पगडंडी के
इस छोर पर मैं
उस छोर पर तुम
बीच में माध्यम
सिर्फ आवाजें
ध्वनि विध्वंस हो
उससे पहले
तुम पुकार लो .............
किसी भी राह से चलो
किसी पगडण्डी तक पहुँचो
माध्यम तो तुम्हें चुनना ही होगा
पुकारने के लिए ..............
इंतज़ार को मुकम्मलता प्रदान करने के लिए ..............
एक अमिट इतिहास रचने के लिए ................
आओ करें सार्थक अपना होना
आवाज़ की पगडण्डी पर ..............
क्योंकि आवाज़ की पगडंडियों के पाँव नहीं होते …………
इस छोर पर मैं
उस छोर पर तुम
बीच में माध्यम
सिर्फ आवाजें
ध्वनि विध्वंस हो
उससे पहले
तुम पुकार लो .............
किसी भी राह से चलो
किसी पगडण्डी तक पहुँचो
माध्यम तो तुम्हें चुनना ही होगा
पुकारने के लिए ..............
इंतज़ार को मुकम्मलता प्रदान करने के लिए ..............
एक अमिट इतिहास रचने के लिए ................
आओ करें सार्थक अपना होना
आवाज़ की पगडण्डी पर ..............
क्योंकि आवाज़ की पगडंडियों के पाँव नहीं होते …………
लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआवाज कभी मरती भी नहीं इसलिए ये माध्यम भी अमरता में आता है
:)
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव..
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