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मंगलवार, 3 जुलाई 2012

गुरु


गुरु
शिक्षा दे या दीक्षा
करता ज्ञान प्रकाश
शिक्षा गुरु करता 
राह रौशन जीवन की
मन्ज़िल तक पहुँचाता
जीवन जीने की
राह सुगम बनाता
दीक्षा गुरु करता
अध्यात्म प्रकाश
मार्ग मुक्ति का बतलाता
शिष्य को उस राह पर चलाता
मुक्ति की राह दिखाता
तत्वत: गुरु के दोनो रूप
एक मे ही समाहित हैं
गुरु भाव मे ही
परम कल्याण नज़र आता

गुरुका तात्विक विवेचन

गुयानि अन्धकार

रुयानि प्रकाश

अन्धकार से प्रकाश की ओर
जो ले जाये
वो ही तो वास्तव मे गुरु कहलाये
फिर चाहे किसी रूप मे
गुरु मिल जाये
शिक्षा दे या दीक्षा
मगर आत्म कल्याण का मार्ग बताये
मुक्ति की राह दिखाये
मंज़िल तक पहुंचाये
जीवन प्रकाशित कर जाये
वो ही वास्तव मेगुरुकहलाये

17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    कल 04/07/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    '' जुलाई का महीना ''

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  2. गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाए

    जवाब देंहटाएं
  3. गुरु के महत्त्व पे प्रकाश डालती सुन्दर रचना ... सार्थक लेखन ...

    जवाब देंहटाएं
  4. गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाए

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर और बेहतरीन अभिव्यक्ति..
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  6. गुरु-पूर्णिमा को गुरु का महत्व रेखांकित करती सुन्दर रचना -
    गुरु,एवं गुरुजनों को प्रणाम !

    जवाब देंहटाएं
  7. तत्व ज्ञान को सीखने की जो सच्ची उत्कट इच्छा रख्खे वही शिष्य है.ऐसे शिष्य के लिए परमात्मा
    गुरु रूप में सर्वत्र उपलब्ध है.

    'अखंड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्'

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपको नमन.

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  8. 'गुरु नाम ही ज्ञान का है' की उक्ति को चरितार्थ करती रचना. बहुत सुंदर.

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  9. जीवन प्रकाशित कर जाये
    वो ही वास्तव मे “गुरु” कहलाये
    सच कहा ....

    जवाब देंहटाएं
  10. मुक्ति की राह दिखायेमंज़िल तक पहुंचायेजीवन प्रकाशित कर जायेवो ही वास्तव मे “गुरु” कहलाये...........
    ji haan sahi mayne me wo hi guru hai...

    जवाब देंहटाएं
  11. "गुरु बिन ज्ञान नहीं "
    सुंदर रचना !!

    जवाब देंहटाएं

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