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गुरुवार, 22 जनवरी 2009

उस मोड़ पर

तुम्हें तलाश है आज भी
जिस मोड़ पर ज़िन्दगी के
हम तुम अलग हुए थे
बार बार तुम्हारी निगाह
उसी मोड़ तक जाकर
क्यूँ ठहर जाती है
उसी मोड़ पर ज़िन्दगी के
तुम क्यूँ ठहर गए हो
उस मोड़ के बाद भी
ज़िन्दगी आगे बढती गई
मैं रुकी नही,चलती रही
उस मोड़ पर ज़िन्दगी के
तुम्हें कुछ न मिलेगा
यादों के काफिले को
वहीँ छोड़ देना होगा
क्यूँ उदास निगाहें तुम्हारी
उसी मोड़ पर ठहर गयीं
क्यूँ नही तुम उस मोड़ के
आगे मुड पाते हो
क्यूँ अपने दर्द को उसी मोड़ पर
छोड़ नही पाते हो
ज़िन्दगी तुम्हें उस मोड़ के
आगे भी नज़र आएगी
फिर किसी मोड़ पर शायद
हमारी मुलाक़ात हो जायेगी
तुम एक बार उस मोड़ के आगे
मुड कर तो देखो
ज़िन्दगी को फिर एक बार
जीकर तो देखो
देखना------
ज़िन्दगी फिर से हसीं हो जायेगी
फिर उस मोड़ तक
तुम्हारी निगाह नही जायेगी

7 टिप्‍पणियां:

  1. क्यूँ अपने दर्द को उसी मोड़ पर
    छोड़ नही पाते हो
    ज़िन्दगी तुम्हें उस मोड़ के
    आगे भी नज़र आएगी

    वाह जी बेहतरीन लिखा है आपने बधाई हो

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  2. bahut khoobsoorat jazbaat

    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    तख़लीक़-ए-नज़र

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  3. bahut badhiya dear khaskar mujhe we panktiya bahut achhi lagi:
    फिर किसी मोड़ पर शायद
    हमारी मुलाक़ात हो जायेगी
    तुम एक बार उस मोड़ के आगे
    मुड कर तो देखो
    ज़िन्दगी को फिर एक बार
    जीकर तो देखो

    जवाब देंहटाएं
  4. तुम एक बार उस मोड़ के आगे
    मुड कर तो देखो
    ज़िन्दगी को फिर एक बार
    जीकर तो देखो
    देखना------
    ज़िन्दगी फिर से हसीं हो जायेगी
    फिर उस मोड़ तक
    तुम्हारी निगाह नही जायेगी
    बहुत सुंदर लिखा है...

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  5. सच दुनिया गोल है। और आपने सच कह दिया इस रचना के जरिए।
    ज़िन्दगी तुम्हें उस मोड़ के
    आगे भी नज़र आएगी
    फिर किसी मोड़ पर शायद
    हमारी मुलाक़ात हो जायेगी।

    सच्ची बहुत उम्दा।

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  6. vandana ji

    main khamosh hoon..
    bus aankhen nam hai ..
    kuch aur nahi kahunga

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया