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बुधवार, 30 जून 2010

कभी तो जगेगा ही...............

तपते चेहरे 
कुंठित मन
ह्रदय में पलता 
आक्रोश का
ज्वालामुखी 
लिए हर शख्स 

 कभी 
सत्ता के 
गलियारों  में
भटकता
गिडगिडाता
कसमसाता
राजनीतिक 
समीकरणों से
बेहाल 
आक्रोशित 
नाराज मानस 
के मन का
उबाल 

 कभी 
समाज के 
विद्रूप चेहरे से
खुद को 
उपेक्षित
महसूसता
मानव
रीतियों, रिवाजों
की भेंट चढ़ता
जीवन का इक अंग

मानव के 
अंतस में
सिर्फ ज़हर का
दावानल ही 
सुलगाता है
कब तक 
इन्सान खुद से
सत्ता से
समाज से लड़े
कब तक
आश्वासन के
अवलंबन का
बोझ ढोए
कभी तो 
उफनेगा ही
लावा कभी तो
फूटेगा ही
बगावत का 
बिगुल बजेगा ही
फिर ये 
अँधा ,बहरा
और गूंगा 
समाज
कभी तो 
जगेगा ही
कभी तो .................

21 टिप्‍पणियां:

  1. आज के हर हालात से जद्दोज़हद करते हर आम इंसान की कहानी ..... बखूबी लिखी है इस रचना में....झकझोर देने की ताकत है...

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  2. Hi..

    Man main ek vidroh ka lava..
    liye log baithe kab se...
    jwalamukhi footega jab bhi..
    shayad tab sab kuchh jhulse...

    man ka akrosh batati
    Sundar kavita..

    Deepak..

    जवाब देंहटाएं
  3. आश्वासन के
    अवलंबन का
    बोझ ढोए
    कभी तो
    उफनेगा ही
    लावा कभी तो
    फूटेगा ही
    बगावत का
    बिगुल बजेगा ही
    बिलकुल सही...बर्दाश्त की भी एक सीमा होती है...ज्वालामुखी के मुहँ पर जैसे बैठा है संसार...

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  4. मन की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति की है आप ने बेहाल
    आक्रोशित
    नाराज मानस
    के मन का
    उबाल

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  5. तपते चेहरे
    कुंठित मन
    ह्रदय में पलता
    आक्रोश का
    ज्वालामुखी
    लिए हर शख्स
    --
    मानव मन का बहुत ही सुन्दर विश्लेषण!

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. आम इंसान की प्रतिदिन की जिंदगी की लड़ाई बहुत सुन्दर वर्णन.

    आपकी रचना कल २/७/१० के चर्चा मंच के लिए ली गयी है.

    आभार.

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  8. ज़रूर जागेगा..हम भारतीयों को ऐसी उम्मीद बहुत दिनों से हैं..एक न एक दिन तो क्रांति आएगी ही..बढ़िया भावपूर्ण रचना बधाई

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  9. samaaj ke kureetion se trast maanaw wivas man ke santosh ki ek jhalak ....kabhi to jwalamukhi futega aur chutakaara milega in kureetion se;bahut achchhi abhivyakti maanawman ki

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  10. हर किसी के जीवन को गहराई से छुआ है आपने इस कविता के माध्यम से... सार्थक रचना

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  11. आपके ब्लॉग पर आयी और ढेर सारी रचनाएं पढ़ी.. आपकी सभी रचनाएँ सार्थक और सन्देश लिए होती हैं.. यह रचना भी मन को छु गई.. गंभीर बाते आप सहजता से कहती हैं ! बधाई

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  12. आश्वासन के
    अवलंबन का
    बोझ ढोए
    कभी तो
    उफनेगा ही
    लावा कभी तो
    फूटेगा ही
    बगावत का
    बिगुल बजेगा ही aaj har man ki yahi peeda hai aapne khubsurati se bayan kiya hai

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  13. sundar rachna..

    Kab tak koi bardaash karega?

    Ek din to lava footega hi..

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  14. bahut vichar kar key is nishkarsh pey panhucha ja sakta hai ki samvedansheel logon ko ek kari (chain ) ki jaroorat hai.

    Behtreen vicharon key liye dher si badhainyan aur saadhuvad.

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  15. सच है, हार्दिक बधाई.
    ढेर सारी शुभकामनायें.

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  16. सच है, हार्दिक बधाई.
    ढेर सारी शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  17. kabhi to...wakai, khubsurat vishwas... poora ho dridh nishchay,amen

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया