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शनिवार, 21 मई 2011

बताओ ना क्या कहती हो तुम मुझसे…………300 वीं पोस्ट

हाँ......
कहो.............
क्या कहा...........
समझ नहीं आ रहा
कुछ स्पष्ट कहो ना
तुम्हारे शब्द अस्पष्ट हैं
अस्पष्ट शब्दों के अर्थ
अनर्थ को जन्म देते हैं
कुछ कहती तो हो
मगर समझ नहीं पाती
कब से कह रही हो
कब तक कहती रहोगी
और मैं तुम्हें सुनती हूँ
मगर समझ नहीं आती हो
कैसी पहेलियाँ सी बुझाती हो
कभी सब कह जाती हो
कभी सिर्फ कानों में मंत्र सा
फूंक जाती हो
मगर उस मंत्र के
उच्चारण में होने वाली अशुद्धि
फिर वहीँ ले आती है
जहाँ से चलती हूँ
कहो कैसे जानूं तुम्हें
कैसे तुम्हारी अनकही समझूं
कौन सी चेतना जगाऊँ
जो तुम्हारे अनकहे शब्दों को
साकार कर दे
ना जाने क्या चाहती हो
जब कहती हूँ
आओ गले लगा लूँ तुम्हें
तो दूर छिटक जाती हो
और जब तुम से भागती हूँ
तो करीब चली आती हो
कितने ही प्रलोभन दिखाती हो
अपनेपन का आभास कराती हो
मगर जैसे ही तुम्हारी तरफ
कदम बढाती हूँ .......तुम फिर
ना जाने किस मोड़ पर
मुड जाती हो
और मैं फिर एक
गुबार में खो जाती हूँ
और अपना अक्स भी
धुंधलाने लगता है
मगर तुमको ना
पकड़ पाती हूँ
और ना ही
समझ पाती हूँ
आखिर तुम मुझसे
चाहती क्या हो
हाँ .........तुम्हारी ही
बात कर रही हूँ
क्यूँकि तुम हो
तो मेरा अस्तित्व है
और तुम नहीं
तो मेरा वजूद
मेरी रूह
का कहीं कोई
मोल नहीं
बताओ ना
क्या कहती हो
तुम मुझसे
ए मेरी ज़िन्दगी ?

40 टिप्‍पणियां:

  1. सच में ज़िंदगी को समझना बहुत मुश्किल है..

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  2. ज़िन्दगी से प्रश्न उतार ज़िन्दगी का।
    बधाई ३००वीं पोस्ट की।

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  3. आंकड़ो की बधाई..........सुन्दर पोस्ट|

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  4. बहुत बढ़िया लिखा आपने.
    300 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई.

    सादर

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  5. जिंदगी नित नए रूपों में हमसे मिलने आती है, कुछ समझाती है पर अक्सर हम समझ ही नहीं पाते...सुंदर पोस्ट !

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  6. बहुत खूबसूरती से ज़िंदगी की बात ज़िंदगी से कर दी ..३०० वीं पोस्ट की बधाई

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  7. बताओ न ... बिल्‍कुल सच कहा है आपने

    जिन्‍दगी के इतने रंग हैं

    इन्‍हें समझना इतना आसान कहा ....

    बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  8. बहुत ही खूबसूरत रचना, आपकी लेखनी बहुत कम लफ्जों में बहुत बड़ी बात कह जाती है|
    ...300 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई

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  9. जीवन की कहानी अनोखी, सरतम से सरल और गूध्तम से गूढ़. कभी अमृत सा, कभी विष सा. जो संभले और संभाल लिए वे तर गए. यहाँ कुशल तैराक डूब जाते हैं और अनादि तर जातें.. यही है इसका आकर्षण जो सदियों से चर्चा परिचर्चा की वस्तु बना हुआ है आज भी है और तब तक रहेगा जब तक संवेदी जीवन रहेगा. सरलता ही तो इसकी जटिलता है. गुह्य होते हुए भी कितना सरस, कितना सरल, कि सभी जीना चाहते हैं, जो परेशान है वो भी. जो लाचार है वो भी......इस द्वंद्व को उकेरती एक सार्थक रचना.....आभार....

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  10. 330vin post kel iyen bdhaai ....or is naa smjhne ke andaaz wali post ne to bs nyaa pan hi laadiyaa bdhaai ho. akhtar khan akela kota rajsthan

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  11. वंदना जी आपकी लेखनी यूँ ही अविराम चलती रहे और हमें एक से बढ़ कर एक संवेदनशील रचनाएँ लगातार पढने को मिलती रहें...तीन सौ वीं पोस्ट की बधाई...

    नीरज

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  12. खूबसूरती ज़िंदगी से बात, ३०० वीं पोस्ट की बधाई

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  13. जिसका कोई अस्तित्व ही न हो उसे पकड़ पाना बहुत कठिन है दोस्त |
    सुन्दर रचना |

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  14. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
    --
    300वीं पोस्ट की बधाई!

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  15. बहुत बहुत बधाई। जीवन को स्पष्ट करने में वर्षों निकल जाते हैं।

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  16. बात कर रही हूँ
    क्यूँकि तुम हो
    तो मेरा अस्तित्व है
    और तुम नहीं
    तो मेरा वजूद
    मेरी रूह
    का कहीं कोई
    मोल नहीं
    बताओ ना
    क्या कहती हो
    तुम मुझसे
    ए मेरी ज़िन्दगी ?
    sahi likha hai aapne jeevan hai hi kuchh aesa bahut kuchh kahata pr samajh me kukchh kam aata hai aur jab tak samajhte hai tab tak................

    badhai
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  17. क्यूँकि तुम हो
    तो मेरा अस्तित्व है
    और तुम नहीं
    तो मेरा वजूद
    मेरी रूह
    का कहीं कोई
    मोल नहीं
    बताओ ना
    क्या कहती हो
    तुम मुझसे
    ए मेरी ज़िन्दगी ?
    jeevan aesa hi hai bahut kuchh samajh nahi aata hai jab tak samajh aata hai .........
    samvednaon se bhari kavita
    rachana

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  18. 300वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई

    रूह के मोल भी रूहानी ही होंगे.

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  19. मेरी रूह
    का कहीं कोई
    मोल नहीं
    बताओ ना
    क्या कहती हो
    तुम मुझसे
    ए मेरी ज़िन्दगी ?

    बेहतरीन रचना।
    300 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई.

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  20. कई सारे ब्लॉग...हर ब्लॉग पर नियमित लेखन... और आज तीन सौवीं पोस्ट....शुभकामनाएं.. तीन सौ बार... बेहद संवेदनशील कविता है या... खूबुरत हर बार की तरह...

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  21. बताओ ना
    क्या कहती हो
    तुम मुझसे
    ए मेरी ज़िन्दगी ?
    vastav me is choti si zindgi me is zindgi ko samajh pana bahut muskil hai... baut umda abhivyakti badhai

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  22. ३००वीं पोस्ट की बधाई !

    सुन्दर रचना है ... जिंदगी के शब्द अक्सर अस्पष्ट ही हुआ करते हैं ... समझना मुश्किल होता है !

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  23. 300th post ke liye badhayee...yatra aapki ati utaam rahi...saare rang zindgi ke dekh liye hamne aapki kavitaon ke madhyam se...sadhuvaad.

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  24. हमारा सवाल भी तो यही है आपसे।
    *
    बधाई।

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  25. जिंदगी इतनी सरल नहीं होती जैसी दिखती है |अच्छी पोस्ट | बधाई |३०० वी पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई |
    आशा

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  26. स्वयं की जिन्दगी से किये गये इस सवाल के द्वारा आपने पाठकों के अन्तर्मन को भी यही सवाल दे दिया है ।

    300 वीं पोस्ट के दुरुह लक्ष्य तक पहुँचने की बधाई सहित...

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  27. ज़िन्दगी को समझने मई ज़िंदगी निकल जाती है..
    आशा है जल्द ही ये ३०० पोस्ट ३००० हो जाएँ.. बधाई :)

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  28. 300वीं पोस्ट की बधाई वंदना जी,बढ़िया लेखन.
    शुभकामनाएं.

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  29. बिल्‍कुल सच कहा है आपने ।

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  30. ज़िन्दगी के इतने रंग होते हैं पता नहीं कब कौन सा रंग दिखा दे....
    पर आपकी ये रचना ज़िन्दगी से ही कुछ कह गयी....बहुत पसंद आई :) :)

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  31. आपकी सुंदर पोस्ट सुंदर आंकड़ों के साथ और भी अच्छी लग रही है....हमने आपको फौलो कर लिया है!!

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  32. Zindagi ko samajhane ki koshish karti hui bahut sunder rachna ...BAHUT SUNDER ABHIVYAKTI ...!!
    300th post ke liye badhai ..!!

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  33. सच हैज़ीवन समझना आसान नही .. ३०० पोस्ट की बधाई ...

    जवाब देंहटाएं

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