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शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

ख्वाबों के घरोंदे

आज कुछ
ख्वाबों को

दिल की
धरती पर
बोया है
आशाओं के
बीजों को
दिल की मिटटी में
कुछ ऐसे
बो दिया
कि जैसे कोई
आशिक
अपनी महबूबा
की हसरत में
ख़ुद को
मिटा देता हो
अब इसमें
हर सपने की
एक-एक
कणिका को
खाद बनाया है
जैसे कोई
स्वर्णकार
किरच-किरच
सोने की
संभाले जाता हो
और उसमें
दिल के हर
अरमान की
बूँद - बूँद का
पानी दिया है
जैसे कोई
मूर्तिकार
अपनी शिल्प में
आखिरी हीरा
जड़ रहा हो
अब तो बस
इंतज़ार है
उस पल का
जब आशाओं की
फसल लहलहाएगी
दिल की धरती भी
महक-महक जायेगी
हर ख्वाब को
उसकी ताबीर मिल जायेगी

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रचना है।
    बधाई हो!
    आखिर सागर का मन्थन कर मोती
    खोज ही लिए आपने।

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  2. बहुत सुन्दर lagi आपकी यह रचना बधाई

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  3. har khwaab ko usaki tabir mil jayegi
    .....mai to yahi kahunga ki .....aamin.........dil se nikali baat

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. सच ख्वाबों को बुनते रहना चाहिए। ख्वाब बिन सब सुन रे भईया। सुन्दर।

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  6. khoobsurat kahayal..
    acchi rachna..
    aasha ki fasal lahlaha gayi hai vandana ji..
    badhai

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  7. अच्छा लिखा है आपने । भाव, विचार और सटीक शब्दों के चयन से आपकी अभिव्यक्ति बड़ी प्रखर हो गई है।

    मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-इन देशभक्त महिलाओं के जज्बे को सलाम-समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  8. ऐ खुदा ! हर ख्वाब की किस्मत में ताबीर लिख
    दे.....डॉ. अमरजीत कौंके

    जवाब देंहटाएं
  9. अब तो बस
    इंतज़ार है
    उस पल का
    जब आशाओं की
    फसल लहलहाएगी
    दिल की धरती भी
    महक-महक जायेगी
    हर ख्वाब को
    उसकी ताबीर मिल जायेगी

    atisundar!!!

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  10. जब आशाओं की
    फसल लहलहाएगी
    दिल की धरती भी
    महक-महक जायेगी
    हर ख्वाब को
    उसकी ताबीर मिल जायेग
    वाह सुन्दर एहसास हो तो ऐसा हो बहुत बहुत बधाई

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  11. हर ख्वाब को
    उसकी ताबीर मिल जायेगी
    ===
    आशावादी --
    सार्थक बिम्ब --
    खूबसूरत एहसास --
    सुन्दर कविता --

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  12. ख्वाबों को/आशाओं के/बीजों को/बो दिया/ख़ुद को/मिटा/हर सपने की/अरमान की/हर ख्वाब को/उसकी ताबीर मिल जायेगी.

    सुन्‍दर, भावपूर्ण वाक्‍य विन्‍यास.

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  13. वन्दना जी ,

    बहुत सुन्दर भावो को स्वयम मे समेटी रचना

    आज कुछ
    ख्वाबों को
    दिल की
    धरती पर
    बोया है

    जैसे कोई
    स्वर्णकार
    किरच-किरच
    सोने की
    संभाले जाता हो
    और उसमें
    दिल के हर
    अरमान की

    अब तो बस
    इंतज़ार है
    उस पल का
    जब आशाओं की
    फसल लहलहाएगी

    इस आशावादी रचना के लिये ाआपको बधाई, मै मा सरस्वती से प्रार्थना करून्गा कि वे ाआपकी कलम को ीइसी तरह धार देते रहे.
    सादर
    राकेश

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  14. vandana , kaash khwaabo ki wo jubaan ham samajh paate ... aapne to jabardasht upmaao ke dwara is kavita ko ji liya hai ....
    namaskar

    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया