आइये बकवास करें
कुछ यूँ नाम रौशन करें
बकवास महामन्त्र का जाप करें
खुद को महान योगी सिद्ध करें
सब बकवास ही तो है
बकवास के भी अपने अर्थ होते हैं
बकवास का भी अपना महत्त्व होता है
बशर्ते कहने में दम हो
बशर्ते कहने वाला दमखम रखता हो
फिर बकवास भी अर्थ प्रिय हो जाती है
फिर बकवास भी तवज्जो पाती है
गर अपनी बकवास को एक ओहदा देना हो
गर अपनी बकवास पर प्रस्ताव पारित कराना हो
गर स्वयं को सबकी नज़रों में चढ़ाना हो
गर अग्रिम पंक्ति में खड़ा होना हो
तो जरूरी है तुम्हें खुद को सर्वेसर्वा सिद्ध करना
और इसके लिए जरूरी है
बकवास जैसे लफ़्ज़ों का प्रयोग करना
फिर क्या कानून और क्या बिल और क्या आदेश
सब बदल दिए जायेंगे
सिर्फ एक तुम्हारे बकवास शब्द की भेंट चढ़ जायेंगे
तो जाना तुमने कितनी गुणकारी है बकवास
तो करो प्रण खुद से
आज से करोगे सिर्फ और सिर्फ बकवास
जो बना देगी तुम्हारे लिए एक सुलभ रास्ता
जो पहुंचा देगी तुम्हें तुम्हारी मंजिल पर
गर तुम पंक्ति में पीछे खड़े होंगे
तो प्रथम स्थान पर पहुँचाना
और तुम्हारा महत्त्व राष्ट्रीय दृष्टि में बढ़ाना
बकवास नामक अचूक हथियार कर देगा
फिर एक दिन ऐसा आएगा
बकवास भूषण पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा
ये सर्वोत्कृष्ट पुरस्कार कहलाया जाएगा
जो बकवास महाराज के बायोडाटा में
चार चाँद लगाएगा
ज्यादा कुछ तो नहीं मगर
इसी बहाने पी एम बनने के सपने पर
एक मोहर तो जरूर लगाएगा
तो बोलो
बकवास महाराज की जय
आईये बकवास करें |
जवाब देंहटाएंजाने दीजिए ....|
अब आप कैसी हैं ?
सुस्वागतम आदरेया-
जवाब देंहटाएंसुन्दर निहितार्थ-
आभार
सुस्वागतम आदरेया-
जवाब देंहटाएंसुन्दर निहितार्थ-
आभार
ये बकवास मनभावन है ..सुंदर प्रस्तुति वंदना जी
जवाब देंहटाएंआइये बकवास करें कुछ यूँ नाम रौशन करें बकवास महामन्त्र का जाप करें
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय रचना - बधाई
शब्दों की मुस्कुराहट पर ....क्योंकि हम भी डरते है :)
@ajay yadav ji pahle se sirf itna fark aaya hai ki thoda baith leti hun abhi physiotherapy chal rahi hai poori tarah thik hone me abhi shayad ek mahina aur lag jayega.
जवाब देंहटाएंराजनीति में बकवास करके ही बहुत कुछ पाया जाता है।
जवाब देंहटाएंआज और कुछ काम नहीं था क्या दीदी
जवाब देंहटाएंचलिये कुछ तो होनी ही चाहिये
हवा-पानी बदल जाएगा
पर इसे लिखने के लिये भी हिम्मत चाहिये
सादर....
बशर्ते कहने वाला दमखम रखता हो
जवाब देंहटाएंफिर बकवास भी अर्थ प्रिय हो जाती है
फिर बकवास भी तवज्जो पाती है ....... बहुत खूब लिखा है वंदना जी ... वाह !
सुन्दर प्रस्तुति ....!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (05-10-2013) को "माता का आशीष" (चर्चा मंच-1389) पर भी होगी!
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ज़बरदस्त
जवाब देंहटाएंआप तो नेता बन जाइये वन्दना जी.
जवाब देंहटाएं@ आशा जोगळेकर जी नेता शब्द से ही डर लगता है हम तो जो हैं वो ही अच्छे :)
जवाब देंहटाएंबकवास पर सुन्दर प्रकाश डाला आपने . देश बकवास झेलने को मजबूर है शायद. आशा है आप शीघ्र स्वस्थ होंगी और ब्लॉग्गिंग में रम जायेंगी . शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबकवास अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंबकवास तो ठीक है... आप कैसी हैं आज कल ???
जवाब देंहटाएंसच का भरमार हैं आपकी लेखनी में वंदना जी , मैं तो पढ़ते ही रह जाता हूँ , और कितना समय निकल जाता हैं पता ही नहीं चलता हैं ....
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