शून्य शून्य और सिर्फ़ शून्य
पता नही फिर भी लगता है
कुछ बचता है कहीं शून्य से परे
स्वंय का बोध
या कोई कडी
अगली सृष्टि की
अलग रचना की
अलग सरंचना की
कुछ तो ऐसा है जो
बचता है शून्य के बाद भी
शून्य से शून्य मे समाना
बदलना होगा इस विचार को
खोजना होगा उस एक तारे को
उस नव ब्रह्मांड को
उस नव निर्माण को
जो बचता है शून्यता के बाद भी
पता नही फिर भी लगता है
कुछ बचता है कहीं शून्य से परे
स्वंय का बोध
या कोई कडी
अगली सृष्टि की
अलग रचना की
अलग सरंचना की
कुछ तो ऐसा है जो
बचता है शून्य के बाद भी
शून्य से शून्य मे समाना
बदलना होगा इस विचार को
खोजना होगा उस एक तारे को
उस नव ब्रह्मांड को
उस नव निर्माण को
जो बचता है शून्यता के बाद भी
बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंसदर
खूबसूरत आध्यात्मिक रचना!
जवाब देंहटाएंयह शून्यता कई सवाल ले आती है ... बहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंखोजना होगा उस एक तारे को
जवाब देंहटाएंउस नव ब्रह्मांड को
उस नव निर्माण को
जो बचता है शून्यता के बाद भी
जो मिट्कर भी नही मिटता
बहुत ही सार्थक रचना....
शून्यता के बाद भी किसी चीज़ का बचना... गहरा अर्थ समेटे है अपने भीतर यह विम्ब... अच्छी मनोवैज्ञानिक कविता...
जवाब देंहटाएंयह शून्यता कई सवाल ले आती है.....
जवाब देंहटाएंवह भी उत्तर विहीन प्रश्न , लाचार इन्सान फिर भी तलाश जारी है | सुन्दर अभिव्यक्ति, आभार
शून्य से शून्यता की ओर,
जवाब देंहटाएंशून्यता से परे...
--
शायद कुछ भी नहीं!
--
सुन्दर विवेचनायुक्त बढ़िया भावप्रणव रचना!
आपकी कविता को पढने के बाद सांख्य दर्शन की यह मान्यता याद आ गयी कि सृष्टि की उत्पत्ति शून्य से होती है और अंततः यह शून्य में विलीन हो जाती है. बहुत अच्छी कविता है..बधाई!
जवाब देंहटाएं-----देवेंद्र गौतम
खोजना होगा उस एक तारे को
जवाब देंहटाएंउस नव ब्रह्मांड को
उस नव निर्माण को
जो बचता है शून्यता के बाद भी
जो मिट्कर भी नही मिटता....
..kya bhav hai....shunya ke bad ki khoj aapke hi bute ki baat hai Vandana ji...aap me hi hai wo kshamta !
शून्यता के बाद का शेष
जवाब देंहटाएंशायद यही स्वयं का बोध है
एक सवाल उठती पोस्ट ! उम्दा
जवाब देंहटाएंकुछ ना होने से ही
जवाब देंहटाएंकुछ होने को खोज लेना
सार्थकता का प्रमाण है ....
काव्य का शब्द-शब्द
मननीय है .
दार्शनिक भावों से परिपूर्ण कविता।
जवाब देंहटाएंशुन्य का महत्त्व तो विवेकानंद जी ने भी बताया है..
जवाब देंहटाएंशुन्यता के बाद सृजन होता है..अतः नवसृजन का प्रथम सोपान है शुन्यता..
सुन्दर रचना आभार..
आशुतोष की कलम से....: मैकाले की प्रासंगिकता और भारत की वर्तमान शिक्षा एवं समाज व्यवस्था में मैकाले प्रभाव :
Shunya ke bad ka vistaar nihshesh ho jata...shoonya ke pare man ashesh ho jaata...
जवाब देंहटाएंBadhayee
आध्यात्मिकता और रहस्य की बातें। सुंदर, अति सुंदर।
जवाब देंहटाएंvahi to shunay ke baad bhi to bchtaa hai kuchh shi kha . akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंbhut gahra chintan...
जवाब देंहटाएंbahut hi accha likha hai aapne fir se,
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति...सार्थक रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंशून्य और अनन्त के बीच ही सारी सृष्टि आश्रय पा रही है.केवल वह ही पूर्ण है.
जवाब देंहटाएंपूर्ण इदं पूर्णमिद पूर्णात पूर्णम उदच्येत
शून्य के बाद भी कुछ शेष है ...
जवाब देंहटाएंइसकी की तलाश दर्शन और अध्यात्म है !
तलाश एक नए आयाम की ... बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबचता है शून्य के बाद भी
जवाब देंहटाएंशून्य से शून्य मे समाना
is gahanta ko samajhna aam logo ke vash me nahi
शून्य शून्य शून्य!
जवाब देंहटाएंशून्यता के बाद भी कुछ और की तलाश ..बहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंजो शून्य है वही पूर्ण है इस तरह तो शून्य में सब कुछ ही समाया हुआ है ! सुंदर कविता !
जवाब देंहटाएंफिर यहाँ गहरा रहस्यवाद, मानवीयकरण के साथ विषय की जीवन्तता, कितनी आसानी से ये सब कर लेती हैं आप. वैचारिक दंद्वों को कविता का रूप दे देना वास्तव में अद्भुत! अद्भुत! है, मानवीय व्यंजनाओं को भाव देना और फिर लिपि ये एक बड़ा काम है. ये रचना आपकी दूसरी सबसे उत्कृष्ट रचना है. कहीं समीक्षक सिर्फ मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, शायद तकनीकी रूप को छोड़ दिया जाय तो ये पिछले कई सालों में पढी दूसरी सर्वश्रेष्ठ रचना है, पहली भी आपकी ही थी.
जवाब देंहटाएं....वाह..क्या खूब लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंजीवन के यथार्थ का बोध कराती सुन्दर कविता..बधाई.
जवाब देंहटाएंसुंदर आध्यात्मिक रचना । शून्य के बाद भी शून्य ही तो बचता है शून्य यानि पूर्णत्व कोई द्विधा नही ।
जवाब देंहटाएंशून्य के बाद ही संभावनाओं का समुद्र मिलता है।
जवाब देंहटाएंबिलकुल, कुछ तो है, शून्य के बाद भी...
जवाब देंहटाएंदुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
उसी शून्य कि तो खोज सभी को है दोस्त काश वो शून्य मिल जाये |
जवाब देंहटाएंखोजना होगा उस एक तारे को
जवाब देंहटाएंउस नव ब्रह्मांड को
उस नव निर्माण को
जो बचता है शून्यता के बाद भी
खूबसूरत भाव...!!
vishya vastu kamaal ki hai...gud one!
जवाब देंहटाएं