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रविवार, 9 अगस्त 2009

एक बेटी की पीड़ा ----------कब आओगी तुम

माँ
कहाँ हो तुम ?
जाने से पहले
यूँ भी न सोचा
तुम्हारे बाद
मेरा क्या होगा?
कौन मुझे चाहेगा?
कौन मुझे दुलारेगा ?
मेरे होठों की हँसी के लिए
कौन तड़प -तड़प जाएगा
मेरी इक आह पर
कौन सिसक- सिसक जाएगा

पिता ने तो अपनी
नई दुनिया बसा ली है
अब तो नई माँ की हर बात
उन्होंने मान ली है
तुम ही बताओ
अब कहाँ जाऊँ मैं
किसे माँ कहकर पुकारूँ मैं
यहाँ पग-पग पर
ठोकर और गाली है
तुम्हारी लाडली के लिए अब
कोई जगह न खाली है

माँ , कहाँ हो तुम ?
क्या मेरे दर्द को नही जानती
क्या अब तुम्हें दर्द नही होता
अपनी बेटी की पीड़ा से
क्या अब तुम्हारा
दिल नही रोता
क्यूँ चली गई जहान छोड़कर
मुझे भरी दुनिया में
अकेला छोड़कर
किस्से अपने सुख दुःख बाटूँ
कैसे मन के गुबार निकालूं
कौन है जो मेरा है ?
ये कैसा रैन-बसेरा है ?
जहाँ कोई नही मेरा है

अब तो घुट-घुट कर जीती हूँ
और खून के आंसू पीती हूँ
जिस लाडली के कदम
जमीं पर न पड़े कभी
वो उसी जमीं पर सोती है
और तुम्हारी बाट जोहती है
इक बार तो आओगी तुम
मुझे अपने गले लगाओगी तुम
मुझे हर दुःख की छाया से
कभी तो मुक्त कराओगी तुम
बोलो न माँ
कब आओगी तुम ?
कब आओगी तुम?

33 टिप्‍पणियां:

  1. बोलो न माँ
    कब आओगी तुम ?
    कब आओगी तुम?
    एक बेटी की पुकार --- उसकी पीडा --- माँ के आने की उसको अपने पास पाने की व्यथा की कथा.
    बखूबी निभाया है आपने
    बखूबी बयान किया है आपने
    बेहतरीन रचना रची है आपने

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  2. माँ-बेटी के सम्बन्धों का सुन्दर चित्रण किया है।
    इस पोत्ट की जितनी तारीफ की जाये कम ही होगी।
    बहुत-बहुत बधाई।

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  3. काफी भावनात्मक है, दिल भर आया......आख़िर अभी भी एक बेटी बेचैनी में मां को ही पुकारती है,,,,आज भी कुछ नहीं बदला

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  4. बहुत ही बेहतरीन रचना है

    बधाई...

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  5. माँ बेटी के रिश्ते को परिभाषित करती एक अद्भुत रचना ..बहुत सुन्दर और मार्मिक ..

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  6. वंदना जी आपकी यह रचना पढकर मां को फोन करने के लिए दिल उतावला हो गया बहुत ही दिल को छू जाने वाली बेहतरीन रचना जितनी तारीफ की जाए कम है

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  7. बहुत मार्मिक रचना है आँखें नम हो गयी ---ाब तो घुट घुट कर जीती हूँ
    खून के आँसू पीती हूँ
    सच मांम ही है जो बेटी के दुख दर्द को समझ सकती है
    बोलो न माँ
    कब आओगी तुम ?
    कब आओगी तुम?
    दिल चीर गयी ये अभिव्यक्ति अब निश्ब्द हूँ शुभकामनायें

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  8. आपकी इन पंक्तियों ने स्वर्गीय माँ सव्यसाची
    का स्मरण करा दिया , कदाचित माँ की बात
    जोती मेरी आत्मा की आवाज़ आपने लिख दी
    इक बार तो आओगी तुम
    मुझे अपने गले लगाओगी तुम
    मुझे हर दुःख की छाया से
    कभी तो मुक्त कराओगी तुम
    बोलो न माँ
    कब आओगी तुम ?
    कब आओगी तुम?

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  9. marmik bhav liye hue hai aapki kavita..
    maa aur beti ke rishte ke prem se sarabor...bahut hi sundar prastuti...

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  10. इक बार तो आओगी तुम
    मुझे अपने गले लगाओगी तुम
    मुझे हर दुःख की छाया से
    कभी तो मुक्त कराओगी तुम
    बोलो न माँ
    कब आओगी तुम ?
    कब आओगी तुम?

    apki abhivyakti sachmuch sarahneey hai.

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  11. एक बेटी की दर्द भरी पुकार को आवाज देती आपकी ये रचना बहुत ही बेहतरीन है। पता नही कौन कौन से दर्द लेकर जी रहे है लोग। बहुत पसंद आई यह रचना।

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  12. nice poem with heart touching approach.

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  13. इस पर भी ना पसीजे ...वह माँ कहलाने योग्य नहीं ..!!

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  14. rishton mein jitna apnapan hota hai us se kahin adhik usmein pidha bhee chhupee hotee hai.us pidha ko samajane ke liye jin ankhon va vyakt karne ke liye jis lekhnee kee jaroorat hoti, vah avashya hee aapke pass hai. Kavita ke liye Badhaai. samay mile to "sanvadghar mein hua nishabd" mein "Dadi man ki vyath" avashy padhen.

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  15. मार्मिक.......... एक बेटी के मन की व्यथा, जो इन सब से गुज़रती है.......... दर्द भरी दास्ताँ को शब्दों में उरेक दिया है आपने....... aankhe nam हो aayi rachna पढ़ कर

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  16. बोलो न माँ
    कब आओगी तुम ?
    कब आओगी तुम?

    मां-बेटी की ममता को बहुत ही गहरे भावों के साथ सुन्‍दर शब्‍दों से सजाया है आपने इस रचना को बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति बधाई ।

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  17. अद्वितिय रचना...बहुत सुन्दर.

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  18. वन्दना जी, पढते हुये आन्खे नम हो आयी, बहुत सुन्दर भाव, बडी पीडादायक स्थिति होती होगी उन बेटियो के लिये जब ऐसे क्षण आते होन्गे.

    इतनी जल्दी त्वरित गति से उस विषय पर कविता बनाना आपके विलक्षण प्रतिभा को दर्शाता है. बहुत सुन्दर रचना.

    सादर
    राकेश

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  19. maa aur beti ko dard ko tumne bahut hi shashakt dang se vyakt kiya hai .. is rachna ke liye mera salaam kabul karen...

    namaskar

    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

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  20. jo chala gayaa..use bhool ja....vo naa sun sakegaa teri sadaa....jo chala gaya use bhool jaa......!!

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  21. जीवन के एक कटु सत्य को अभिव्यक्ति देती एक सशक्त रचना . साधुवाद!

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया