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बुधवार, 29 जून 2011

ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है

ये आस्तीन के साँपों की दुनिया
ये झूठे चालबाजों की दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है

कभी झूठी बातें कभी झूठे चेहरे

कभी इन्सान को मिटाने के
करते हैं बखेड़े
हर एक शख्स झूठा
हर इक शय है धोखा
अपनों की भीड़ में छुपा है वो चेहरा
गर इसे पहचान भी जायें तो क्या है
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है

कभी पीठ में खंजर भोंकती है दुनिया

कभी सच्चाइयों को रौंदती है दुनिया
हर तरफ फैली है नफ़रत की आँधी
हर ओर जैसे बिखरी हो तबाही
बंजर चेहरों में अक्स छुपाती ये दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है





अब चाहे मिटाओ या फूंक डालो ये दुनिया
मेरे किसी काम की नहीं है ये दुनिया 
बारूद के ढेर पर बैठी ये दुनिया  
किसी की कभी न होती ये दुनिया
कितना बचके चलना यहाँ पर
 किसी को कभी न बख्शती ये दुनिया 
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है

34 टिप्‍पणियां:

  1. वन्दना जी!
    इस दुनिया की कटुता को आपने बहुत अच्छी तरह व्यक्त किया है।
    बहुत अच्छी लगी आपकी यह नई कविता।

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  2. हर इक शय है धोखा
    अपनों की भीड़ में छुपा है वो चेहरा
    गर इसे पहचान भी जायें तो क्या है
    ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है

    दुनिया का असली चेहरा यही रह गया है,

    बहुत ही सटीक शब्दों में सच्चाई बयां कर दी आपने,बधाई !!

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  3. दुनिया की कटु सच्चाई को व्यक्त करती हुई एक वास्तविक रचना।
    वर्तमान की सभी समस्याओं को समेट लिया आपने।
    अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर है।

    शब्द चयन भी अच्छा है।
    सच में इस भ्रष्टाचार के यु में दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या?

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  4. किसी की कभी न होती ये दुनिया ...


    बिल्‍कुल सच कहा है आपने ।

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  5. दुनिया तो हमें यही मिली है। मगर इस दुनिया से कहां जाएं।

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  6. वाह वंदना जी वाह...एक पुआरने गाने को नए और सटीक वस्त्र पहनाएं हैं आपने...हालात अब भी वैसे ही हैं जैसे इस गाने को लिखते वक्त थे...फिल्म गुलाल में पियूष मिश्र जी ने इसे दुबारा लिखा और अद्भुत ढंग से गाया भी है..यहाँ देखें

    http://youtu.be/e50WqCFthAM

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  7. aaj rachna me ranj ka rang hi bikhra hai ...ye dil mom sa hota hai ...jhat se tapne lagta hai ...beshak ye duniya aisi hai ...par hamko to foolon ka mausam lana hai ...

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  8. बंजर चेहरों में अक्स छुपाती ये दुनिया
    ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है
    ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है

    यथार्थपरक सुन्दर कविता....

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  9. फिर भी दुनिया को हम छोड नही सकते चले रहते हैं दुनिया को पाने के लिये। यही तो करामात है दुनिया की। अच्छी रचना। बधाई।

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  10. 'ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है'

    बहुत कोसा है आपने इस दुनिया को.
    जैसी हमारी चाहतें होंगीं वैसी ही तो दुनिया होगी हमारी.
    'सीता'जी ने भी 'चाहत' की स्वर्ण मृग की और अपहरण हो गया उनका रावण (अहंकार)द्वारा.
    हम भी तो 'स्वर्ण मृगों' की चाहतें रखतें हैं और दौड़ा देतें हैं राम को उनके पीछे.फिर क्यूँ कोसते हैं दुनिया को.
    जो यह दुनिया दे रही है उसका मान देना चाहिये.
    जो नहीं दे रही उसके लिए अपने में ही बदलाव की कोशिश करनी चाहिये है.

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  11. जैसी बची है, वैसी की वैसी बचा लो ये दुनिया...

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  12. . समय को आइना दिखाती कविता... गंभीर मुद्दों पर रौशनी डालती... खूबसूरत कविता..

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  13. दुनिया का असली चेहरा यही रह गया है,अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर है।बहुत ही सटीक शब्दों में सच्चाई बयां की है... बधाई वन्दना जी..

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  14. कभी पीठ में खंजर भोंकती है दुनिया
    कभी सच्चाइयों को रौंदती है दुनिया
    हर तरफ फैली है नफ़रत की आँधी
    हर ओर जैसे बिखरी हो तबाही
    बंजर चेहरों में अक्स छुपाती ये दुनिया

    आज का कटु सत्य ... लगता है काफी भडास निकल गयी होगी

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  15. ये आस्तीन के साँपों की दुनिया
    ये झूठे चालबाजों की दुनिया
    ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है
    .....
    Han Vandana ji wakyi agar ye duniya yahi hai to fir nahi chahiye...magar agar isme kahin mohabbat bhi ho to ???
    sonch lo aap :P

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  16. कटु सत्य को बेहतरीन गीत में ढाला है आपने.

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  17. फिल्मी गाने की पैरोडी बहत बढ़िया बनाई है आपने!

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  18. ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है
    हर इक शय है धोखा
    अपनों की भीड़ में छुपा है वो चेहरा
    गर इसे पहचान भी जायें तो क्या है
    ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है....
    एक कडबा सत्य......

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  19. बहुत सुन्दर रचना
    दुनिया के बारे मैं क्या खूब लिखा है
    कभी हमारे ब्लॉग पर भी आगमन करे
    vikasgarg23.blogspot.com

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  20. फिल्म ’प्यासा’ के लिये साहिर साहब का लिखा गीत याद आ गया ।
    सच है दुनिया का रूप दिनोंदिन बीभत्स होता जा रहा है ।

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  21. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच

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  22. Sach hai vandana ji,
    aj ki duniya ka ekdam asali chehra utara hai aapne.
    badhai swikare.

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  23. 'प्यासा' का ये गीत रफ़ी साहब की आवाज़ में अमर हो गया.......इस सच को जितना जल्दी जान लो उतना ही अच्छा |

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  24. खुद को रोकते , सब सही होने का भ्रम पालते कभी कभी ये अनुभूतियाँ रास्ता रोक ही लेती हैं ....
    कटु सत्य !

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  25. सच्चाई को बेबाक बयाँ करती अच्छी रचना ......खुबसूरत पैरोडी

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  26. बड़ी जालिम और झूठी है ये दुनिया ...सच कहा आपने , ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है ... धन्यवाद

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  27. कभी पीठ में खंजर ...कभी सच्चाइयों को रौंदती --
    वंदना जी बहुत सुन्दर आज के हालत को परिदर्षित करती रचना -मौका मिल जाये छद्म वेश वालों को बस ...
    शुक्ल भ्रमर ५

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  28. बहुत सुंदर रचना, क्या बात है।

    जी आपको अपने ब्लाग पर देख कर वाकई बहुत अच्छा लगा। मुझे उम्मीद है कि ये स्नेह आगे भी बना रहेगा।

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  29. किधर से शुरू करून, किधर से ख़तम करून |
    जिन्दगी का फ़साना, कैसे तेरी नज़र करून |
    है ख्याल जिन्दगी का, कैसे मुनव्वर करून |
    मगरिब के जानिब खड़ा, कैसे तसव्वुर करून |

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