कर दिये बंद सारे दरवाज़े
खिडकियाँ झरोखे
समेट लिया खुद को
अन्तस मे
घुटने के लिये
देखना है अब नज़ारा
बिलबिलाते अन्तस के
टुकडे होते अस्तित्व का
और शोधन से उपजे
नये द्रव्य का परिमाण क्या होगा
खिडकियाँ झरोखे
समेट लिया खुद को
अन्तस मे
घुटने के लिये
देखना है अब नज़ारा
बिलबिलाते अन्तस के
टुकडे होते अस्तित्व का
और शोधन से उपजे
नये द्रव्य का परिमाण क्या होगा
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंवंदना जी ये क्या हो गया आइये रौशनी आती झरोखे में झांके कुछ नया शोधन से उपजे
जवाब देंहटाएंनये द्रव्य का परिमाण और उसका हश्र अच्छा ही होगा
सुन्दर रचना - आभार
शुक्ल भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
वाकयी में दमदार है आपकी लेखनी :-)
जवाब देंहटाएंविचारणीय कविता, आभार......
जवाब देंहटाएंविचारणीय कविता, आभार......
जवाब देंहटाएंअंतर्ध्वनि व्यक्त करती पंक्तियाँ , बधाई
जवाब देंहटाएंvandana ji...
जवाब देंहटाएंbahut hee bhaavpoorn rachna aapki kalam se ek baar phir...
मेरी नई पोस्ट पे आपका स्वागत् है....
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2011/07/blog-post.html
भौतिकी के नये पृष्ठ कुछ नये नतीजे आयेंगे
जवाब देंहटाएंआनेवाले युग में नव - सिद्धांत पढ़ाए जायेंगे.
मन को उद्वेलित करती अभिव्यक्ति .आभार
जवाब देंहटाएंनए शब्द नए रूप में अलंकृत से लगे..... भावना बहुत गहरी है.....इस शोधन का ही परिणाम है..... या परिमाण है.....
जवाब देंहटाएंफूटेगा एक ज्वालामुखी ... बहुत संवेदनशील रचना है ..
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक द्रष्टिकोण से हल ढूंढने की कवायद अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंपरिणाम जानते जानते बहुत देर हो जाती है।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण...
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण.
जवाब देंहटाएंविचारणीय रचना...
जवाब देंहटाएंकम शब्दो मे गहरी बात बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी लेखनी
जवाब देंहटाएंयह तो आत्ममंथन जैसा लग रहा है
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण अभिवयक्ति...
जवाब देंहटाएंतराजू के ह्रदय तल पर यह
जवाब देंहटाएंऔर दूसरे पलड़े में कौन सा भार |
पुराना, शेर वाला या
इस ग्राम वाला ||
देख लो--
पासंग भी ||
कहीं पासंग भर ही न निकले |
बधाई ||
खुबसूरत अंदाज ||
बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आत्म मंथन सा करती अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंटुकडे होते अस्तित्व का
जवाब देंहटाएंऔर शोधन से उपजे
नये द्रव्य का परिमाण क्या होगा
नए द्रव्य का परिमाण यकीनन अनंत होगा यदि आपने बीच में ही प्रयोग समाप्त न कर दिया...
बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंयह भी एक उच्चकोटि की साधना ही है |
खुद में खुद की तलाश का अंत सार्थक ही होगा|
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