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सोमवार, 14 जनवरी 2013

जीने को मुझमें मेरा होना जरूरी तो नहीं





जीने को मुझमें
मेरा होना जरूरी तो नहीं

बस यही है नियति मेरी

कहना है उनका
…………

जानने को मुझमें

मेरा कुछ बचा ही नहीं

सब जानते हैं मेरे बारे में

कहना है उनका
………

क्योंकि

स्त्री हूँ मैं

और स्त्री होना मापदंड है

उसके ना होने का

उसके खुद को ना जानने का

उसके खुद को प्रमाणित ना करने का

वरना उनकी पितृसत्तात्मक सत्ता के

कमज़ोर होने का खौफ़

कहीं उनके चेहरों पर ना उतर आये

और हो जायें उनके आदमकद अक्स वस्त्रहीन

बस सिर्फ़ इसलिये

कहीं मंत्र तंत्र

तो कहीं जादू टोना

तो कहीं डर

तो कहीं दहशत का साम्राज्य बोना ही

उनकी नियति बन गयी है

और कठपुतली की डोर

अपने हाथ मे पकडे

दिन में अट्टहास करते मुखौटे

सांझ ढले ही

रौद्र रूप धारण कर

शिकार पर निकल पडते हैं

फिर नही होती उनकी निगाह में

कोई माँ
, बहन या बेटी
बस होती है देह एक स्त्री की

जहाँ निर्लज्जता
, संवेदनहीनता और वीभत्सता का
पराकाष्ठा को पार करता

तांडव देख शिव भी शर्मिंदा हो जाते हैं

और कह उठते हैं

बस और नहीं

बस और नहीं

स्त्री
………तेरा ये रूप अब और नहीं

जान खुद को

पहचान खुद को

बन मील का पत्थर

दे एक मंज़िल स्वंय को

जहां फ़हरा सके झंडा तू भी अपने होने का

जहाँ कोई कह ना सके

सब जानते हैं तेरे बारे मे

तुझे अब अपने बारे मे जानने की जरूरत नहीं


या जहाँ कोई कह ना सके

तेरे होने के लिये

तेरा तुझमें होना जरूरी नहीं

बल्कि कहा जाये

हाँ तू है तो है ये सृष्टि

क्योंकि

तू है स्त्री
……………
और स्त्री होना अभिशाप नहीं
……………कर प्रमाणित अब !!!


 मधेपुरा टुडे के इस लिंक पर छपी है ये कविता

http://www.madhepuratoday.com/2013/01/blog-post_12.html









12 टिप्‍पणियां:

  1. अब स्त्री को अपनी निरीहता त्यागनी ही होगी ... बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  2. गहन भाव लिये बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 15/1/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

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  4. सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    मकरसंक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  5. गहरी रचना..मन के भाव स्पष्टता से व्यक्त करती हुयी..

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  6. स्त्री मन की सम्पूर्ण मनोदशा का वर्णन

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  7. स्‍त्री होना अभि‍शाप नहीं....यह बात अब सभी पुरूषों को भी माननी होगी.....हम तो जानते हैं ये...सुंदर कवि‍ता, बधाई

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया