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सोमवार, 5 नवंबर 2012

क्षणिका………एक दृष्टिकोण



क्षण क्षण भावों का रेला
कैसे रूप बदलता है
तभी तो प्रतिपल
क्षणिका का ढांचा बनता है

क्षणिक अभिव्यक्ति
क्षणिक आवेग
क्षणिक संवेग
क्षणिक है जीवन की प्रतिछाया
तभी तो क्षणिका के क्षण क्षण मे
जीवन का हर रंग समाया




क्षण क्षण मे क्षण घट रहा
नया रूप ले रहा
वंचित भावों का उदगम स्थल
त्वरित विचारों का जाल
क्षणिका का रूप बन रहा


दोस्तों ,


क्षणों का हमारे जीवन मे कितना महत्त्व है ये उस वक्त पता लगा जब सरस्वती सुमन पत्रिका का त्रैमासिक क्षणिका विशेषांक (अक्टूबर - दिसम्बर 2012)  मिला तो ख़ुशी का पारावार न रहा . इतनी बड़ी पत्रिका में एक नाम हमारा भी जुड़ गया . ह्रदय से आभारी हूँ हरकीरत हीर जी की और जीतेन्द्र जौहर जी की जो उन्होंने हमें इस लायक समझा और इतने वरिष्ठ कवियो और  रचनाकारों के बीच एक स्थान हमें भी दिया .

क्षणिका विशेषांक पढना अपने आप में एक सुखद अनुभूति है . सबसे जरूरी होता है उस विशेषांक का महत्त्व दर्शाना और उसकी विशेषता बताना , उसकी बारीकियों पर रौशनी डालना और ये काम आदरणीय जीतेन्द्र जौहर जी ने बखूबी किया है .पहले तो सबकी क्षणिकाएं आमंत्रित करना उसके बाद 179 रचनाकारों को छांटकर उन की क्षणिकाओं को स्थान देना कोई आसान कार्य नहीं था जिसे हरकीरत जी ने बखूबी निभाया . तक़रीबन एक साल से वो इसके संपादन में जुडी थीं ....नमन है उनकी उर्जा और कटिबद्धता को .

सरस्वती सुमन का क्षणिका विशेषांक यूं लगता है जैसे किसी माली ने  उपवन के एक- एक फूल पर अपना प्यार लुटाया हो . कुछ भी व्यर्थ या अनपेक्षित नहीं ........सब क्रमवार . संयोजित और संतुलित ढंग से सहेजना ही कुशल संपादन का प्रतीक है . शुभदा पाण्डेय जी द्वारा " क्षणिका क्या है " की व्याख्या करना क्षणिका के महत्त्व को द्विगुणित करता है . क्षणिका के शिल्प और संवेदना पर प्रोफेसर सुन्दर लाल कथूरिया जी का आलेख क्षणिका के प्रति गंभीरता का दर्शन कराता है तो दूसरी तरफ डॉक्टर उमेश महादोषी ने क्षणिका के सामर्थ्य पर एक बेहद सारगर्भित आलेख प्रस्तुत किया है जो क्षणिका की बारीकियों के साथ कैसे क्षणिकाएं लिखी जाएँ उस पर रौशनी डालता है और कम से कम नवोदितों को एक बार इस विशेषांक को जरूर पढना चाहिए क्योंकि ये विशेषांक अपने आप में क्षणिकाओं का एक महासागर है जिसमे वो सब कुछ है जो किसी को भी लिखने से पहले पढना जरूरी है . बलराम अग्रवाल जी द्वारा क्षणिका के रचना विधान को समझाया गया है कि  काव्य से क्षणिका किस तरह भिन्न है और उसे कैसे प्रयोग करना चाहिए , कैसे लिखना चाहिए हर विधा को बेहद सरलता और सूक्ष्मता  से समझाया गया है .

पूरा विशेषांक एक उम्दा , बेजोड़ , पठनीय और संग्रहनीय संस्करण है और यदि ये संस्करण किसी के पास नहीं है तो वो एक अनमोल धरोहर से वंचित है . सब रचनाकारों के विषय में कहना तो कठिन है क्योंकि सभी बेजोड़ हैं . हर क्षणिका अपने में एक कहानी समेटे हुए हैं . सोच के दायरे को विस्तार देती अपने होने का अहसास कराती है जो किसी भी पत्रिका का अहम् अंग होता है . क्षणिका विशेषांक निकलना अपने आप में पहला और अनूठा प्रयास है जो पूरी तरह सफल है जिसकी सफलता में सभी संयोजकों और संपादकों की निष्ठा और लगन का हाथ है जिसके लिए सभी रचनाकार कृतज्ञ हैं।

अंत में आनंद सिंह सुमन जी का हार्दिक आभार जो अपनी पत्नी की याद में ये पत्रिका निकालते हैं अगर कोई संपर्क करना चाहे तो इस मेल या पते पर कर सकता है

सारस्वतम
1---छिब्बर मार्ग (आर्यनगर) देहरादून --- 248001

mail id ...... saraswatisuman@rediffmail.com

18 टिप्‍पणियां:

  1. हर एक क्षणिका बेहद अच्छी लगी

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  2. हर एक क्षणिका बेहद अच्छी लगी.

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  3. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 07/11/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  4. क्षण क्षण बदलते भाव
    क्षण क्षण कई एहसास संजोये
    जीवन के कई रूप .... होती हैं क्षनिकाएं

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  5. बहुत-बहुत मुबारक ...
    शुभकामनाएँ!

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  6. सभी क्षणिका बेहद अच्छी लगी.

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  7. क्षणिका विशेषांक पर सटीक रोशनी डाली है .... हरकिरत जी के प्रयास नि: संदेह सराहनीय है ... चारों लेख क्षणिका विधा को समझाने में सहायक है ... बहुत अच्छे से इस पत्रिका के क्षणिका विशेषांक
    के विषय में लिखा है ...

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  8. मेरा सौभाग्य ! मैनें भी पढ़ी वो 'क्षणिका विशेषांक' ! एक एक मोती जैसे चुन कर जड़ा गया हो...! मन मुग्ध हो गया !
    इससे जुड़े सभी गुणीजनों को मेरा नमन !
    ~सादर !

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  9. क्षणिका विशेषांक प्रकाशन करना निश्चित रूप से सराहनीय है ... बहुत-बहुत बधाई सहित शुभकामनाएं

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  10. बहुत बहुत शुभकामनायें वंदना जी

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  11. हर क्षण एक कहानी होती
    किसी को मिलती विरानी
    कोई प्रेम दिवानी होती...

    शुभकामनाएँ...बधाई!!

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  12. सुन्दर क्षणिकाएँ.....
    बहुत बहुत बधाई वंदना...

    सस्नेह
    अनु

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया