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शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

मैं लगा देती हूँ निर्वस्त्रता के सम्पुट जब भी

मैं लगा देती हूँ
निर्वस्त्रता के सम्पुट जब भी
नकाबों की होली जल जाती है
रामायण के सुर बदल जाते हैं
राम नाम धारियों की पेशानी पर
पौरुष के चिन्ह उभर जाते हैं
जो जब भी निर्वस्त्र हुए
तो आग की लपटों में घिरे
खौलता कोलतार ही बने
जो चलने वालों की चप्पल जूतों में चिपक तो जाते हैं
मगर खीज भी उत्पन्न कर देते हैं
मगर चलना मजबूरी होती है
इसलिए कुछ देर झेल लेते हैं
मगर जैसे ही राह की धूल से वास्ता पड़ता है
वो चिपका कोलतार अपना रंग खो देता है
और ध्यान भी वहाँ से हट जाता है
बस यही तो है तुम्हारा अस्तित्व
एक कोलतार से ज्यादा कुछ नहीं
बेशक सड़क बिछ जाती है
मगर फिर कहाँ कोलतार चिपकता है
शायद तभी ध्यान हट जाता है
ऐसे वजूदों से
और चल पड़ता है राही
फिर भी ना जाने क्यों
राम के नाम पर
तो कभी मजहब के नाम पर
तो कभी जूनून के नाम पर
तुम हमेशा सुलगते ही रहते हो
एक अंधे कुएं में
जिसका जिस्म तो होता ही नहीं
सिर्फ रक्त ,मांस , मज्जा का
सुलगता कोई शमशान ही प्रतीत होता है
जो जब भी निर्वस्त्र होता है
तो सतही आवरण ही नहीं 

भीतरी ऊष्मा भी वस्त्रहीन हो जाती है
जो अकेली सिसकती दिखती है 

किसी कोयले की खदान में खदकते कोयले सी
यूँ ही नहीं ज्वालामुखी बना करते
यूँ ही नहीं विस्फोट हुआ करते
यूँ ही नहीं आत्माएं मरा करतीं
जीवित होती है तो सिर्फ शमशान की कालिमा
शायद तभी
मैं लगा देती हूँ
निर्वस्त्रता के सम्पुट जब भी
नकाबों की होली जल जाती है

13 टिप्‍पणियां:

  1. हृदय की गहराइयों से निकली
    बहुत सही और सटीक रचना!

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  2. बहुत सुन्दर बात कही आपने।

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  3. वाह ..वाह वंदना जी खूब कोलतार से उपमा की है आपने ...

    कौन है ये कोलतार .....???:))

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  4. bahut sundar or prbhavi rachana hai aapki ji !! aapki rachnaon ko mere blog " 5TH PILLAR CORROUPTION " par share karne ki aagya prdan kare plz.

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  5. PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SO जी आप शेयर कर सकते हैं हार्दिक आभार

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  6. कलियुग की नग्न कुरूपता को आपने कोलतारी परिधान से सजा दिया !बधाई सुंदर रचना ! धन्यवाद -भोला-कृष्णा

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  7. प्रभावशाली रचना वन्दना जी ! इसमें विस्फोट को तत्पर ज्वालामुखी के हर तत्व मौजूद हैं ! गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

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अपने विचारो से हमे अवगत कराये……………… …आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं ………………………शुक्रिया