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शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

बे-दिल हूँ मैं……………

आज भी मुझमे
वसन्त अंगडाइयाँ लेता है
सावन मन को भिगोता है
शिशिर का झोंका
आज भी तन के साथ
मन को ठिठुरा जाता है
मौसम का हर रंग
आज भी अपने
रंगो मे भिगोता है
मै तो आज भी
नही बदली
फिर कैसे कहता है कोई
वक्त की परछाइयां लम्बी हो गयी हैं

आज भी मुझमे
इंद्रधनुष का हर रंग
अपने रंग बिखेरता है
दिल की बस्ती पर
धानी चूनर आज
भी सजती है
शोखियों मे
आज भी हर
रंग खिलखिलाता है
फिर कैसे कहता है कोई
वक्त निशाँ छोड गया है

मै तो आज भी
यौवन की दहलीज़ की
उस लक्ष्मण रेखा को
पार नही कर पायी
लाज हया की देहरी पर
आज भी वो कोरा
दिल रखती हूँ
फिर कैसे कहता है कोई
मुझमे तो दिल ही नहीं

बे-दिल हूँ मैं……………

39 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लगता है युवा मन को कुलांचे भरते देखकर।

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  2. मै तो आज भी यौवन की दहलीज़ की उस लक्ष्मण रेखा को पार नही कर पायी ||

    फिर कैसे कहता है कोई वक्त की परछाइयां लम्बी हो गयी हैं ||

    सुन्दर प्रस्तुति |
    बधाई ||

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  3. फिर कहता है कैसे कोई ..

    बहुत खूब कहा है आपने अंतिम पंक्तियों में ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  4. उम्र प्रौढ़ होती है जिंदादिली नहीं..
    सही कहा है आपने..

    आभार
    तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है

    जवाब देंहटाएं
  5. अचल-अटल जो जगत मे,उसका होता नाम।
    चलने वाले ऊँट का,बोझा ढोना काम।।

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  6. कौन कहता है ???
    बहुत प्यारी रचना.

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  7. maine gustaakhee karee hai,kshamaa karein
    jo man mein aayaa likh diyaa
    dilwaalon ko koi be dil kahe bardaasht nahee huaa

    "kahne waalon kee
    chintaa mat karo,
    karnee hai to
    nirantar dilwaalon se
    baat karo
    itnee dard bharee
    kavitaa
    vandnaajee
    kabhee naa likho"

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  8. बहुत खुब लिखा आपने
    धन्यवाद।

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  9. कुछ वक़्त ब्लॉग की दुनिया से दूर रहने के लिए माफ़ी चाहती हूँ .......

    आज भी कुछ सीमायें बंधी है ...जो लांघी नहीं जा सकती ...

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  10. वाह! कमाल की अभिव्यक्ति। बहुत अच्छी लगी यह रचना।

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  11. फिर कैसे कहता है कोई ...सुंदर अभिव्यक्ति

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  12. मन जब वही थमा खड़ा है तो ये किसने कहा कि बेदिल है आप , नहीं हो सकता १
    सुन्दर!

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  13. बेहतरीन अभिव्यक्ति " फिर कोई कैसे कहता है वक़्त की परछाइयां लंबी हो गईं हैं।

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  14. वाह...........

    मै तो आज भी नही बदली फिर कैसे कहता है
    कोई वक्त की परछाइयां लम्बी हो गयी हैं

    बहुत सुन्दर भाव हैं.........शानदार लगी पोस्ट|

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  15. :):) कौन कहता है बे-दिल आपको ? .. ये रंगों की छटा यूँ ही खिली रहे

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  16. फिर कैसे कहता है कोई मुझमे तो दिल ही नहीं
    बे-दिल हूँ मैं……………

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  17. मै तो आज भी यौवन की दहलीज़ की उस लक्ष्मण रेखा को पार नही कर पायी लाज हया की देहरी पर आज भी वो कोरा दिल रखती हूँ
    फिर कैसे कहता है कोई मुझमे तो दिल ही नहीं
    बे-दिल हूँ मैं……………


    bahut khoobsurat likha hai :)

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  18. अच्छी रचना,
    आपको पढना वाकई सुखद अनुभव है।

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  19. आत्मा सदा युवा है बल्कि शिशु सी निष्पाप है...दिल तो उसी का प्रतिबिम्ब है... सुंदर कविता!

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  20. लगता है कहीं कुछ टूटा सा है आपके आसपास। एहसासों ने सही लफ़्ज़ पाकर शक्ल सी ले ली है। मन को छू गई ये कविता।

    जवाब देंहटाएं
  21. लगता है कहीं कुछ टूटा सा है आपके आसपास। एहसासों ने सही लफ़्ज़ पाकर शक्ल सी ले ली है। मन को छू गई ये कविता।

    जवाब देंहटाएं
  22. शरीर के पडाव बदलते हैं मन तो हमेशा बच्चा और युवा ही रहता है ।

    बेहद सुंदर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  23. आज आपका दिल धड़क रहा है नई पुरानी हलचल में यकीन नही तो खुद ही देखिये...  चर्चा में आज नई पुरानी हलचल

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  24. बहुत अच्छी लगी यह कविता।

    सादर

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  25. यह स्फूर्ति और ऊर्जा जीवन में उल्लास को बनाये रखता है ।

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  26. फिर कैसे कहता है कोई
    वक्त की परछाइयां लम्बी हो गयी हैं...

    बहुत खुबसूरत प्रयोग....
    उत्तम रचना...

    "वक़्त का सूरज सदा सर पर रहे
    साया भी क़दमों में सिमटा रहे "
    सादर...

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  27. nar kaayaa men rachnaakaar ne rachaa dil yathaarth men koyee bedil naheen ho saktaa

    bahut sunder bhaav bharee rachnaa

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  28. दिल हमेशा जवान रहता है।
    बेहतरीन प्रस्‍तुति...........

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  29. कोरा दिल ??
    शुभकामनायें आपको !

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  30. बहुत अलग प्रकार की और सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  31. दृश्य और बिम्ब ऐसे लिये हैं कि कहने को शब्द ही नहीं हैं.

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  32. आज तो शक्तिस्‍वरूपा दुर्गा मां की पूजा घर-घर में हो रही है।

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  33. कौन कहता है बे-दिल आपको

    कोरा दिल ??

    बहुत सुंदर भाव

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  34. umr kaa boodhaapan arth nahee rakhtaa ,dil-o-dimaag se boodhaa honaa achhaa nahee hotaa
    saty hai ,umdaa lekhan

    जवाब देंहटाएं

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