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गुरुवार, 23 अप्रैल 2009

अमिट छाप

मन के कोरे कागज़ पर तुम
एक कविता लिख दो
अपने प्यार का
एक दिया जला दो
मन को इक
दर्पण सा बना दो
जब भी झांको
अपनी ही छवि निहारो
ओ मेरे प्रियतम
मेरे मन को तुम
अपना मन बना लो
सोचूँ मैं, और
तुम उसे बता दो
मैं , मैं न रहूँ
तेरा ही प्रतिबिम्ब
बन जाऊँ
मन के कोरे कागज़ पर तुम
अपनी अमिट छाप लगा दो

10 टिप्‍पणियां:

  1. मन के कोरे कागज पर, शब्दों की अलख जगा दो।
    ओ शब्दों के जादूगर! लिखने की ललक लगा दो।।

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  2. प्यार के रंग ऐसे ही सुन्दर और प्यारे होते है। और उनके शब्द बताशे से मीठे होते है।

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  3. मन की कोमल भावनाओं का
    बहुत ही प्यारा इज़हार ...
    शब्द-शब्द में काव्य झलकता है ...
    एक अच्छी रचना पर बधाई स्वीकारें . . .
    ---मुफलिस---

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  4. सोचूँ मैं, और
    तुम उसे बता दो
    मैं , मैं न रहूँ
    तेरा ही प्रतिबिम्ब
    बन जाऊँ
    मन के कोरे कागज़ पर तुम
    अपनी अमिट छाप लगा दो
    BAHUT SUNDAR KAVITA-PATH, THNKX 2U vandanaji

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  5. vanadan ,

    bahut hi praabhavshaali rachna .. kavita me prem ki abhivyakti ko poori tarah se ukera gaya hai ..

    dil se badhai sweekar karen..

    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com

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