वेदना को शब्द दे सकती
तो पुकारती तुम को
शायद नीम के पत्ते
तोड़ लाते तुम और
लगा देते पीस कर
मेरे ज़ख्मो पर
जानती हूँ
नीम भी बेअसर है
मगर तुम्हारी
खुशफहमी तो दूर
हो जाती और शायद
मेरी वेदना को भी
खुराक मिल जाती
मगर शायद तुम नहीं जानते
नीम हर दर्द की दवा नहीं होता
क्या ला सकते हो कहीं से
मीठा नीम मेरे लिये?
तो पुकारती तुम को
शायद नीम के पत्ते
तोड़ लाते तुम और
लगा देते पीस कर
मेरे ज़ख्मो पर
जानती हूँ
नीम भी बेअसर है
मगर तुम्हारी
खुशफहमी तो दूर
हो जाती और शायद
मेरी वेदना को भी
खुराक मिल जाती
मगर शायद तुम नहीं जानते
नीम हर दर्द की दवा नहीं होता
क्या ला सकते हो कहीं से
मीठा नीम मेरे लिये?
क्या ला सकते हो कहीं से
जवाब देंहटाएंमीठा नीम मेरे लिये?
जी वंदना जी. मीठा नीम तो हमारे यहाँ लगा हुआ है.अब बताईये कैसे प्रयोग होगा इसका आपके लिए ?
आपके शब्द हमेशा ही अद्भुत होते हैं ये कैसे अलग रहेगा
जवाब देंहटाएंभावनाओं का चित्रण करना कोई आप से सीखे
अरे कहाँ से लाती हो इतने गहरे भाव!
जवाब देंहटाएंलो मेरी तो कविता की शुरूआत भी हो गई!
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वेदना को शब्द कोई, दे नहीं सकता कभी!
जब लगी हो चोट कोई, आह उठती है तभी!!
क्या ला सकते हो कहीं से
जवाब देंहटाएंमीठा नीम मेरे लिये?..... bhawnaaon kee seema is meethe neem me nihit hai
आपकी रचनाओं में हमेशा एक नया विम्ब और भावनाओं की अनुपम अभिव्यक्ति... वेदना को आप कितनी तरह से महसूस और अभिव्यक्त कर पाती हैं...वाकई कमाल है. नमन है आपकी लेखनी को. आभार
जवाब देंहटाएंभावनात्मक खुबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंबच्चन जी की पंक्तियाँ याद आ गयी..
जवाब देंहटाएंक्यों न हम लें मान, हम हैं
चल रहे ऐसी डगर पर,
हर पथिक जिस पर अकेला,
दुख नहीं बंटते परस्पर,
दूसरों की वेदना में
वेदना जो है दिखाता,
वेदना से मुक्ति का निज
हर्ष केवल वह छिपाता;
तुम दुखी हो तो सुखी मैं
विश्व का अभिशाप भारी!
क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी?
क्या करूँ?
क्या ला सकते हो कहीं से
जवाब देंहटाएंमीठा नीम मेरे लिये?
वेदना को शब्द ऐसे आपने दिए,
आंशू रुके नहीं जो आपने पिए,
नीम तो मिल जायेगा, अपनों ही में,
क्या दवा बन पायेगा वीरानगी में ?
दर्द भरी रचना, शुकून के लिए शुभकामनायें
मेरे दर्दे दिल की दवा मिली न मुझे ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ...
सरल, सहज शब्द..गहरे भाव...ह्रदय को छूते हुए...बधाई!
जवाब देंहटाएंखुशफहमी तो दूर
जवाब देंहटाएंहो जाती और शायद
मेरी वेदना को भी
खुराक मिल जाती
बहुत ही दर्द भरी गहन अभिव्यक्ति है...
कुछ दर्द ऎसे भी होते हे जो मीठे लगते हे, हम जान बूझ कर उन का इलाज नही करते, सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत गहरे भाव
जवाब देंहटाएंबहुत गहरे भाव
जवाब देंहटाएंअद्भुत परिकल्पना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव
मीठा नीम तो प्रारम्भ में ही होता है, बाद में सब नीम की तरह कड़वे हो जाते हैं।
जवाब देंहटाएंgahan bhaaw , sundar rachanaa
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियॉं.
जवाब देंहटाएंनीम का फल जब पक जाता है तब मीठा होता है.
सुंदर भावों से सजी नज्म !
जवाब देंहटाएंसच कहा वंदना जी"नीम हर मर्ज की दवा नहीं होता" लेकिन नीम की चाहत जाती भी तो नहीं.तभी तो मीठा नीम लाने की बात हो रही है.शब्दहीन वेदना को स्नेहिल स्पर्श की जरूरत होती है जो किसी भी कड़वाहट को मिठास में बदल सकती है.बहुत भावपूर्ण मन की गहरे में उतरती हुई.
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही अच्छे भावमय करते शब्द ।
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति है
जवाब देंहटाएंनीम हर दर्द की दवा नहीं होता ,ला सकते हो मेरे लिए एक मीठा नीम ...शानदार भाव -बोध ,अभिव्यक्ति का आँचल आखिर कब तलक छला जाएगा ?
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बिम्ब ... सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंनीम हर मर्ज़ की दवा नहीं होता.....वाह बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंवाह...वन्दना जी..बहुत सुंदर रचना..आज लेखनी का एक और सबक सीखा.. धन्यवाद :)
जवाब देंहटाएंAwesome !!! so thoughtful !! :)
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