कुछ तस्व्वुर सिर्फ़ ख्यालों की धरोहर ही होते हैं
आकार पाते ही नहीं......
............
लफ़्ज़ भी बेमानी हो जाते हैं वहाँ
और तुम परे हो इन सबसे
ना लफ़्ज़ , ना आकार , ना रूप , ना रंग
मगर फिर भी हो तुम यहीं कहीं
मेरे हर पल मे, हर सांस मे, हर धडकन मे
बताओ तो ज़रा बिना तस्व्वुर की मोहब्बत का हश्र
पानी का भी कोई आकार होता है क्या ?
आकार पाते ही नहीं......
............
लफ़्ज़ भी बेमानी हो जाते हैं वहाँ
और तुम परे हो इन सबसे
ना लफ़्ज़ , ना आकार , ना रूप , ना रंग
मगर फिर भी हो तुम यहीं कहीं
मेरे हर पल मे, हर सांस मे, हर धडकन मे
बताओ तो ज़रा बिना तस्व्वुर की मोहब्बत का हश्र
पानी का भी कोई आकार होता है क्या ?
सच है..
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १७/१२/१३को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar bhav
जवाब देंहटाएंपानी , हवा, धूप का आकार कहाँ , जिस से होकर गुजरे , जिसमे समाये , उस जैसा ही !
जवाब देंहटाएंरहिमन पानी राखिये...पानी सा ढल जाना आ जाये जिसे वह प्रेम बच जाता है
जवाब देंहटाएंपानी तो पानी होता,रूप रंग में ग्यानी होता है
जवाब देंहटाएंरूप हजारों इसके होते, जीवन का दानी होता है
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुन्दर दार्शनिक भावों का संचार करती प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut shi
जवाब देंहटाएंकल 19/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!