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गुरुवार, 21 जून 2012

जो होती अलबेली नार




जो होती अलबेली नार 

करती साज श्रृंगार 

प्रियतम की बाट जोहती

नैनो मे उनकी छवि दिखती 

कपोलों पर हया की लाली दिखती 

अधरों पर सावन आ बरसता 

माथे पर सिंदूरी टीका सजता 

जो प्रियतम के मन मे बसता 

जीवन सात सुरों सा बजता  





 जो होती अलबेली नार
तिरछी चितवन से उन्हें रिझाती
नयन बाण से घायल कर जाती
हिरनी सी चाल चल जाती
मतवारी गजगामिनी कहाती 
प्रियतम के मन को भा जाती 
गाता जीवन मेघ मल्हार





जो होती अलबेली नार
बिना हाव भाव के भी
प्रियतम के मन में बस जाती 
अपनी प्रीत से उन्हें मनाती
उनकी सांसें बन जाती 
जीवन रेखा कहलाती 
पाता जीवन पूर्ण श्रृंगार 


जो होती अलबेली नार...............

16 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन रेखा कहलाती ... बहुत खूब ...

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  2. बहुत ही सुन्दर भावो से सजी ये पोस्ट लाजवाब है।

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  3. क्या करें, सौन्दर्य सर चढ़कर बोलता है..

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  4. सुंदर, कोमल और रेशमी शब्द - भावों ने विभोर कर दिया, वाह !!!!!!!!!!!!

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  5. जो होती अलबेली नार
    बिना हाव भाव के भी
    प्रियतम के मन में बस जाती
    अपनी प्रीत से उन्हें मनाती
    उनकी सांसें बन जाती
    जीवन रेखा कहलाती
    पाता जीवन पूर्ण श्रृंगार .... सच्ची

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  6. अलबेली नार का सार
    बहुत ही खूबसूरती से
    अभिव्यक्त किया है आपने.

    सोच रहा हूँ चौथे पद में भी
    आप लिखतीं तो जरूर कुछ
    और धारदार लिखतीं..

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  7. बहुत सुन्दर

    कुछ अलग स्वर

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर अलग तरह की एक नटखट सी रचना बहुत प्यारी लगी

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  9. बिना हाव भाव के भी प्रियतम के मन में बस जाती अपनी प्रीत से उन्हें मनाती उनकी सांसें बन जाती जीवन रेखा कहलाती पाता जीवन पूर्ण श्रृंगार

    वंदना जी आप को ढेर सारी खुशियाँ नसीब हों और ये सारे प्यारे अलबेले गुण नारियों में आप यों ही भरती रहें ....सुन्दर
    भ्रमर ५

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  10. खूबसूरत अभिलाषाओं की फेहरिस्त ....
    जो होती अलबेली नार

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