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बुधवार, 29 सितंबर 2010

क्या यही इंतज़ार है?

आये
बैठे
उसके दर पर
कुछ देर
माथा टेक आये
...उसकी गली का
फ़ेरा लगा आये
और फिर
चल दिये

क्या यही इंतज़ार है

या फिर
दीदार की हसरत
सीने मे कैद
किये
खामोश चल दिये

क्या यही इंतज़ार है

या फिर
मिलकर भी
जो मिले ना
सामने होकर भी
अपना बने ना
फिर भी
मुस्कुरा कर
चल दे कोई

क्या यही इंतज़ार है

24 टिप्‍पणियां:

  1. या फिर
    मिलकर भी
    जो मिले ना
    सामने होकर भी
    अपना बने ना
    फिर भी
    मुस्कुरा कर
    चल दे कोई

    क्या यही इंतज़ार है.... प्रेम मे गहरे रच बस कर लिखी गई कविता है यह.. गहननुभुति है कविता मे ... इन्त्जार और इन्त्जार पुरा होने और ना होने के बीच के द्वन्द को बखुबी प्रस्तुत किया है आप्ने.. एक अच्छी कविता का इन्त्जार तो खत्म हुआ.. और साथ ही और भी अच्छी कविता का इन्त्जार शुरु हो गया...

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  2. बहुत सुन्दर रचना है!
    --
    यह भी देखिए-
    --

    माँ पूर्णागिरि के
    दर्शनों को गये
    भीड़ देखी.
    कुछ देर
    सुस्ताए।
    लौट के
    बुद्धू घर को आये
    ---

    क्या यही इंतज़ार है?

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  3. मरने के बाद भी आँखे खुली रहीं .....
    इंतेज़ार की ये हद भी है .... और वो भी जो आने कही ... बहुत सुंदर रचना है ...

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  4. अपना बने ना
    फिर भी
    मुस्कुरा कर
    चल दे कोई

    क्या यही इंतज़ार है
    एक अच्छी कविता का इन्त्जार तो खत्म हुआ.
    ..बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ....मेरा ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए शुक़्रिया..

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  5. wakayi mein kya yahi intzaar hai...
    bahut hi sundar rachna....
    apni lekhni ka jadoo yun hi chale rahein...
    ================================
    मेरे ब्लॉग पर इस बार थोडा सा बरगद.. इसकी छाँव में आप भी पधारें....

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  6. .

    वंदना जी,
    बहुत ही बढ़िया अंदाज़ में इंतज़ार को दर्शाया आपने। लेकिन इंतज़ार आखिर है कैसा ये जानने का इंतीज़ार शेष है अभी।

    .

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  7. इंतजार जिसका था वही नहीं आया
    वर्ना तो कारवा के बीच थे हम

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  8. बहुत सुन्दर इन्तजार कि परिभाषा दी है, शायद हर पल इन्तजार का कोई न कोई बोध तो अपने में लिए ही रहता है. कभी बिना किसी चाह के इन्तजार करते हैं और चल देते हैं क्योंकि जिसका इन्तजार होता है वो तो कोई अस्तित्व ही नहीं रखता है. बस मन से मन की बात उसके मन तक पहुँच जाती है.
    --

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  9. बहुत खूबसूरत रचना...इंतजार को आपने बखूबी परिभाषित किया है

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  10. जब मन कह कर भी
    कुछ कह ना पाए ...
    क्या . . .
    हाँ , यही इंतज़ार है !!

    बहुत अच्छी रचना ,, बधाई

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  11. बड़ा ही सुन्दर विषय और पंक्तियाँ।

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  12. या फिर
    दीदार की हसरत
    सीने मे कैद
    किये
    खामोश चल दिये

    क्या यही इंतज़ार है ......


    मौन प्रेम के विभिन्न रूपों का बहुत सुन्दर और ह्रदयस्पर्शी चित्रण...आभार..

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  13. इंतज़ार क्या है यह जो इंतज़ार करता है वही बताएगा ....पर आपकी रचना लाज़वाब है !!

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  14. बहुत सुन्दर, भावपूर्ण और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो सराहनीय है! बधाई!

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  15. इंतज़ार क्या है ..कैसे बताएँ ? कभी किया नहीं :):)

    पर रचना अच्छी है

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  16. intjaar par shayaad isse accha kuch aur likha nahi jaa sakta tha .. great words, great compositions..

    kudos vandana,,

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  17. सुन्दर रचना,बड़ा ही सुन्दर विषय

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया