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शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

तुम कभी मुझे मत चाहना

तुम कभी
मुझे मत चाहना 
मेरे जैसी 
लाखों मिल जायेंगी
खुशबू सी 
फ़िज़ाओं मे 
बिखर जायेंगी
मैं एक हाड माँस का
पुतला ही तो हूँ
मुझे देख 
वासना के कीडे 
मचलते तो होंगे
मगर उन्हें
प्रेम के स्प्रे से
मार देना
शरीर बहुत 
मिलेंगे तुम्हें
मगर कभी 
वो नही मिलेगा
जिसकी चाह
जन्म से मृत्यु तक
एक कसक बनकर
साथ रहती है
देखो तुम हो
या कोई और
चाहत सबकी
ऊपरी होती है
वासना के आडंबर
मे लिपटे सभी
सीप का खोल 
ओढे घूमते हैं
मगर कोई भी
मोती पाना नही चाहता
मगर 
मेरी तुमसे
यही आस
यही चाह
यही विश्वास है
कि तुम 
कभी मुझे 
मत चाहना
गर चाहो 
तो सिर्फ़
मेरे उस दिल 
को चाहना
जो तुम्हारे 
दिल को चाहता है
शरीरों का 
चाहना भी
कोई चाहना है क्या
बाज़ार मे बहुत बिकते हैं…………

31 टिप्‍पणियां:

  1. आत्माओं का मिलन ही सच्चा प्रेम है।

    जवाब देंहटाएं
  2. आत्माओं का मिलन ही सच्चा प्रेम है।

    जवाब देंहटाएं
  3. .


    शरीरों का
    चाहना भी
    कोई चाहना है क्या
    बाज़ार मे बहुत बिकते हैं…………
    सत्य कहा आपने

    आदरणीया वंदना जी
    सप्रेम अभिवादन !

    बहुत अच्छी और प्रेरक रचना है … आभार !


    ♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
  4. वन्दना जी ,बहुत ख़ूबसूरत और सात्विक सी चाह है ..........

    जवाब देंहटाएं
  5. उन्हें
    प्रेम के स्प्रे से
    मार देना...

    अनूठी उपमा.....हार्दिक शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  6. ये कमेंट राजीव कुमार जी ने मेल से भेजा है ब्लोग पर नही कर पा रहे थे………
    from [Offline] rajiv kumar rajivpushpraj@gmail.com
    to [Offline] vandana gupta
    date Fri, Sep 2, 2011 at 1:07 PM



    Vandana jee,"prem ka spray" sach mein man ki sari kalushata ko khatm
    kar deta hai aur rishte ko nai unchai ke sath-sath aik naya avam
    vistrit aayam bhi deta hai.Sach ka aaina dikhati,rah dikhati
    rachana.yatharth se bari is manbhawan rachana ke liye badhai.
    (Blog par tippani nahi kar pa raha hun,ise aap blog mein shamil

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर रचना!
    निराशावादी रचना लिखने में तो आप सिद्धहस्त है ही!

    जवाब देंहटाएं
  8. सात्विक प्रेम ही सर्वोपरि है ...सत्य को कहती अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
    आपको बहुत-बहुत --
    बधाई ||

    जवाब देंहटाएं
  10. आत्मिक प्रेम श्रेष्ठ है और दुर्लभ भी!

    जवाब देंहटाएं
  11. सच्चे प्रेम की अभिव्यक्ति को बड़ी ही प्रखरता से मुखरित कर रही है यह कविता !
    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  12. शरीर को चाहने वाले मुर्ख होते है ....अरे प्रेम तो भावनाओ का एक संगम हैं..

    जवाब देंहटाएं
  13. सच्चे प्रेम की अनूठी मिशाल को दर्शाती..सुन्दर प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं
  14. M touched.... cnt find any suitable word to appraise these lines.. just writing here as a sign that i read it n loved it...

    जवाब देंहटाएं
  15. भावनाओं के समन्दर में लोग सीपी के अन्दर के मोती से कोई वास्ता रखे इससे बढ़कर चाहत क्या होगी?

    जवाब देंहटाएं
  16. वंदना जी........सच कहूँ आपकी इस पोस्ट ने दिल जीत लिए..........सलाम है आपको इसके लिए............शारीर तो बाज़ार में बहुत बिकते हैं..............प्रेम शारीर के ताल से कहीं ऊपर है........पर इस पत्थर शहर में लोग पत्थर का दिल लेकर मिटटी के जिस्म में प्रेम ढूंढते हैं.............बहुत ही सुन्दर..........हैट्स ऑफ |

    जवाब देंहटाएं
  17. सरल शब्दों में गहरी बात !

    जवाब देंहटाएं
  18. शरीरों का
    चाहना भी
    कोई चाहना है क्या
    बाज़ार मे बहुत बिकते हैं…………

    ...बहुत सच कहा है..सच्चा प्रेम तो दो आत्माओं का मिलन है..बहुत प्रभावी प्रस्तुति..

    जवाब देंहटाएं
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    जवाब देंहटाएं
  20. सही कहा आपने चाहत तो सिर्फ दिल से होनी चाहिए शरीर से नहीं ..

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति बधाई!!

    जवाब देंहटाएं
  22. खूबसूरती से लिखे जज़्बात ..
    बहुत अच्छी और प्रेरक रचना है … आभार

    जवाब देंहटाएं
  23. बेहद सुन्दर कविता --मन को छूने वाली अनुभूति --

    जवाब देंहटाएं
  24. सच कहा है ... सच्छा प्रेम तो दिलों का मिलन ही है ...

    जवाब देंहटाएं
  25. महसूस सा कुछ होता तो है कि हम शरीर के अलावा कुछ और भी है

    पर जब खुद ही नही मालूम कि हम शरीर के अलावा क्‍या है तो फिर चाहें किसे

    जवाब देंहटाएं

अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया