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सोमवार, 17 सितंबर 2012

भागो भागो भूत आया ........

भागो भागो भूत आया
संग ऍफ़ डी आई को लाया
कभी कोयला तो कभी डीज़ल
कभी पेट्रोल तो कभी महंगाई

कभी बोफ़ोर्स तो कभी चारा घोटाला
कभी टेलिकॉम घोटाला
तो कभी कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला,
अच्छी सबने बिसात बिछायी
जनता तो बेचारी बाज आयी
अब ये कैसा विनिवेश आया
जो निवेश भी साथ ले जाएगा
बस भ्रष्टाचारियों के पेट भर जायेगा
और जनता का ध्यान बँट जाएगा
मगर सत्ता पर तो अंगद का पैर काबिज रहेगा
इतना भर सुकून काफी होगा
सरकार तो चैन से सोएगी
बस भूखी जनता ही बिलख बिलख रोएगी
शोषण की महामारी में
जेब ही कुलबुलाएगी
जब ना होगी फूटी कौड़ी जेब में
तो सिलेंडर की जरूरत ना नज़र आएगी
बस तुम्हें यूँ सब्सिडी मिल जाएगी
झुनझुना हाथ में तुम्हारे पकड़ा दिया
हुक्मरानों ने ये समझा दिया
जो हमें चुनाव जितवाओगे
तो यूँ ही शोषित किये जाओगे
यूँ घोटालों के शहंशाह का खिताब
देश को मिल जाएगा
और देश का नाम समूचे विश्व में
अपना परचम लहराएगा
हम तो अपनी मनमानी तुम पर थोपेंगे
सोये हुओं को जरूरत क्या होती है
खाने पीने और पहनने की
बस सोते रहना ही उनकी किस्मत होती है
अब चाहे ऍफ़ डी आई का बोलबाला हो
चाहे देश दोबारा यूँ गुलाम हो
कहो तो क्या फर्क पड़ जायेगा
गुलामी के बीज तुम्हारे लहू में पैबस्त हैं
आदत से तुम मजबूर हो
क्या हुआ जो एक बार फिर से
व्यापारियों को बुलाया जायेगा
और देश को इस बार खुद ही बेचा जायेगा
तुम्हें फर्क नहीं पड़ने वाला है
तुम बस कुम्भकर्णी नींद सोते रहना
और हमारा शासन यूँ सुचारू रूप से चल जायेगा

घोटालों का इतिहास देश के नाम लिख जायेगा
यूँ देश का एक और स्वर्णिम इतिहास बन जायेगा
मगर जनता का दोष
ना जनता को नज़र आएगा
जब तक क्रिमिनलों को सत्ता पर
काबिज होने का मौका मिलता रहेगा
देश का ऐसे ही बंटाधार होता रहेगा
जब तक ना हर हिन्दुस्तानी जागेगा
अपने लिए ना आवाज़ उठाएगा
खुद ना सड़क से संसद तक जाएगा
तब तक तो यूँ ही शोषित किया जायेगा
कभी ऍफ़ डी आई के तो कभी मंहगाई के
तो कभी घोटालों के भूतों से डराया जायेगा
फिर आने वाली पीढ़ी के लिए
ये नया गाना बन जायेगा
भागो भागो भूत आया ........संग नए नए घोटाले लाया

18 टिप्‍पणियां:

  1. मौजूदा दौर की त्वरित और सटीक अभिव्यक्ति. सचमुच मौजूदा शासन तंत्र जनविरोधी और रक्तपिपासु प्रेत बन चुका है. लेकिन उसे हर पांच वर्ष पर जीवनी शक्ति भी तो हम्ही देते हैं. हममें से ज्यादातर लोग किसी न किसी बहकावे में आकर गलत लोगों का चयन कर बैठते हैं फिर पांच साल सर पीटते रहते हैं.

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  2. शब्द बाणों का परहार पर हकीकत यही है
    भागो भागो भूत आया ........"

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  3. राजनैतिक उथल पुथल और उसके भयावह स्वरूप को उजागर करती हुई कविता. ये राजनीति का भूल किस करवट बैठेगा कोई नहीं जनता है. ऐसे लोगों को झेलना हमारी मजबूरी है और पहले से कोई नहीं जनता कि ये लोग किस रूप में अवतरित होने वाले हें.

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  4. इस सरकार के लिए .. ये किस्से और घोटाले अब आम बात हो गई हैं

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  5. अब आगे आगे देखिये होता है क्या.

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  6. समसामयिक स्थितियों पर सुंदर कटाक्ष |
    मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है |
    मेरा काव्य-पिटारा:बुलाया करो

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  7. भाग कर भी कहाँ जाएँगे ... इन्हीं सब के बीच रहना है ...

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  8. वाह बहुत ही बेहतरीन।

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  9. भूख से जकड़े
    झुकें या अकड़ें
    भूत से भागें,कि
    लंगोटी पकड़ें!

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  10. बहुत सटीक कटाक्ष...सुन्दर समसामयिक प्रस्तुति..

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  11. सटीक व्यंग !

    पर सबसे बड़ा भूत तो वोटर है !

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  12. कल 14/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर (कुलदीप सिंह ठाकुर की प्रस्तुति में ) लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  13. जागरूकता की पहल चाहे तंज़ से ही शुरू क्यूँ न हो ....

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया