पेज

गुरुवार, 3 मार्च 2011

पता नहीं क्यों…………

पता नहीं क्यों
बसते हो तुम मुझमे
कितनी बार चाहा
तोड़ दूँ चाहत का भरम
हर बार तुम्हारी चाहत
मुझे कमजोर कर गयी

पता नहीं क्यों

इतना चाहते हो मुझे
कितनी बार चाहा
भूल जाओ तुम मुझे
हर बार तुम्हारा प्यार
मंजिल से मिला गया

पता नहीं क्यों

याद करते हो मुझे
कितनी बार चाहा
लगा दूँ ताला 

दिल के दरवाज़े पर
हर बार तुम्हारी

भीगी नज़रें
भिगो गयीं मुझे
और मैं 

तेरे प्रेम के आगे
खुद से हार गयी

45 टिप्‍पणियां:

  1. प्यार में समर्पण को दर्शाती अच्छी कृति..
    बधाइयाँ..

    जवाब देंहटाएं
  2. दिल के दरवाजे पर ताले कहाँ लगते हैं ...जिसको भुलाने में इतनी मशक्कतें हैं ,भुलाये ही क्यों !
    सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  3. एकदम प्यार में डूबी रचना है यह तो....ख़ूबसूरत :)

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहद सुन्दर कविता.. प्रेम में खुद से हारना प्रेम को पाना है..

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द इस रचना के ...बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  6. खुद से हार कर ही दूसरो से जीतते है
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. 'हर बार तुम्हारी

    भीगी नज़रें

    भिगो गयीं मुझे

    और मैं

    तेरे प्रेम के आगे

    खुद से हार गयी '

    ह्रदय की कोमल भावनावों की सुन्दर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह...
    प्रेम से परिपूर्ण, प्रेम की भावनाओं से प्रेरित रचना...

    जवाब देंहटाएं
  9. कितनी बार चाहा
    लगा दूँ ताला
    दिल के दरवाज़े पर.
    खुबसूरत अहसास को खुबसूरत अल्फ़ाज देना तारीफ़ के क़ाबिल है |शुभकामनायें ...

    जवाब देंहटाएं
  10. "उधो ! मन नाही दस बीस ,एक हुतो सो गयो
    श्याम संग .." दिल के दरवाजे पे ताला कैसे लग पायेगा ,जब ताले की कुंजी ही उसके पास है.कितना सुखद हारना है आपका .
    भक्ति और भावों की सुंदर अभिव्यक्ति .

    जवाब देंहटाएं
  11. प्रेम का ये परिभाषा अच्छी है, गहरी अनुभूतियो से उपजे बात के लिए बधाई, आशा है और गहरी कविताये लिखेगी आप

    जवाब देंहटाएं
  12. वंदना जी,
    एक बार फिर आपकी खूबसूरत प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  13. ''किसी को दिल न देने की कसम हर बार खाई है,
    मगर मजबूर है, हमसे यही हर बार होता है।''
    प्‍यार की बेहतरीन रचना।
    बधाई हो आपको।

    जवाब देंहटाएं
  14. पता नहीं क्यों
    याद करते हो मुझे
    कितनी बार चाहा
    लगा दूँ ताला
    दिल के दरवाज़े पर
    हर बार तुम्हारी
    भीगी नज़रें
    भिगो गयीं मुझे
    और मैं
    तेरे प्रेम के आगे
    खुद से हार गयी
    --
    सुन्दर रचना!
    विशेषज्ञों द्वारा इसी को तो प्यार का नाम दिया गया है!

    जवाब देंहटाएं
  15. पता नहीं क्यों
    याद करते हो मुझे
    कितनी बार चाहा
    लगा दूँ ताला
    दिल के दरवाज़े पर
    हर बार तुम्हारी
    भीगी नज़रें
    भिगो गयीं मुझे
    और मैं
    तेरे प्रेम के आगे
    खुद से हार गयी...mann kee is sthiti ko bahut pyaare shabd diye hain

    जवाब देंहटाएं
  16. हर बार तुम्हारी

    भीगी नज़रें

    भिगो गयीं मुझे

    और मैं

    तेरे प्रेम के आगे

    खुद से हार गयी '

    प्यार में डूबी, बहुत ही प्यारी कविता.

    जवाब देंहटाएं
  17. yes dear...prem ke aage khud se haarna hi padta hai....

    bohot sundar kavita, bheegi si :)

    जवाब देंहटाएं
  18. वंदना जी,

    प्रेम में ऐसी ही शक्ति होती है.....उसका बंधन बड़ा प्रगाड़ होता है.....तोड़ने से भी नहीं टूटता|

    जवाब देंहटाएं
  19. सच ..पता नहीं क्यों होता है ऐसा :):)

    बहुत कोमल भावों को समेटे अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  20. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (05.03.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

    जवाब देंहटाएं
  21. 'kitni baar chaha................' bala para kuchh jyada hi pasand aaya.

    जवाब देंहटाएं
  22. समर्पण के भावों की बेहतेरीन अभिव्यक्ति ......
    बहुत खूब !

    जवाब देंहटाएं
  23. यही तो प्यार है। सुन्दर कविता।

    जवाब देंहटाएं
  24. तुम्हारी
    भीगी नज़रें
    भिगो गयीं मुझे
    और मैं
    तेरे प्रेम के आगे
    खुद से हार गयी...

    बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  25. पता नहीं क्यों...एक अतिविशाल शब्द, अतिव्यापक कथ्य और उसपर आपकी कविता के भाव, दिल के कोमल घावों को शालीनता से उकेर दे रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  26. बहुत सुन्दर.....एक-एक शब्द भावपूर्ण
    कविता की तारीफ जितनी की जाए कम है.

    जवाब देंहटाएं
  27. प्रेम में सम्पूर्ण समर्पण को रेखांकित करती बहुत ही सुन्दर रचना..

    जवाब देंहटाएं
  28. प्रेम की शक्ति को दर्शाती हुई बहुत सुंदर अभिव्यक्ति -

    जवाब देंहटाएं
  29. बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  30. ‘भीगी पलकें‘ ईश्वर का उपहार है।
    बहुत प्यारी कविता।

    जवाब देंहटाएं
  31. करना था इंकार, मगर इकरार तुम्हीं से कर बैठे... ना ना करते ...!बहुत ही भावपूर्ण और सुंदर रचना के लिए बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  32. प्रेम में हारना जीतना होता है ... गहरे एहसास समेत कर लिखी रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  33. प्रेममयी आपकी कविता बहुत सुन्दर... हर बार आपकी भीगी पलकों .... बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया