तडपती नहीं
घिघियाती नहीं
मिमियाती नहीं
कसमसाती नहीं
तुम्हारे अहम को अब
पो्षित करती नहीं
जान गयी हूँ अपने होने का औचित्य
अच्छा हो ……ये भेद तुम भी
जल्द ही समझ लो
क्योंकि
हवाओं ने रुख बदलना शुरु कर दिया है
घिघियाती नहीं
मिमियाती नहीं
कसमसाती नहीं
तुम्हारे अहम को अब
पो्षित करती नहीं
जान गयी हूँ अपने होने का औचित्य
अच्छा हो ……ये भेद तुम भी
जल्द ही समझ लो
क्योंकि
हवाओं ने रुख बदलना शुरु कर दिया है
कल 30/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सटीक और प्रभावी रचना...
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