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बुधवार, 4 मई 2011

कँवल ऐसे भी खिलाये जाते हैं .............

नहीं सजाती आस्मां को दरख़्त पर
नहीं बोती अरमानों के बीज मिटटी में
नहीं देखती वक्त की परछाइयाँ किताबों में
नहीं मुडती कोई राह अब अंधेरों में
ना ही गुजरे कल की संदुकची खोलती हूँ
...ना ही आने वाले कल के लिए
अरमानों के शामियाने टंगवाती हूँ
अब ना कल के सफ़हे पलटती हूँ
ना ही कल के आगमन में
ख्यालों के दीप जलाती हूँ
अब ना विगत का अफ़सोस
ना आगत का दुःख
सीख लिया है जीना मैंने वर्तमान में
कँवल ऐसे भी खिलाये जाते हैं .............

40 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खुशनसीब हैं वो लोग जो वर्तमान में रह सकने का हौसला और समझ रखते हैं।

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  2. 'सीख लिया है जीना मैंने वर्तमान में '

    .............................यही तो जिंदगी जीने का असल सलीका है |

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  3. वाह ! वंदना जी,
    इस कविता का तो जवाब नहीं !
    विचारों के इतनी गहन अनुभूतियों को सटीक शब्द देना सबके बस की बात नहीं है !

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  4. ना जाने क्यों आपकी श्रेष्ठ रचनाओं पर कमेन्ट नहीं आते,
    नहीं सजाती आस्मां को दरख़्त पर ( भावनाओं का चित्रण)
    नहीं बोती अरमानों के बीज मिटटी में ( सपनों का सच )
    नहीं देखती वक्त की परछाइयाँ किताबों में (भविष्य का संकलन)
    नहीं मुडती कोई राह अब अंधेरों में (आशा जीवन और अस्तित्व की)
    ना ही गुजरे कल की संदुकची खोलती हूँ (अतीत का डर )
    ना ही आने वाले कल के लिए ( जीवन की दुविधा के लिए तैयारी)
    अरमानों के शामियाने टंगवाती हूँ ( अब बहुत हो गया)
    अब ना कल के सफ़हे पलटती हूँ (क्या था कल में?)
    ना ही कल के आगमन में (क्या होगा कल में?)
    ख्यालों के दीप जलाती हूँ (सपनों सिर्फ सपने हैं, हकीकत जुदा होती है)
    अब ना विगत का अफ़सोस ( जो था नहीं वो रहा नहीं)
    ना आगत का दुःख ( जो आएगा कब तक रहेगा)
    सीख लिया है जीना मैंने वर्तमान में (जीना तो पड़ेगा)
    कँवल ऐसे भी खिलाये जाते हैं ............(ऐसे ही जिया जाता है )
    इस कविता की हर पंक्ति पर मेरा कमेन्ट....... अगर कोई कहता है छायावाद के बाद इससे श्रेष्ठ रचनाएँ हुईं है तो कृपा कर बताएं जरूर.

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  5. जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, मैथिली शरण गुप्त, सुमित्रानंदन पन्त और वंदना गुप्ता को पढ़िए, पता चल जाएगा की सूक्ष्मता कहाँ से आई, ये कमाल आपका है, लेकिन (आप कह देतीं हैं मुझे कुछ पता नहीं बस मन में आया लिख दिया) ये उस स्तर की रचना है................ श्रेष्ठ और सुन्दरतम चीज से तो आँख हटाये न हटे.में खुद अपने इन शब्दों के लिए गर्वित महसूस कर रहा हूँ की ये एक सार्थक और श्रेष्ठ रचना के लिए हैं.

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  6. Vaah ..bahut hi sundar rachna ! vartman me jeena har kisi ko nahin aata ! badhai avm shubhkamnaen !

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  7. ख्यालों के दीप जलाती हूँ
    अब ना विगत का अफ़सोस
    ना आगत का दुःख
    सीख लिया है जीना मैंने वर्तमान में
    कँवल ऐसे भी खिलाये जाते हैं ............
    --
    बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति!

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  8. सीख लिया है जीना मैंने वर्तमान में
    कँवल ऐसे भी खिलाये जाते हैं .

    वाह ...बहुत सुन्दर ...विगत और आगत के दुःख से परे ... सुन्दर अभिव्यक्ति

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  9. सीख लिया है जीना वर्तमान में
    कँवल ऐसे भी खिलाये जाते हैं....
    बहुत सकारात्मक.

    दुनाली पर देखें
    बेटे की नज़र में क्रूर था लादेन

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  10. कमल वर्तमान पर ध्यान देने से ही खिलते हैं।

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  11. नए नए विम्बो से रची आपकी रचना आज कल ब्लॉग जगत की आकर्षण हैं.. यह कविता भी प्रेम, जीवन, सफलता आदि का सूक्षमता से परिभाषित कर रही हैं.. कमल का विम्ब अदभुद बना है.. सादर

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  12. जीवन दर्शन के साथ बिम्बों का खूबसूरत प्रस्तुतीकरण
    आभार

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  13. 'सीख लिया है जीना मैंने वर्तमान में '
    बहुत ही खूबसूरती से व्‍यक्‍त किया है हर भाव को

    बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  14. जब वर्तमान में जीना सीख जाते हैं , तो हर मुश्किल आसान लगने लगती है ...
    जीवन जीने का सही तरीका यही है ..!

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  15. यही तरीका है...वाह! बेहतरीन.

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  16. वर्तमान के सच को उजागर करती, सोचने को विवश करती रचना!!

    शानदार अभिव्यक्ति
    ___________________________________

    निरामिष: अहिंसा का शुभारंभ आहार से, अहिंसक आहार शाकाहार से

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  17. अब ना विगत का अफ़सोस
    ना आगत का दुःख
    सीख लिया है जीना मैंने वर्तमान में... ab zarur kuch mayne khud milenge

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  18. वर्तमान में जीना अच्छी बात है पर वास्तव में क्या ऐसा हो पाता है।

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  19. .

    सीख लिया है जीना मैंने वर्तमान में
    कँवल ऐसे भी खिलाये जाते हैं ...

    Very inspiring creation Vandana ji .

    And also I agree with Ashutosh ji.

    .

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  20. कविता में आशावादी दृष्टीकोण अच्छा लगा.

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  21. आज को जी लिया जाय इससे अच्छा क्या हो सकता है..... बेहतरीन रचना

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  22. सीख लिया है जीना वर्तमान में
    कँवल ऐसे भी खिलाये जाते हैं....
    बहुत सुंदर प्रसुतित

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  23. appreciable creation , extreme sense of
    self inspection.thanks

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  24. बहुत सुंदर रचना .....यथार्थ से भरी और जीवन मार्ग दर्शन करती हुई ...!!
    बधाई आपको वंदना जी ...!!
    kawal aise hi khilaye jatey hain ..!!

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  25. बहुत अच्छी सोच को जगाती हुई कविता, वैसे वर्त्तमान ही यथार्थ है उसको अच्छे से जी लेना ही एक अविस्मरनीय अतीत और सुखद भविष्य की कल्पना को साकार करने में सक्षम है.

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  26. जिस व्‍यक्ति ने वर्तमान में जीना सीख लिया है वह अत्‍यन्‍त भाग्‍यशाली है।

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  27. वन्दना जी..बहुत ही ख़ूबसूरत रचना है..इन भावनाओं को बहुत बेहतरीन व प्रभावशाली तरीके से शब्द दिया है आपने....

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  28. आपकी रचना देखी, आपका ब्‍लॉग भी देखा, बधाई ।

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  29. वंदना जी जी जीना आपने सीख लिया है....सायद सुगमता से जीना सीखा है आपने...
    ....
    नहीं मुडती कोई राह अब अंधेरों में
    ना ही गुजरे कल की संदुकची खोलती हूँ
    ...ना ही आने वाले कल के लिए
    अरमानों के शामियाने टंगवाती हूँ..............
    बहुत से लोग सहमत होंगे आपसे कि वाह वर्तमान में जीना कितना मुस्किल है....इत्यादि...मगर इस अकिंचन की नजर में आपने घाटे का सौदा किया है..

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  30. waah kya baat hai main aapko facebook par bhi follow karta hoon magar comments nahi kar pata

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  31. बहुत सुन्दर अनुपम शानदार.दिल खुश हों गया.
    "अब ना विगत का अफ़सोस
    ना आगत का दुःख
    सीख लिया है जीना मैंने वर्तमान में
    कँवल ऐसे भी खिलाये जाते हैं "

    नई पोस्ट जारी की है.अपने सुविचारों से आनंद की वृष्टि कीजियेगा मेरे ब्लॉग पर आकर.

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  32. vartman me rahana bhagya ki baat hai
    sunder likha hai
    badhai
    rachana

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  33. haan !kanval aise bhi khilaaye jaaten hain !vartmaan me maine jeenaa seekhliyaa hai .
    kanval to saanjh hone pe vaise bhi murjhaa jaaten hain .
    sooraj mukhi kee maanind hai jivan !
    "jo naa jeevan kee gat pe gaaye use nahin jeene kaa hak hai ."
    veerubhai .

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  34. अब ना विगत का अफ़सोस
    ना आगत का दुःख
    सीख लिया है जीना मैंने वर्तमान में
    कँवल ऐसे भी खिलाये जाते हैं .............
    वाह बहुत ही सुन्दर ! हमेशा की तरह

    बधाई

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया