सुना था
लाइफ़ आफ़्टर डैथ के बारे में
मगर आज रु-ब-रु हो गया ………तुम्हारे जाने के बाद
ज़िन्दगी जैसे मज़ाक
और मौत जैसे उसकी खिलखिलाती आवाज़
गूँज रही है अब भी कानों में
भेद रही है परदों को
अट्टहास की प्रतिध्वनि
और मैं सोच में हूँ
क्या बदला ज़िन्दगी में मेरी
और तुम्हारी ………जब तुम नही हो कहीं नहीं
फिर भी आस पास हो मेरे
मेरे ख्यालों में ख्याल बनकर
तब आया समझ इस वाक्य का अर्थ
होती है "लाइफ़ आफ़्टर डैथ" भी ……अगर कोई समझे तो!!!
लाइफ़ आफ़्टर डैथ के बारे में
मगर आज रु-ब-रु हो गया ………तुम्हारे जाने के बाद
ज़िन्दगी जैसे मज़ाक
और मौत जैसे उसकी खिलखिलाती आवाज़
गूँज रही है अब भी कानों में
भेद रही है परदों को
अट्टहास की प्रतिध्वनि
और मैं सोच में हूँ
क्या बदला ज़िन्दगी में मेरी
और तुम्हारी ………जब तुम नही हो कहीं नहीं
फिर भी आस पास हो मेरे
मेरे ख्यालों में ख्याल बनकर
तब आया समझ इस वाक्य का अर्थ
होती है "लाइफ़ आफ़्टर डैथ" भी ……अगर कोई समझे तो!!!
kash hota life after death...!!
जवाब देंहटाएंमगर आज रु-बरु हो गया ---------
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिब्यक्ति.
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंसही कहा वंदना जी ...शारीरिक उपस्थिति न सही पर यादों में जो जीवित रहता ही है वह शख्स ... भावपूर्ण काविता!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंकल दिनांक 31/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
मृत्यु के बाद भी यादें जीवंत रहकर उपस्थिति का अहसास कराती हैं..मार्मिक रचना..
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी आत्मा की होती है,नश्वर है - तो होगी ही न हमेशा . मुक्तिविधाएँ तो एक प्रयोजन है श्रद्धांजली का और अपने उत्तरदायित्व से मुक्त होने का
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (31-03-2013) के चर्चा मंच 1200 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंसब कुछ ही तो बदल जाता है।
जवाब देंहटाएंअगर ऐसा होता तो मरने के बाद भी जिंदगी बेहाल हो जाती ...मौत को तो सुकून लेने दो
जवाब देंहटाएंलाइफ आफ्टर डेथ कोई मखौल नहीं सत्य है | बहुत सुनार प्रस्तुति | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
लाइफ आफ्टर डेथ कोई मखौल नहीं सत्य है | बहुत सुनार प्रस्तुति | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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एक बिलकुल ही नया नजरिया ...वाह क्या बात है !
जवाब देंहटाएंमौत के बाद की जिंदगी ,जाने वाले की उपस्थिति का निरंतर एहसास और नहीं होने का गम ,रीता कर जाता है मन को । सुन्दर रचना है आपकी , बधाई ।
जवाब देंहटाएंमौत के बाद की जिंदगी ,जाने वाले की उपस्थिति का निरंतर एहसास और नहीं होने का गम ,रीता कर जाता है मन को । सुन्दर रचना है आपकी , बधाई ।
जवाब देंहटाएंmaulik vichar..ek nayi tarah ki baat sochne par mazboor kar diya aapne..bahut bahut badhai.
जवाब देंहटाएंकिसी की उपस्थिति का एहसास ... हमेशा ... जीवन की माया नहीं तो क्या है ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
बेहतरीन भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंओह, क्या बात है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंपधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...
सुन्दर रचना..
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