देखने का नजरिया अपना अपना एक आपका और एक उनका आप अपने नजरिये से ठीक और वे भी अपने नजरिये से ठीक अब किसको सही कहें और किसको गलत समझने वालों का भी तो नजरिया अपना अपना
शिला बनने की चाहत जानकर भी वहाँ कुछ कहे बिना चले गए थे लेकिन यहाँ बिना कुछ कहे कैसे जा सकते हैं...दरिया वापिस नहीं मुड़ा करते लेकिन राह बदल कर फिर से किसी दूसरे मोड़ पर मिल जाया करते हैं...
सच कहा है आपने ! हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने दरिया वापस नहीं मुड़ा करते.
जवाब देंहटाएंसादर
ओह ..कम शब्दों में गहन बात ...प्रस्तुति अच्छी लगी ...सागर के किनारे खड़ा होना था न ..बह जाने का डर नहीं होता :) :)
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में अपने पूरे भावों को व्यक्त किया है आपने...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाये
कम शब्दों में प्रेम की गहन अभिव्यक्ति हो रही है... बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है! कम शब्दों में काफी कुछ कह दिया आपने!
जवाब देंहटाएं....कम शब्दों में गहन बात
जवाब देंहटाएंसार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
वंदना जी,
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति है......वाकई सच है जो चला जाता है वो लौट कर नहीं आता....
एक दम सच कहा ...दरिया वापस नही मुड़ा करते ......बधाई
जवाब देंहटाएंहाँ सही है. अक्सर ऐसा ही होता है.
जवाब देंहटाएंवाह .... बहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar prastuti shubhkamnaye.
जवाब देंहटाएंjo choot gaya so choot gaya...mana wah ek sitara tha...par chhoot gaya to chhot gaya...uski takleef mat karo sakhi...wo sapna tha jo bas toot gaya...
जवाब देंहटाएंदिल को छू गयी कहीं ये पंक्तियाँ - दरिया वापस नहीं मुड़ा करते हैं.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण.
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में गहरी बात। बधाई।
जवाब देंहटाएंदरिया वापस
जवाब देंहटाएंनही मुडा करते... aur main khadi rahi ,
nihshabd
दरिया वापस नहीं मुडा करते !
जवाब देंहटाएंकाश कि तुम्हे यह इल्म होता !!
अति सुन्दर !
वाकई बहकर तुम ही आगे निकल गये जहाँ मुडना सम्भव नहीं । शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंसचमुच ! गुज़रा हुआ ज़माना आता नहीं दोबारा , हाफ़िज़ खुदा तुम्हारा !
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक!
जवाब देंहटाएंमगर बनारस में तो उल्टी गंगा बहती है!
यानि दक्षिण से उत्तर की ओर को!
बहुत लम्बा इंतजार हे... लेकिन दरिया कभी उलटा थोडे बहता हे...बहुत सुंदर भाव. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंदरिया वापस नहीं मुड़ा करते ...Beautiful expression !
जवाब देंहटाएं.
देखने का नजरिया अपना अपना
जवाब देंहटाएंएक आपका और एक उनका
आप अपने नजरिये से ठीक
और वे भी अपने नजरिये से ठीक
अब किसको सही कहें और किसको गलत
समझने वालों का भी तो नजरिया अपना अपना
शिला बनने की चाहत जानकर भी वहाँ कुछ कहे बिना चले गए थे लेकिन यहाँ बिना कुछ कहे कैसे जा सकते हैं...दरिया वापिस नहीं मुड़ा करते लेकिन राह बदल कर फिर से किसी दूसरे मोड़ पर मिल जाया करते हैं...
जवाब देंहटाएं'दरिया वापस नहीं मुड़ा करते '
जवाब देंहटाएंप्रभावी प्रस्तुति...सुन्दर ....सम्प्रेषण क्षमता से परिपूर्ण
दरिया वापस नहीं मुड़ा करते. खूबसूरत विम्ब .
जवाब देंहटाएंदरिया वापस नहीं मुड़ा करते ,..
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में गहरी बात !
दरिया तो बहता ही रहता मुड़ना उसने सीखा ही नहीं |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना |
बहने वाले रुकते नहीं हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें !
मगर तुम ही
जवाब देंहटाएंना जाने कब
और कैसे
समय के साथ
बह गये
दरिया वापस
नही मुडा करते.....
yahi sach hai vandana ji yahi sach hai.
sundar rachna !
bahut badhia ...
जवाब देंहटाएंmarm ko chhoote hue..gahan bhav hain...
bahut sahi kaha aapne....
जवाब देंहटाएंबेहद गहन अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.