सत्ता बीमार है या मानसिकता
इंसानियत मर गयी या शर्मसार है
मौत तो आनी है इक दिन
मगर मौत से पहले हुयी मौत से
कौन कौन शर्मसार है ?
क्योंकि
न इंसानियत बची न इन्सान
लगता है आज तो बस बेबसी है शर्मसार………
चेहरा जो ढाँप लिया तुमने
अब पीढियाँ ना हों शर्मसार
यारा करो कोई ऐसा व्यवहार
चेहरा जो ढाँप लिया तुमने
तो क्या जुर्म छुप गया उसमें
क्या करेगा ओ नादान उस दिन
जब तेरा ज़मीर हिसाब करेगा तुझसे
क्या करेगा ओ नादान उस दिन
जब तेरा ज़मीर हिसाब करेगा तुझसे
अब पीढियाँ ना हों शर्मसार
यारा करो कोई ऐसा व्यवहार
अब अंगार हाथ में रख
जुबाँ पर इक कटार रख
देख तस्वीर बदल जायेगी
बस हौसलों की दीवार बुलंद रख
जुबाँ पर इक कटार रख
देख तस्वीर बदल जायेगी
बस हौसलों की दीवार बुलंद रख
ख़ामोशी की गूँज ऐसी होनी चाहिए
सोच के परदे फाड़ने वाली होनी चाहिए
व्यर्थ न जाये बलिदान उसका
अब ऐसी क्रांति होनी चाहिए
यही होगी सच्ची श्रद्धांजलि
जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक सुधार संभव नहीं क्योंकि देखो चाहे मृत्युदंड का प्रावधान है हत्या के विरुद्ध तो क्या हत्यायें होनी बंद हो गयीं नहीं ना तो बेशक कानून सख्त होना चाहिये इस संदर्भ में मगर उसके साथ मानसिकता का बदलना बहुत जरूरी है जब तक हमाiरी सोच नही बदलेगी जब तक हम अपने बच्चों से शुरुआत नहीं करेंगे उन्हें अच्छे संस्कार नहीं देंगे औरत और आदमी मे फ़र्क नहीं होता दोनो के समान अधिकार और कर्तव्य हैं और बराबर का सम्मान जब तक ऐसी सोच को पोषित नहीं करेंगे तब तक बदलाव संभव नहीं ।
खामोशी की गूंज ही मन के सन्नाटे को हटा सकती है .... हर एक को आत्म मंथन करना होगा ....
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि***** चेहरा जो ढाँप लिया तुमने
जवाब देंहटाएंतो क्या जुर्म छुप गया उसमें
क्या करेगा ओ नादान उस दिन
जब तेरा ज़मीर हिसाब करेगा तुझसे
अब पीढियाँ ना हों शर्मसार
aapके विचारों से सहमत हूँ दर असल मानसिक परिवर्तन के बिना कुछ नहीं हो सकता
जवाब देंहटाएंपरिवर्तन की जो आग भभकी है,उसे बुझने नहीं देना है ...
जवाब देंहटाएंउचित उत्तर हो इस प्रश्न का।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना ...जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी
जवाब देंहटाएंपरिवर्तन असंभव है !
सटीक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसार्थकता लिये सशक्त लेखन ...
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।
जवाब देंहटाएंब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...
दोनों गजलें लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
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