तुम्हें तलाश है आज भी
जिस मोड़ पर ज़िन्दगी के
हम तुम अलग हुए थे
बार बार तुम्हारी निगाह
उसी मोड़ तक जाकर
क्यूँ ठहर जाती है
उसी मोड़ पर ज़िन्दगी के
तुम क्यूँ ठहर गए हो
उस मोड़ के बाद भी
ज़िन्दगी आगे बढती गई
मैं रुकी नही,चलती रही
उस मोड़ पर ज़िन्दगी के
तुम्हें कुछ न मिलेगा
यादों के काफिले को
वहीँ छोड़ देना होगा
क्यूँ उदास निगाहें तुम्हारी
उसी मोड़ पर ठहर गयीं
क्यूँ नही तुम उस मोड़ के
आगे मुड पाते हो
क्यूँ अपने दर्द को उसी मोड़ पर
छोड़ नही पाते हो
ज़िन्दगी तुम्हें उस मोड़ के
आगे भी नज़र आएगी
फिर किसी मोड़ पर शायद
हमारी मुलाक़ात हो जायेगी
तुम एक बार उस मोड़ के आगे
मुड कर तो देखो
ज़िन्दगी को फिर एक बार
जीकर तो देखो
देखना------
ज़िन्दगी फिर से हसीं हो जायेगी
फिर उस मोड़ तक
तुम्हारी निगाह नही जायेगी
क्यूँ अपने दर्द को उसी मोड़ पर
जवाब देंहटाएंछोड़ नही पाते हो
ज़िन्दगी तुम्हें उस मोड़ के
आगे भी नज़र आएगी
वाह जी बेहतरीन लिखा है आपने बधाई हो
bahut khoobsoorat jazbaat
जवाब देंहटाएं---आपका हार्दिक स्वागत है
तख़लीक़-ए-नज़र
bahut badhiya dear khaskar mujhe we panktiya bahut achhi lagi:
जवाब देंहटाएंफिर किसी मोड़ पर शायद
हमारी मुलाक़ात हो जायेगी
तुम एक बार उस मोड़ के आगे
मुड कर तो देखो
ज़िन्दगी को फिर एक बार
जीकर तो देखो
बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंतुम एक बार उस मोड़ के आगे
जवाब देंहटाएंमुड कर तो देखो
ज़िन्दगी को फिर एक बार
जीकर तो देखो
देखना------
ज़िन्दगी फिर से हसीं हो जायेगी
फिर उस मोड़ तक
तुम्हारी निगाह नही जायेगी
बहुत सुंदर लिखा है...
सच दुनिया गोल है। और आपने सच कह दिया इस रचना के जरिए।
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी तुम्हें उस मोड़ के
आगे भी नज़र आएगी
फिर किसी मोड़ पर शायद
हमारी मुलाक़ात हो जायेगी।
सच्ची बहुत उम्दा।
vandana ji
जवाब देंहटाएंmain khamosh hoon..
bus aankhen nam hai ..
kuch aur nahi kahunga