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रविवार, 6 जून 2010

वो जो कभी दोस्त बनकर आया था.............

वो जो कभी
दोस्त बन कर 
आया था
दोस्ती का 
हर फ़र्ज़ 
निभाया था
दोस्ती की कसमें
खाता था
दोस्ती पर जान
लुटाता था
कब पथप्रदर्शक
बन गया 
कब आलोचक 
बन गया
कब दोस्ती 
को एक नाम 
देने का 
सोचने लगा 
सिर्फ अपने 
ख्यालों में ही 
किसी को पता
ही ना चला
मगर बिना कुछ 
कहे, दोस्ती
निभाता रहा
अपने जज्बातों को
अन्दर ही अन्दर
दबाता रहा
किसी पर ना
जाहिर करता रहा
पल- पल दोस्ती 
को पूजता रहा
हँसता रहा ,मुस्कुराता रहा
अपनी ज़िन्दगी का
हर फ़र्ज़ निभाता रहा
दोस्ती को प्यार नहीं
पूजना चाहता था
सिर्फ इतना ही तो
अधिकार चाहता था
मगर दोस्त ने तो
वो भी ना दिया
सिर्फ दोस्ती का 
ही वचन लिया
फिर एक दिन 
चला गया वो
नक्सली इलाके में
किस्मत ने तबादला
करा दिया
उसे कहाँ से कहाँ
पहुंचा दिया
हर पल मौत के
साये में जीने लगा वो
उधर उसका दोस्त 
भी तड़पने लगा
दोस्त के लिए
दुआएँ करने लगा
वापस मिलने के लिए
पैगाम देने लगा
जब कोई हादसा 
सुनता तो 
सहम- सहम जाता
सिर्फ` अपने दोस्त
का ही उसे तो 
ख्याल आता
कभी उससे मिला 
भी ना था
सिर्फ पत्राचार का
सिलसिला चला ही था 
उसको  देखा भी 
तो ना था
मगर दोस्ती का 
जज्बा भी 
कम ना था
मगर एक दिन
उसका दिल टूट गया
दोस्ती पर से 
विश्वास उठ गया
दोस्ती का हर 
भरम टूट गया
जब देखा उसने
एक ख़त आया था
गलती से पता
उसका लिखा था
मगर ख़त 
किसी और के नाम था
और ख़त का 
मजमून वैसा ही था
जैसा उसे लिखा
करता था
और अब उसने 
दोस्त बनाना
छोड़ दिया था

28 टिप्‍पणियां:

  1. दोस्ती के कई आयाम जोड़े हैं....कभी कभी जिसे सच्चा मित्र मान लेते हैं वो ऐसे ही भावनाओं से खेलते हैं....बहुत बढ़िया रचना

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  2. बहुत अच्छी रचना है
    एक दम संतुलित
    धन्यवाद इस रचना के लिए

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  3. आईये जानें .... मन क्या है!

    आचार्य जी

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  4. "...एक दिन
    चला गया वो
    नक्सली इलाके में
    किस्मत ने तबादला
    करा दिया
    उसे कहाँ से कहाँ
    पहुंचा दिया..."

    दोस्ती का बहुत ही मार्मिक चित्र खीचा है
    आपने अपनी इस रचना में!
    --
    रचना के अन्त में
    आजकल की दोस्ती का भी
    अच्छा खाका खींचा है!

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  5. सादर!
    क्या कहे ! नतमस्तक !
    रत्नेश त्रिपाठी

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  6. बहुत सुन्दर भावनाओं से ओतप्रोत
    "...एक दिन
    चला गया वो"
    दोस्ती कभी कभी आयाम नहीं पा पाती पर दोस्त्ती कभी मरती भी तो नहीं है
    बहुत सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  7. दोस्ती के कई आयामों पर लिखी यह ......रचना बहुत सुंदर लगी.... संवेदनशील....

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  8. दोस्ती के पैग़ाम
    सच्चे दोस्त के नाम!

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  9. man ke bheetar ke kisi dard ko shabdo ka roop dena hota to bahut mushkil kaam hai jo aapne kiya aur sundar shabdo ka jama pahnaya. badhayi.

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  10. दोस्ती के विभिन्न रूप:

    कहीं-
    सुदामा कृष्ण की दोस्ती-अमर प्यार का उदाहरण

    और कहीं-
    तो 'दोस्त दोस्त न रहा प्यार प्यार न रहा.जिंदगी मुझे तेरा ऐतबार न रहा
    क्या कहने!.

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  11. Hi..

    "Mitr" jinhen kahti hai duniya..
    Sukh-dukh ke saathi hote..
    Chahe sang main rahte hon, ya..
    Chahe door kahin hote..

    Anjaane ek pyaar ka rishta..
    Mitron beech panapta hai..
    Mitr jo hota, apne mitr ke..
    dil se sada hi judta hai..

    Par ye sach hai, mitr sabhi na..
    Kabhi ek se hote hain..
    Kuchh dil se bhi sang hain hote..
    Kuchh upar se hote hain..

    Vishwaghat har rishte main..
    Ek sa asar dikhata hai..
    Jis rishte main dhokha milta..
    Dil se wo mit jaata hai..

    Bhavpurn avam sashakt rachna..

    DEEPAK..

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  12. hmm....kahani me twist..andekhe rishte kai baar aise hi khatm hote hain ..:( waise bhi is virtual world me aap samne wale ko utna hi dekh paate hain jitna wo dikhata hai

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  13. आप ने एक कडवी सच्चाई को अपनी रचना में बयां किया है...जो लोग दोस्ती के नाम पर दूसरों के ज़ज्बात से खेलते हैं वो क्षमा योग्य नहीं...वो दोस्त हो नहीं सकते सिर्फ मतलबी ही हो सकते हैं...बहुत बहुत बहुत अच्छी रचना ...बधाई...
    नीरज

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  14. आपकी कविता ने उस गाने की याद दिला दी ...दोस्त बन के आए हो ...दोस्त बन के ही रहना ...

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  15. दोस्ती की गहराई समझना आसान नही होता ... मार्मिक रचना

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  16. Vandana ji,
    Dosti bhi ajeeb cheez hai! Iski maryada ya seema kya hai, ye kam-se-kam mere liye to prashn vaachak chinh hai!
    Lekin maine dost banane nahin chhode....

    Janiye: Kyun Hota Baadal Banjara?

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  17. dostee ke vibhinna aayaamo ko ujaagar karatee kavitaa bahut acchee lagee aabhaar

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  18. वो बडे खुशनसीब होते है, जिन्हे खूबसूरत दोस्त मिला करते है,सचमुच मनुष्य की किस्मत सवर जाती है जब एक दोस्त ना केवल समालोचक बल्कि एक पथप्रदर्शक के रूप मे जीवन पथ मे अपनी महती भूमिका का निर्वाह करते है, ऐसे मित्र भोर के सूरज की रोशनी की तरह होते है जो सदैव मनभावन लगते है.

    किसी पुस्तक की एक पन्क्ति मुझे याद आती है- " भोर का सूरज,पान का स्वाद , महाभारत की कथा, अच्छे इन्सान की दोस्ती हर रोज नयी तथा अपूर्व लगती है.

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया