आज मोहब्बत चरम पर है शायद
तभी तुम , तुम्हारी याद , तुम्हारी परछाईं
सभी जान लेने पर तुली हैं
ए .........एक बार पुकार लो ना
मेरे मन के रेगिस्तान मेंतभी तुम , तुम्हारी याद , तुम्हारी परछाईं
सभी जान लेने पर तुली हैं
ए .........एक बार पुकार लो ना
जब से तुम्हारे प्रेम का
फूल खिला है सनम
अब कैक्टस भी
गुलाब नज़र आता है
ये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया
क्या मौसम जवाँ हो गया है
या दिल बेकाबू हो गया है
जो तुम इतना याद आ रहे हो
ए .........एक बार पुकार लो ना
शायद दिल कुछ सम्हल जाये
शायद अरमान कुछ निकल जायें
शायद इक हसरत ही निकल जाये
दिल की जुस्तजू परवान चढ जाये
बस ………एक बार पुकार लो ना
वो मेरे साथ कभी आया भी नही
जवाब देंहटाएंउसे खोया भी नही और पाया भी नही
रोशनी के बाद भी साथ चला है
रास्ते गवाह है वो मेर साया भी नही
didi padkar achha lga...
aabhaar..
बहुत खूबसूरत .कितनी कोमल संवेदनाएं .लगे रहिए-प्रदीप नील www.neelsahib.blogspot.com
जवाब देंहटाएंवाह ....बहुत खूब ।।
जवाब देंहटाएंप्रेम में डूब कर लिखी गई कविता.. खो गया था थोड़ी देर के लिए... बेहतरीन !
जवाब देंहटाएंlagta he pyar ho gaya.....dil se.. khubsurat...
जवाब देंहटाएंBahut Khub ,
जवाब देंहटाएंआज मोहब्बत चरम पर है शायद
जवाब देंहटाएंतभी तुम , तुम्हारी याद , तुम्हारी परछाईं
सभी जान लेने पर तुली हैं
:) :) ...अभी भी पुकारना बाकी है ...कैक्टस तक तो गुलाब नज़र आ रहे हैं ...
यह जादू है एहसास का , सोच का ..खूबसूरत एहसास
यह पुकार इतनी आग्रहपूर्ण है कि न आने का प्रश्न ही नहीं उठता है आखिरकार इतनी ईमानदारीपूर्वक उन्मुक्त होकर बुलाना भी तो एक कला है। अब अगली कविता "लो ओ आ गए" तर्ज पर होगी ऐसा मेरा अनुमान है।
जवाब देंहटाएंआज दिल काबू में नहीं
जवाब देंहटाएंये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया
.........भावपूर्ण पंक्तियों के लिए बधाई !
bhavapoorn prastuti....
जवाब देंहटाएं'आज दिल काबू में नहीं
जवाब देंहटाएंये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया'
उसका जादू और नशा ही ऐसा है
'हेरी मै तो प्रेम दीवानी ,मेरा दर्द ना जाने कोय
सूली ऊपर सेज पिया की किस विधि मिलना होई'
आज दिल काबू में नहीं
जवाब देंहटाएंये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया
बहुत खूब*****
भावपूर्ण पंक्तियों के लिए बधाई*****
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंसादर
प्रेमभरी पुकार।
जवाब देंहटाएंवियोग शृंगार की
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावप्रणव रचना!
एक बार पुकार लो ना
जवाब देंहटाएं... dam hai is kahe me
वो मेरे साथ कभी आया भी नही
जवाब देंहटाएंउसे खोया भी नही और पाया भी नही
...दिल से निकली हुई दर्द भरी आवाज का आभास इस कविता में मिल रहा है!...बधाई वंदना!
सुन्दर कविता...प्रेम ज्यादा समझ नहीं पता हूँ..जितना समझा हूँ उतने के आधार पर कह सकता हूँ...
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसुरत कविता, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंओये होए.....क्या बात है......ऐसे पुकारने पर भी जो न आये वो पत्थर दिल ही होगा.....
जवाब देंहटाएंबड़ी प्यारी पुकार ...शुभकामनायें आपको !!
जवाब देंहटाएंयादे कुछ ऐसी आई आँखों से रोया न गया !
जवाब देंहटाएंजख्म कुछ ऐसे छिले फूलो पे सोया न गया !!
कमाल का एहसास !कमाल की अभिव्यक्ति !
प्रेम से भरी खूबसूरत मनुहार ....!
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna .
बहुत खुबसुरत कविता, धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंआज दिल काबू में नहीं
जवाब देंहटाएंये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया
प्रेमभरी अभिव्यक्ति !
प्यार में डूबी कोमल संवेदनाओं का शब्द चित्र बहुत ही खूबसूरती से आपने उकेरा है !
जवाब देंहटाएंबधाई वंदना जी !
वंदना जी ,
जवाब देंहटाएंपूरी रचना रसभरी .....
मगर
'ए............एक बार पुकार लो ना'............मुखड़े का जवाब नहीं .....लाजवाब
यह प्यारा सा अनुरोध कोई कैसे अनसुना कर पायेगा ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ।
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंपुकार ही लिया होगा अब तक ....):
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर नज़्म की बधाई ....!!
वन्दना जी यहाँ खडी बोली..... बिना लग लपेट के शब्दों का चयन उर्दू, अरबी, फारसी के साथ अंग्रेजी बिना भेद भाव के, बस निरंतरता की कमी कही खल रही है, कुल मिला कर एक अच्छी रचना, थोड़ा निरंतरता पर ध्यान दें.
जवाब देंहटाएंवन्दना जी यहाँ खडी बोली..... बिना लग लपेट के शब्दों का चयन उर्दू, अरबी, फारसी के साथ अंग्रेजी बिना भेद भाव के, बस निरंतरता की कमी कही खल रही है, कुल मिला कर एक अच्छी रचना, थोड़ा निरंतरता पर ध्यान दें.
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