है

    बहुत सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  11. कभी जज़्बात लरजने लगते हैं
    कभी अरमान बहकने लगते हैं
    बिना कारण ही
    कभी जीवन महकने लगता है
    कई बार ऐसा भी होता है
    बिना कारण ही
    कई बार ऐसा भी होता है

    bahut achcha laga padh kar badhai

    जवाब देंहटाएं
  12. क्या कहने? बहुत अच्छा लिखा है आपने.

    जवाब देंहटाएं
  13. Haan..kitna sahee hai...'bina karan kabhee koyi door ho jata hai, bina karan hee kabhee koyi aaspaas hota hai..!'
    Alfaaz alag hain, bhav vahee hain...mere dilke aaspas...

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://lalitlekh.blogspot.com

    http://shama-kahanee.blogspot.com

    http://shama-baagwaanee.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  14. वन्दना जी,

    मैं यह टिप्पणी आपके गीत नवल कुसुम के लिये लिख रहा हूँ। बहुत ही अच्छे भाव और क्लासिकल अंदाज अपनी बात कहने का। आदरणीय शास्त्री साहब के सहयोग से बहुत अच्छा रियाज हो रहा है, आपका।

    शायद किसी तकनीकि त्रुटी की वज़ह से जिन्दगी-वन्दना ब्लॉग पर अपेलट नही खुल पा रहा है।

    ड़ॉ. रूपचंद शास्त्री साहब की सदाशयता और बड़प्पन ही है कि वह अपने समय हम लोगों के लिये भी निकाल पाते हैं।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

    जवाब देंहटाएं
  15. इतनी अच्छी एवं सार्थक रचना ....
    बिना कारण...?!?!
    नहीं तो .....!!
    एक-एक लफ्ज़ कोई न कोई कारण छिपाए है
    सच्चाई का , मेहनत का , संयोजन का ....
    पूरी रचना प्रभावशाली है .... बधाई
    ---मुफलिस---

    जवाब देंहटाएं
  16. Bina karan itna sab kuch ho sakta hai ....socha to laga haa ho sakta hai...aapki kavita ne sochne ke liye majboor ker diya hai....

    जवाब देंहटाएं
  17. vandana ji
    sach kahain toh bina karan kuch nahi hota, har ehsaas koi na koi karan se juda hota hai
    aapki rachna bahut achi lagi
    wada hain aab yahan mulakaat hoti rahegi
    shubkamnaon ke saath
    nira

    जवाब देंहटाएं
  18. i ma speachless vandana for this very expressive poem .. main kuch bhi nahi kahna chahunga ...prem sirf prem ki gahan anubhooti hai ye rachna ...

    namaskar

    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया