पेज

बुधवार, 12 दिसंबर 2012

उपन्यास का इससे सुखद अंत और क्या होगा ?

 दर्द शापित होता है तभी तो अदृश्य होता है फिर भी भासित होता है ...........नींद की गोलियां भी बेअसर ..........उम्र की कडाही में खौलता रेशा रेशा तड़पने को मजबूर ..........कोई ऊँगली डालने को भी राजी नहीं वहां दर्द की तासीर बड़ी मीठी हो जाती है अपनी कडवाहट से ...........आखिर दर्द भी तो पनाह चाहता है न कसकने के आगोश में .........चिंदी चिंदी कर बिखरना आसान होता है मगर ठोस बनना मुश्किल फिर सीने के लिए कहाँ मिलता है कोई दरजी जो दर्द की एक- एक पोर को सीं दे और जोड़ दे उसमे कुछ रेशे अपनी पैरवी के ............नहीं मिलता कोई रंगरेजा जो उँडेल दे रंगों का इन्द्रधनुष और मिटा दे दर्द की ताबीर ...........मिटटी को कब मिला आसमान , कुटना, पिसना और मिटना ही तो नियति है फिर क्यों  न दर्द को ही सखी बनाया जाये और कुछ पल उसके आगोश में सिमटा जाए ............यूँ भी घूँट घूँट कर पीने से राहत मिलती है रेशमी दुल्हनों को ..............कोई जरूरी तो नहीं न दूल्हे  ने हर बार सेहरा ही लगाया हो ............बेनकाब आतिशों पर सायों की परछाईयाँ कब हमसफ़र बन कर साथ चलती हैं ...........यूँ भी दर्द की दुल्हन तो हमेशा ही सिन्दूर को तरसती है ..............कुछ दुल्हन बिन श्रृंगार के ही डोलियों में विदा होती हैं ............आखिर अंतिम विदाई के भी तो कुछ दस्तूर होते हैं निभाने के लिए ..........रेशम के कफ़न तो सबको नसीब होते हैं फिर विदाई की अंतिम बेला में कुछ तो दस्तूर बदलने चाहिए ............दर्द की किताब हो और आखिरी पन्ना फटा हुआ हो ...............उपन्यास का इससे सुखद अंत और क्या होगा ?

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही शानदार........दिल को छूती पंक्तियाँ ।

    जवाब देंहटाएं
  2. यह दर्द ओढ़ा हुआ मालूम पड़ता है। दर्द भरी कहानियों में स्वतः ही द एंड से पहले ही बाहर हो लेना ठीक। कौन चाहता है पूरा दर्द। जितना कम हो,उतना अच्छा।

    जवाब देंहटाएं
  3. मन को छूते शब्‍द ... शब्‍दों में ढलता दर्द
    बहता है तो कहता है अपने मन की ... फिर कोई रंग और ढंग उसे नहीं भाता .... बहुत ही उम्‍दा प्रस्‍तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. अन्त पाठकों पर ही छोड़ दिया जाये, जो समझना चाहें।

    जवाब देंहटाएं
  5. हर शब्‍द दि‍ल को छूती है...सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहद मर्मस्पर्शी और यथार्थ चित्रण...

    जवाब देंहटाएं

  7. बहुत सुंदर बिल्कुल दिल को छूने वाली ...बधाई .आप भी पधारो
    http://pankajkrsah.blogspot.com
    स्वागत है

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रवीण सर की बात से मैं भी सहमत हूँ।



    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. दिल की गहराइयों तक उतर गया यह दर्द!
    बहुत खूब!

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया