गुरु
शिक्षा दे या दीक्षा
करता ज्ञान प्रकाश
शिक्षा गुरु करता
राह रौशन जीवन की
मन्ज़िल तक पहुँचाता
जीवन जीने की
राह सुगम बनाता
दीक्षा गुरु करता
अध्यात्म प्रकाश
मार्ग मुक्ति का बतलाता
शिष्य को उस राह पर चलाता
मुक्ति की राह दिखाता
तत्वत:
गुरु के दोनो रूप
एक मे ही समाहित हैं
गुरु भाव मे ही
परम कल्याण नज़र आता
“गुरु” का तात्विक
विवेचन
“गु” यानि अन्धकार
“रु” यानि प्रकाश
अन्धकार से प्रकाश की ओर
जो ले जाये
वो ही तो वास्तव मे गुरु कहलाये
फिर चाहे किसी रूप मे
गुरु मिल जाये
शिक्षा दे या दीक्षा
मगर आत्म कल्याण का मार्ग बताये
मुक्ति की राह दिखाये
मंज़िल तक पहुंचाये
जीवन प्रकाशित कर जाये
वो ही वास्तव मे
“गुरु” कहलाये
सच है ...गुरु बिन ज्ञान नही !
जवाब देंहटाएंगुरु की सार्थक व्याख्या
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकल 04/07/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' जुलाई का महीना ''
गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाए
जवाब देंहटाएंगुरु के महत्त्व पे प्रकाश डालती सुन्दर रचना ... सार्थक लेखन ...
जवाब देंहटाएंSUNDAR
जवाब देंहटाएंगुरुपूर्णिमा के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाए
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और बेहतरीन अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएं:-)
बिन गुरु ज्ञान संभव नहीं है।
जवाब देंहटाएंगुरु-पूर्णिमा को गुरु का महत्व रेखांकित करती सुन्दर रचना -
जवाब देंहटाएंगुरु,एवं गुरुजनों को प्रणाम !
गुरुता भरी पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंतत्व ज्ञान को सीखने की जो सच्ची उत्कट इच्छा रख्खे वही शिष्य है.ऐसे शिष्य के लिए परमात्मा
जवाब देंहटाएंगुरु रूप में सर्वत्र उपलब्ध है.
'अखंड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्'
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपको नमन.
'गुरु नाम ही ज्ञान का है' की उक्ति को चरितार्थ करती रचना. बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंजीवन का अन्धकार हटाये, वह गुरु..
जवाब देंहटाएंजीवन प्रकाशित कर जाये
जवाब देंहटाएंवो ही वास्तव मे “गुरु” कहलाये
सच कहा ....
मुक्ति की राह दिखायेमंज़िल तक पहुंचायेजीवन प्रकाशित कर जायेवो ही वास्तव मे “गुरु” कहलाये...........
जवाब देंहटाएंji haan sahi mayne me wo hi guru hai...
"गुरु बिन ज्ञान नहीं "
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !!